सोमवार, 12 जून 2023

मंडे स्पेशल: स्कूल छोड़ने वालों की संख्या तो घटी, कलंक नहीं मिटा

हरियाणा में अभी भी बीच में ही स्कूल छोड़ रहे बच्चे
ड्रॉपआउट बच्चों को ट्रैक करने में जुटा महकमा 
सरकारी प्रयासों के बावजूद ड्रॉपआउट दर जीरो रखने में नहीं मिल रही सफलता 
सबको शिक्षा की राह में स्कूल से बच्चों ड्रॉपआउट बाधा
ओ.पी. पाल.रोहतक। बीते वर्षों के साथ भारत में साक्षरता दर बढ़ी है और शिक्षितों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है, लेकिन एक काला स्याह यह भी है कि लाख प्रयासों के बावजूद स्कूल न पहुंचने वाले बच्चे आज भी अज्ञानता के अंधियारे में जीने को मजबूर हैं। हरियाणा में स्कूल से ड्रॉपआउट की दर तो घटी है, लेकिन कलंक नहीं मिटा है। हरियाणा में साल 2014 में जहां 12.51 फीसदी बच्चे दसवीं तक पहुंचने से पहले ही स्कूल छोड़ देते थे, वहीं नौ साल में यह आंकड़ा कम होकर 5.9 फीसदी रह गया है, लेकिन तमाम सरकारी प्रयासों के बावजूद जीरो दर हासिल नहीं हो सकी है। दसवीं कक्षा के दाखिलों में लगातार आ रही गिरावट के मद्देजनर राज्य सरकार ने ऐसे स्कूल छोड़ने वाले बच्चों को ट्रैक कराना शुरू कर दिया है। प्रदेश में स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या को कम करने के लिए मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने हाल ही में प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग को 6 से 18 वर्ष के आयु वर्ग के ऐसे बच्चे को ट्रैक करने के लिए हर बच्चे पर नजर रखने का निर्देश जारी किया है, जो सरकारी या निजी स्कूल के अलावा गुरुकुल या मदरसा में भी शिक्षा प्राप्त नहीं कर रहे हैं। आंगनबाड़ी और किसी प्ले-वे स्कूल में न आने वाले हर बच्चे को भी ट्रैकिंग के दायरे में लाया जा रहा है। सरकार यह मान रही है कि प्रदेश में सत्र 2021-22 में सरकारी या निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बहुत से छात्र शैक्षणिक सत्र 2022-23 के दौरान ड्रॉप-आउट हुए हैं। ऐसे बच्चों का पता लगाने के लिए सर्वे का काम चल रहा है। स्कूलों में मुफ्त शिक्षा, मिड-डे मील और परीक्षा न होने के बावजूद पहली से पांचवीं कक्षा तक के बच्चों में ड्रॉपआउट चिंता का सबब है। सरकारी प्राथमिक स्कूलों में पहली, तीसरी, चौथी और पांचवीं के छात्रों की ड्रॉपआउट दर अधिक है। यह दर एक से तीन प्रतिशत तक है। स्कूली बच्चों का ड्रॉपआउट 14 वर्ष की उम्र के सबको शिक्षा के लक्ष्य में बाधा है। 
नए आंकड़े पर सर्वे शुरू 
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता सांख्यिकी विभाग ने तीन फरवरी को सभी राज्यों को सत्र 2022-23 के लिए यूडीआईएसई में स्कूली आंकड़ों को अपलोड करने के लिए पत्र लिखा है। इसमें ड्रॉपआउट बच्चों की गणना भी होगी। हरियाणा में ड्रॉपआउट की गणना के लिए सर्वे शुरू हो गया है। स्कूल शिक्षा विभाग (डीएसई) सरकारी और निजी स्कूलों में छात्रों को स्कूल छोड़ने के कारणों का पता लगाने के लिए एमआईएस पोर्टल पर एक ऑनलाइन मॉड्यूल भी विकसित किया है और राज्य भर के जिला शिक्षा अधिकारियों (डीईओ) एवं जिला प्रारंभिक शिक्षा अधिकारियों (डीईईओ) को