सोमवार, 31 मार्च 2025

साक्षात्कार: प्रकृति और मानव के बीच दूरियां मिटाने में अहम साहित्य: कृष्ण लाल गिरधर

सामाजिक सरोकार के मुद्दों पर कविताओं के लेखन से मिली पहचान 
           व्यक्तिगत परिचय 
नाम: कृष्ण लाल गिरधर 
जन्मतिथि: 12 सितंबर 1961 
जन्म स्थान: गांव-मदीना (रोहतक), 
शिक्षा:एम.ए.(अंग्रेजी),एम.ए.(पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन), एम.एड 
संप्रत्ति:सेवानिवृत्त प्रवक्ता (अंग्रेजी), लेखक, साहित्यकार, कवि 
संपर्क: 388, सेक्टर-02, रोहतक (हरियाणा), मोबा: 9466306226\8708468289 ई-मेल : krishanlal388@gmail.com 
BY-ओ.पी. पाल 
साहित्य और संस्कृति का संवर्धन का सर्वहित में समाज को नई दिशा देने में अहम योगदान माना गया है। इसी मकसद से लेखक, साहित्यकार एवं कलाकार अपनी अलग अलग विधाओं में साहित्य साधना करते आ रहे हैं। साहित्य के क्षेत्र में हिंदी, हरियाणवी, अंग्रेजी एवं अन्य भाषाओं में लेखन करने वाले विद्वानों ने अपनी संस्कृति को संजोए रखने समाज को सकारात्मक संदेश देने का प्रयास किया है। ऐसे ही साहित्यकारों में शुमार कृष्ण लाल गिरधर ने साहित्यिक सफर में हिंदी, अंग्रेजी और हरियाणवी भाषा में अपनी कविताओं और आलेखों के माध्यम सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दो के अलावा प्रकृति, पर्यावरण, मनुष्य का व्यवहार, मानवता, दया, सत्य, प्रेम और करूणा जैसे विषयों को उजागर कर लोकप्रियता हासिल की है। खासतौर से करोना काल में मानवीय मूल्यों और भारतीय संस्कृति के लिए सामाजिक सेवा और लेखन से योगदान करने वाले शिक्षाविद्, साहित्यकार एवं कवि कृष्ण लाल गिरधर ने हरिभूमि संवाददाता से बातचीत के दौरान कुछ ऐसे अछुए पहलुओं को उजागर किया है, जिसमें साहित्य के जरिए प्रकृति और मानव के बीच में बढ़ती दूरियां मिटाना संभव है। --- वरिष्ठ साहित्यकार कृष्ण लाल गिरधर का जन्म 12 सितंबर 1961 को रोहतक के निकटवर्ती गांव मदीना में मनोहर लाल और श्रीमती मीराबाई के घर में हुआ। पिता एक दुकानदार थे। गांव में ही खेतों खलियान के बीच प्रकृति की गोद में बचपन बीता और उनकी प्राथमिक शिक्षा दीक्षा हुई। राजकीय उच्च विद्यालय मदीना से उन्होने मैट्रिक पास की और सन् 1977 में हिंदू कॉलेज रोहतक में दाखिला लिया। सन 1981 में बी.ए. की परीक्षा पास करने के बाद सर छज्जू राम कॉलेज हिसार में बी.एड.में दाखिला लिया। सन 1982 में बतौर गणित अध्यापक के रुप में राज्यकी सीनियर सेंकैंडरी स्कूल निदाना, साल 2002 में राजकीय सीनियर सेकैंडरी स्कूल सांपला और साल 2005 से सितंबर 2019(सेवानिवृत्ति) तक जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान मदीना में कार्यरत रहे। करीब बीस साल उन्होंने अंग्रेजी मास्टर ट्रेनर के रुप में कार्य किया। अध्यापन के दौरान उन्होंने एम.ए.(पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन), एम.ए.