सोमवार, 12 जून 2023

चौपाल: हरियाणवी संस्कृति में सात समंदर पार गूंजी विकास की रागणी

अपनी संस्कृति की मूल जड़ो के प्रति समर्पित रागणी कलाकार विकास हरियाणवी 
        व्यक्तिगत परिचय 
नाम: विकास हरियाणवी सातरोड़ 
जन्मतिथि: 21 अगस्त 1989 
जन्म स्थान: हिसार (हरियाणा) शिक्षा: बीटेक मैकेनिकल 
संप्रत्ति: हरियाणवी लोक कलाकार 
पिता का नाम: श्री रमेश कुमार
संपर्क: 9812504941, 7015647195 
By-- ओ.पी. पाल 
रियाणा की परंपरागत लोक संगीत की रागनी शैली के माध्यम से कलाकार और गायक अपनी लोक कला एवं संस्कृति को जीवंत रखने के लिए सात समंदर तक धूम मचा रहे हैं। ऐसे ही लोक कलाकारों में शुमार युवा रागणी कलाकार विकास हरियाणवी सातरोड अपनी संस्कृति की मूल जड़ो के प्रति समर्पित होकर अपनी कला का प्रदर्शन करने में जुटे हुए हैं। सामाजिक सरोकार के मुद्दों पर आधारित अपनी रागणियों के माध्यम से समाज को सकारात्मक विचाराधारा का संदेश देकर यह संदेश दे रहे हैं कि लुप्त होने के कगार पर जा रही हरियाणवी लोक कला, संस्कृति, सभ्यता, संस्कार, रीति रिवाज और भाषा को जीवंत रखने के लिए युवा पीढ़ी को प्रेरित करना कितना जरुरी है। हाल ही में आस्ट्रेलिया में अपनी रागणी गायकी का प्रदर्शन करके हरियाणवी संस्कृति की छटाएं बिखेरने वाले विकास हरियाणवी ने अपनी लोक कला के सफर को लेकर हरिभूमि संवाददाता से बातचीत में कई अनुछुए पहलुओं को उजागर किया, जिसमें हरियाणवी संस्कृति को जिंदा रखना इस सामाजिक जीवन में कितना महत्वपूर्ण है। 
रियाणा के युवा रागणी कलाकार विकास हरियाणवी का जन्म 21 अगस्त 1989 को हिसार में रमेश कुमार के यहां एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। परिवार में किसी प्रकार का कला का कोई माहौल नहीं था और परिवार मे संगीत के प्रति किसी की रुचि नहीं थी, जहां परिवार के ज्यादातर सदस्य सरकारी नौकरी में कार्यरत हैं। फिर भी ऐसे परिवार से निकले विकास ने लोक संगीत के क्षेत्र में एक रागनी कलाकार के रुप में लोकप्रियता हासिल की है, उसकी पृष्ठभूमि में खुद विकास हरियाणवी बताते हैं कि उन्हें कला के तौर पर कुछ भी विरासत में नहीं मिला। हां बचपन में जब वह 13-14 साल आयु के थे, तो पड़ोस में हो रहे एक सत्संग को सुनकर उन्हें संगीत के प्रति रुचि होने लगी, जबकि उनका परिवार आज भी रागणी नहीं सुनता। इसलिए बचपन से रुचि को प्रोत्साहन तो क्या परिवार की मंजूरी तक न मिलने की वजह से वह कुछ करने के लिए बेबस रहे। वर्ष 2007 में कालेज में आयोजित यूथ फेस्टिवल में उन्होंने एक रागणी की प्रस्तुति दी, तो उसे बेहद पसंद किया गया और निदेशक ने खुश होकर शायद सम्मानित किया तथा उसके पूरे कोर्स की फीस माफ तक कर दी। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ा और वह धीरे धीरे ऐसे सांस्कृतिक मंचों पर जाता रहा। लोक गायकी के शुरुआती दौर में हरियाणा के अलावा देश के अन्य राज्यों के शहरों में भी उसे मंचों पर रागणी गाने का मौका मिला, तो हरियाणा के श्रोताओं ने भी स्वीकार कर मान सम्मान दिया। विका ने बताया कि रागणी गायन में समाजिक सरोकार के मुद्दे उनका प्रमुख फोकस रहा है, ताकि बिगड़ते सामाजिक ताने बाने से बाहर निकालकर समाज को विसंगतियों के प्रति जागरुक किया जा सके और समाज को सकारात्मक विचाराधरा के साथ अपनी संस्कृति से जुड़े रहने का संदेश मिले। हरियाणवी लोक संस्कृति की मूल जड़ों से जुड़े रहने का संदेश देते हुए उन्होंने समाज को नया आयाम देने का प्रयास किया है। बचपन से ही रागणी गाते आ रहे विकास हरियाणवी ने लोक गायकी को 2014 में प्रोफेशनल के तौर पर अपनाकर रागनी गायकी को विस्तार दिया, जिसका नतीजा उनकी कला को अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक लोकप्रिय बनाने में सामने है। विकास सातरोड ने आर्य समाज से जुड़कर समाज में अच्छे संस्कारों खासकर नशे की तरफ बढ़ते युवाओं में नई चेतना जागृत करके उन्हें अपने पसदींदा क्षेत्र में कामयाबी हासिल करने के मकसद से प्रचार प्रसार किया। आज भी वे देश के विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अपनी प्रस्तुति दे रहे हैं। सूरजकुंड और गीता जयंती के अलावा साल 2018 में कोलकाता हावड़ा ब्रिज पर समुद्री जहाज में लोक गीतों की प्रस्तुति देकर श्रोताओं के दिलों में अपनी जगह बनाई। 