इसके लिए उचित कारण प्रस्तुत करने के लिए कहा है। शिक्षा विभाग ने ऐसे छात्रों की कक्षावार सूची संबंधित प्रत्येक स्कूल के एमआईएस पोर्टल पर अपलोड करना शुरू कर दिया है। दसवीं से पहले ड्रॉपआउट बड़ी चिंता कक्षा नौ और दस में ड्रॉपआउट दर 5.9 प्रतिशत चिंता का विषय है, जबकि कक्षा छह से आठ तक पहुंचने से पहले स्कूल छोड़ने की दर 0.22 प्रतिशत ही है। इस सत्र के दौरान उच्च प्राथमिक यानी कक्षा छह से आठ तक कक्षाओं में 14,80,339 छात्र-छात्राओं ने अपना नामांकन कराया था। 
सरकारी स्कूलों में ड्रॉपआउट ज्यादा 
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय में डाइज (डिस्टिक्ट इंफार्मेशन ऑफ स्कूल एजुकेशन) के वर्ष 2021-22 की रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा में भी सरकारी स्कूलों में ड्रॉपआउट बच्चों का आंकड़ा ज्यादा है। हरियाणा में कोरोना काल के बाद सरकारी स्कूलों में तेजी से बच्चों के दाखिलों की संख्या बढ़ी थी, लेकिन उसके बाद स्कूलों में छात्राओं की संख्या लगातार गिरावट देखी जा रही है। एक ताजा आंकड़े के मुताबिक हरियाणा के सरकारी स्कूलों में 1.44 लाख बच्चों की संख्या कम हुई है। इसका कारण या तो उनका निजी स्कूलों की तरफ रुख करना है या फिर किसी कारणवश पढ़ाई छोड़ना माना जा रहा है। आंकड़े पर गौर करें तो प्रदेश में हरियाणा में 6से 10 साल की उम्र में दाखिले लेने वाले बच्चों की दर 95.7 प्रतिशत है। जबकि अपर प्राइमरी में 11 से 13 साल के आयु के बच्चों का नामांकन 98.7 प्रतिशत, प्राथमिक में 6 से 13 साल की आयु तक 97.7 प्रतिशत है। वहीं दसवीं कक्षा में 15 से 16 वर्ष की आयु में 88.8 प्रतिशत है। 
निजी स्कूलों में अधिक नामांकन 
प्रदेश में सरकारी और निजी स्कूलों में कक्षा एक से 12 तक के बच्चों के नामांकन में व्यापक अंतर है। जहां सत्र 2021-22 के दौरान नामांकित कुल 60.36 लाख बच्चों में से 26,02,484 बच्चों ने ही सरकारी स्कूलों में दाखिला लिया। जबकि इससे ज्यादा 33,01,867 बच्चों ने निजी स्कूलों में प्रवेश लेने में रुचि दिखाई है। यदि कक्षा एक से आठ तक के बच्चों की बात की जाए तो कुल 40,59,601 बच्चों के नामांकन में सरकारी स्कूलो में केवल 18,03,731 बच्चों ने दाखिला लिया, जिनमें प्री-प्राइमरी में 5,994, प्राइमरी में 11,58,500 और अपर प्राइमरी में 6,39237 बच्चे शामिल हैं। 
दसवीं से पहले ड्रॉपआउट बड़ी चिंता 
डाइज के आंकड़ो के अनुसार शैक्षणिक सत्र 2021-22 में प्रदेशभर के सरकारी और निजी स्कूलों में ड्रॉपआउट दर की गणना में सुधार जरुर देखा गया, लेकिन कक्षा नौ और दसवीं में ड्रॉपआउट दर 5.9 प्रतिशत चिंता का विषय है। जबकि इस दौरान कक्षा छह से आठ तक पहुंचने से पहले स्कूल छोड़ने की दर 0.22 प्रतिशत रही। इस सत्र के दौरान उच्च प्राथमिक यानी कक्षा छह से आठ तक कक्षाओं में 14,80,339 छात्र-छात्राओं ने अपना नामांकन कराया था। अब राज्य सरकार को सत्र 2022-23 में नौवीं से दसवीं कक्षा के बच्चों में ड्रॉपआउट दर बढ़ने की संभावना नजर आ रही है। शिक्षा विभाग के लिए यह चिंता वाजिब है, क्योंकि सत्र 2021-22 के दौरान राज्यभर के स्कूलों में नामांकन में 2,27,039 संख्या बढ़ी, लेकिन कक्षा नौ व दस में 9,52,143 छात्राओं का पंजीकरण पिछले सत्र 2020-21 के मुकाबले 12,136 विद्यार्थियों की गिरावट ड्रॉपआउट का संकेत दे रहा है। 