(अंग्रेजी) और एमएड. की परीक्षाएं महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी रोहतक से उत्तीर्ण की। दरअसल उनका परिवार भारत विभाजन के बाद अमृतसर और उसके बाद कुरुक्षेत्र से जिला रोहतक में आकर बस गया। उनके परिवार में किसी प्रकार का कोई साहित्यिक माहौल नहीं था। सन 1978 में कॉलेज समय के दौरान उन्होंने पहली कविता लिखी और आज के अवसर और हिंदू कॉलेज रोहतक की तरफ से उन्होंने गॉड कॉलेज रोहतक में काव्य पाठ प्रतियोगिता में भी हिस्सा लिया। अपने जीवन की एक घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि जब वह अंग्रेजी परीक्षा की तैयारी अपने गांव के पास नहर पर स्थित एक ही बड़े शीशम के पेड़ के नीचे बैठकर अध्ययन कर रहा था और उसमें जॉन मिल्टन द्वारा अंग्रेजी की कविता ऑनहिज ब्लाइंडनेस पढ़ रहा था, कि अचानक लगभग 5 फीट लंबा कोबरा सांप उनके सामने से गुजरा और सीधा नहर से पानी पीकर के सूर्य नमस्कार किया और वापस उनके आगे से ही गुजर गया, लेकिन उसने उसे कोई हानि पहुंचाई। बकौल कृष्ण लाल, यहां से उन्हें एक संदेश मिला, जो कि जॉन मिल्टन ने भी कहा कि वह अंधा हो गया है, लेकिन परमात्मा ने उन्हें लेखन कार्य दिया है वह तो उन्हें करना ही पड़ेगा, वरना आगे उसके दरबार में वह क्या जवाब देगा। इस प्रकार उन्हें अंदर सेही एक प्रेरणा मिली और फिर कलम उठाकर लिखना शुरू कर दिया। उन्होंने बताया कि सबसे पहले सन 1995 में राज्य शिक्षक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद गुरुग्राम के जनसंख्या विभाग में मेरी दो हिंदी कविताएं प्रकाशित हुई। मार्च 2007 में 'मैं विकलांग नहीं हूं' शीर्षक कविता प्रकाशित हुई। इसके बाद घरेलू परस्थितियों के कारण वह 10 साल तक साहित्यिक रचनाओं में योगदान नहीं कर पाए। साहित्यिक साधना में उनकी रचनाओं का फोकस पर्यावरण, सामाजिक कुरीतियों, मनुष्य का व्यवहार, मानवता, दया, सत्य, प्रेम करूणा आदि के भाव रहे है। अभी तक लगभग 60 हिंदी कविताएं प्रकाशित है और 100 कविताओं के कविता संग्रह पर काम जारी है। हरियाणवी भाषा में भी उन्होंने करीब 67 कविताएं लिखी, जिनमें से एक है 'शहर मह ताई'' जो कि पर्यावरण पर कुठाराघात है, जो एनसीईआरटी गुड़गांव में भाषा प्रशिक्षण सेमिनार में सन 2005 में प्रस्तुत की गई। वरिष्ठ साहित्यकार कृष्ण लाल गिरधर ने बताया कि सन् 2017 से 2024 तक उन्होंने अंग्रेजी शायरी लिखना शुरु किया और अंग्रेजी भाषा में उनकी किताबे प्रकाशित हुई। साहित्य साधना के अलावा कृष्ण लाल सामाजिक सेवा में भी सक्रीय है, जिन्होंने कोराना काल के दौरान अज्ञात किडनी रोगी को स्वैच्छिक प्लाज्मा दान करके मानवीय भाव को प्रकट किया और समाज को जागरुकता के लिए महामारी के दौर में प्रकृति पोषण और मनुष्य और प्रकृति को लेकर कविताएं भी लिखी। भारत विकास परिषद जैसी सामाजिक संस्थाओं से जुड़े कृष्णलाल के लेख, कविताएं और विभिन्न पत्रिकाओं में भी प्रकाश होते आ रहे हैं। 
साहित्य की स्थिति चुनौतीपूर्ण 