विदेशों में भी बिखरे संस्कृति के रंग 
लोक कलाकार विकास ने एक रागनी गायक के रुप में हाल ही में आस्ट्रेलिया के मेलबर्न शहर में अपने गुरु रमेश कलावड़िया व टीम के साथ अपनी कला का प्रदर्शन किया। आस्ट्रेलिया में बसे हरियाणा के लोगों के यूनाइटेड हरियाणवी संगठन ने हरियाणवी की पारंपरिक लोक संगीत रागणनी शैली के इन कलाकारों को सांस्कृतिक प्रस्तुति के लिए विकास और रमेश को आमंत्रित किया गया, जहां विकास हरियाणवी और उनके गुरु रमेश कलाहवड़ के नेतृत्व में रागिनी की पूरी टीम ने अपनी कला का जलवा बिखेरा, जहां हरियाणा के अलावा पंजाब व राजस्थान के लोगों ने हरियाणवी कलाकारों व टीम के वाद यंत्रों के साथ हरियाणवी लोक संस्कृति की छाप छोड़ी। विकास हरियाणवी इससे पहले एक बार दुबई तथा कतर में भी अपनी कला का रंग बिखेर चुके हैं। 
सम्मान व पुरस्कार 
रागिनी कलाकार विकास हरियाणवी खुद बीटेक मैकेनिकल है, लेकिन हरियाणवी लोक कला व संगीत और संस्कृति को लेकर अपनी रागणी शैली के जरिए उत्कृष्ट योगदान देने के लिए उन्हें साल 2023 में एक्सीलेंस अवार्ड से नवाजा गया है। इससे पहले वे बीटेक करने के दौरान ही अपनी कला के लिए लगातार दो साल ऑल ओवर बेस्ट कलाकार का अवार्ड हासिल कर चुके हैं। रागणी कंपीटिशन में राज्य व जिला स्तर पर कई बार पहला पुरस्कार ले चुके हैं। इसके अलावा देश के विभिन्न राज्यों व शहरों में लोक संगीत के मंचों पर उन्हें अनेक पुरस्कार मिले हैं। तो वहीं विदेशों में भी वे सम्मान पाने का गौरव हासिल कर चुके हैं। रागणी गायक की बदौलत ही उन्हें हरियाणा सरकार ने हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण में नौकरी देकर सम्मान दिया है। 
जीवंत रहेगा लोक संगीत 
रागणी गायक विकास ने आज के आधुनिक युग में लोक कला व संस्कृति के सामने आ रही चुनौतियों को लेकर कहा कि आज के आधुनिक युग में लोक कला व लोक गीत बहुत ही लोप होते जा रहे हैं, यदि लोक कला कुछ जीवित भी है, तो उसको माडर्न तरीके से पेश किया जा रहा है, जिसमें पंजाब के गीत संगीत का असर काफी हद तक हरियाणा के युवाओं को प्रभावित करता नजर आ रहा है। लेकिन लोक गीत व लोक कला कभी समाप्त नहीं होगी, भले ही श्रोता कम होते जा रहे हों। वैसे भी रागणी श्रोता आज के युग में बहुत सीमित रह गए हैं और आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों में श्रोताओं की मौजूदगी कम होने लगी है। इसका कारण यह भी है कि इस तकनीकी युग में इंटरनेट व मोबाइल के माध्यम से भी रागणी सुनने वालों की कमी नहीं है। इसके लिए लोक कलाकार भी कम जिम्मेदार नहीं है, जो लोक संगीत में पॉप और पंजाबी या पाश्चत्य संस्कृति के आकर्षण की वजह से पं लख्मीचंद के समय से अब तक भी इस क्षेत्र में कुछ नयापन नहीं ला पाए। 
संस्कृति से जुड़े युवा पीढ़ी 
आज के युग में युवाओं की रूचि कम होने से समाज से आज लोक संस्कृति लुप्त होती जा रही है। द्विअर्थी गीत और रागणी चुटकुले काफी हद तक सामाजिक सीमाएं लांघ कर प्रचारित किए जा रहे हैं, जिसके लिए ऐसे कलाकार भी जिम्मेदार हैं, जो केवल शॉर्टकट से सस्ती लोकप्रियता चाहते हैं। जबकि युवाओं को अपनी संस्कृति और संस्कारों से जोड़ने के लिए कलाकारों का दायित्व है कि वे अच्छी कला की प्रस्तुति के साथ सोशल मीडिया के माध्यम से अच्छे संदेश दें। तभी युवा पीढ़ी को लोक कला व संस्कृति से जोड़े रखना संभव है और संस्कृति भी जीवंत रहेगी, तो अच्छे संस्कारों से समाज को भी नई दिशा मिलेगी। इसके प्रति युवाओं को प्रेरित करने के लिए सोशल मीडिया के माध्यम से अच्छे संदेश देना और अच्छे कला की प्रस्तुति करना कलाकारों का भी दायित्व है। 12June-2023

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