उपलब्धि दर में दयनीय दसवीं कक्षा 
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण-2021 में हरियाणा की स्कूली शिक्षा में कक्षा दस का स्कोर सबसे कम रहा है। कक्षा दस की उपलब्धि 37.8 प्रतिशत रही, जिसमें महेन्द्रगढ़ 49.9 में अव्वल और नूहं सबसे कम 36.5 प्रतिशत पर रुका। जबकि कक्षा आठ में हरियाणा की दर 41.9 प्रतिशत थी, इसमें भी महेन्द्रगढ़ जिला 55.6 प्रतिशत के साथ पहले और सबसे कम 41 प्रतिशत दर के साथ कैथल अंतिम पायदान पर पाया गया। कक्षा पांच की बात करें तो प्रदेश की उपलब्धि दर 49 प्रतिशत रही, जिसमें गुरुग्राम 58.1 प्रतिशत के साथ अव्वल रहा, जबकि 41.8 के साथ नूहं जिला सबसे फिस्सड़ी घोषित किया गया। इस सर्वे में कक्षा तीन की उपलब्धियों में राज्य कहीं बेहतर स्थिति में देखा गया, जिसके लिए 59 प्रतिशत की औसत दर रही। इसमें रोहतक सबसे ज्यादा 62.8 प्रतिशत दर के साथ सबसे ऊपर और 49.4 प्रतिशत की दर के साथ करनाल सबसे अंतिम स्थान पर रहा। 
--- टेबल 
हरियाणा स्कूली शिक्षा का ढांचा 
वर्ष         स्कूल  शिक्षक        छात्र          ----               प्रवेश पंजीकरण 
                                                   -प्री प्राइमरी प्राइमरी अपर प्राइमरी सेकेंडरी  हायरसेकेंडरी 
2015-16 22315 205458 5513028- 188839- 2336650- 1394294- 879090- 595955 
2016-17 22787 214882 5624260- 290239- 2400133- 1424769- 901317- 607802 
2017-18 23235 230182 5767369- 262166- 2504133- 1448258- 962670- 590142 
2018-19 23534 242135 5894485- 330308- 2546529- 1456517- 967567- 593564 
2019-20 23699 257366 6007696- 353704- 2586473- 1459437- 959243- 648839 
2020-21 23764 242405 5808640- 206487- 2498572- 1443313- 964279- 695989 
2021-22 23726 237594 6035679- 243645- 2579262- 1480339- 952143- 780290 
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स्कूली शिक्षा मे ड्रॉपआउट दर 
वर्ष           प्राइमरी(1-5)     अपर प्राइमरी(6-8)     सेकेंडरी (9-10) 
2013-14      0.41              2.55                          12.51 
 2014-15    5.61              5.81                           15.89 
2015-16    13.66            14.54                           14.00 
2016-17   2.1                6.24                              15.56 
2017-18   4.45             4.68                              17.05 
2018-19   00                1.9                                14.8 
2019-20   00                1.8                                13.3 
2020-21   2.1               00                                 14.3 
2021-22   00               0.2                                 5.9 
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12June-2023

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