साहित्य को समाज का दर्पण बताते हुए साहित्यकार कृष्ण लाल का कहना है कि आज के बदलते परिवेश में साहित्य की स्थिति चुनौतीपूर्ण है, जिसमें पारिवारिक दबाव एवं एकल परिवार दवाब के कारण खासतौर से युवाओं में साहित्य के प्रति रुचि बेहद कम होना चिंता का विषय है। उनका मानना है कि यदि युवाओं को साहित्य के प्रति प्रेरित न किया गया, तो आने वाले समय में हम अपनी संस्कृति एवं धरोहर को लुप्त कर लेंगे। इसलिए युवा पीढ़ी का साहित्य और संस्कृति के प्रति मार्गदर्शन के लिए समय-समय पर साहित्य उत्सव का आयोजन करना जरूरी है। खासतौर से युवाओं को साहित्य सर्जन के लिए प्रेरित करने के लिए प्राइमरी स्कूल स्तर पर ही अथक प्रयास करने होंगे, जिसमें कक्षा अध्यापकों का कला और साहित्यिक सकारात्मक रुझान होना अति आवश्यक है। यह भी सत्य है कि आज साहित्य लेखन के स्तर पर भी गिरावट आई है और इसके मूल कारण स्कूलों कॉलेजों में साहित्यिक गोष्ठियों की कमी आई है। इस आधुनिक युग में साहित्य के प्रति पठन-पाठ का कम होने का भी एक मुख्य कारण है कि आजकल की युवा शक्ति की आधुनिक अंधी दौड़ भी है। वहीं हर कोई गूगल या अन्य आधुनिक डिवाइसेज पर विश्वास करके पुस्तकों के पढ़ने में कम रुचि दिखा रहा है। दूसरा मुख्य कारण यह भी है कि आजकल की जो भी चलचित्र या एपिसोड युवा पीढ़ी नेटफ्लिक्स या अन्य प्रोग्राम पर देखती है, उसमें साहित्यिक रुचि को ना दिखाकर केवल मनोरंजन के साधन तक सीमित कर दिया है। 
प्रकाशित पुस्तकें 
शिक्षाविद् एवं साहित्यकार कृष्णलाल गिरधर की प्रकाशित अंग्रेजी भाषा की छह पुस्तकों में फिलिंग फीलिंग फेदर्स, लाईफ( लिव, लव, लाफ़), लव एंड पीस तथा मी एंड माई अनसैड फिलिंग्स सुर्खियों में हैं। वहीं उनकी दो पुस्तकें नेचर नचर्स और मैन एंड नेचर करोना काल के दौरान लिखी गई, जबकि दो पुस्तकें महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक से संबन्धित प्रकाशित हुई हैं। इसके अलावा उन्होंने हिंदी साहित्य में करीब सौ कविताएं लिखी, जिनका संग्रह जारी है। वहीं उन्होंने 67 कविताएं हरयिाणवी भाषणा में लिखी हैं। उनके हिंदी व अंग्रेजी लेख तथा कविताएं सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं की पत्रिकाओं में भी प्रकाशित हुई हैं। 
पुरस्कार व सम्मान 
हिंदी और अंग्रेजी साहित्यकार कृष्ण लाल गिरधर को उनकी पुस्तक पर मेघालय के तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक से राज्यपाल पुरस्कार मिल चुका है। वहीं उन्हें अंतर्राष्ट्रीयश् अंग्रेजी साहित्य के करीब 75 सम्मान पत्र (सर्टिफिकेट) मिले हुए हैं। हरियाणा साहित्य अकादमी से भी उन्हें उनकी पुस्तक मी एंड माई अनसैड फिलिंग्स के लिए पुरस्कृत किया जा चुका है। हरियाणा राज्य शिक्षण एवं प्रशिक्षण परिषद गुरुग्राम भी उन्हें कई प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित कर चुका है। जबकि महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक से भी उन्हें कई पुरस्कार के रुप में सम्मनित किये जा चुके हैं। 
31Mar-2025

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