सोमवार, 7 नवंबर 2022

चौपाल: कैनवास पर रंगों की तकनीक से शक्तिसिंह को मिली बड़ी पहचान

देश विदेश में संग्राहलयों व प्रसिद्ध हस्तियों के यहांं शोभा बढ़ा रही हैं कला कृतियां 
-ओ.पी. पाल 
राष्ट्रीय स्तर के प्रसिद्ध चित्रकार शक्तिसिंह अहलावत ने दृश्य कला के क्षेत्र में अपने रंगों की रचनाओं का जिस प्रकार से विस्तार किया है, उसमें कैनवास पर प्रोट्रेट, स्केच, ऑयल और वाटर पेंटिंग जैसी आर्ट की विभिन्न विधाओं में रंगों का अभिनव प्रयोग करते हुए कला में तकनकी प्रयोग को नया आयाम दिया है। इसी प्रभावशाली कला की बदौलत अहलावत की कलाकृतियां देश-विदेश की आर्ट गैलरियों, संग्राहलयों और नामी हस्तियों के निजी आवासों और कार्यालयों की भी शोभा बढ़ा रही हैं। हरियाणा के प्रतिभाशाली प्रसिद्ध चित्रकार शक्तिसिंह अहलावत कला के इतिहास, सौंदर्यशास्त्र, प्रकृति, छाया चित्रण, फोटोग्राफी जैसे हरेक विधा में कैनवास पर प्राकृतिक रंगों की इस तकनीकी कला के प्रति युवाओं में हुनर के रंग भरने में जुटे हैं। 
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देश के सुविख्यात चित्रकारों में शुमार रोहतक सन सिटी के निवासी शक्तिसिंह अहलावत ने हरिभूमि संवाददाता से विशेष बातचीत के दौरान कला सर्वव्यापी बताते हुए कहा कि कलाकार और वैज्ञानिक में समानता होती हैं। कला लोगों की मानसिकता व सोच को सकारात्मक रुप में बदलने में सक्षम है। जहां तक इस आधुनिक युग में कला के क्षेत्र में चुनौतियां का सवाल है, आज भी फाइन आर्ट एक संवेदनशील चित्रण के साथ युवा पीढ़ियों पर सकारात्मक प्रभाव छोड़ने के लिए अहम है। मसलन जिस कहानियों को शब्दों में लिखा जाता है, उसी कहानी को चित्रण के लिए रचनात्मक सोच को प्रोत्साहित किया जा सकता है। कला के इतिहास और सौंदर्यशास्त्र की कला तकनीक पर संवेदनशील अहलावत का कहना है कि हमारे इतिहास और पौराणिक कथाओं से जुड़ी कहानियों को कला यानि चित्रण के माध्यम से एक नए दृष्टिकोण से देखने में मदद मिलती है। अहलावत का मानना है कि कला के क्षेत्र में प्रकृति, पर्यावरण या राष्ट्रभक्ति से प्रेरित संदेश भी कैनवास के रंग समाज में नई दिशा देने में अहम भूमिका निभाने में सक्षम है। कला के क्षेत्र में विभिन्न विधाओं के लिए लंबे संघर्ष के बाद इस मुकाम तक पहुंचे मशहूर चित्रकार अहलावत का मानना है कि अन्य कलाकारों से विचारों का आदान प्रदान करने से कला के क्षेत्र में कुछ नया प्रयोगात्मक काम करने में मदद मिलती है। उनका निरंतर प्रयास रहता है कि वे कुछ इस क्षेत्र में नए तरीकों को खोजकर उन्हें कला के रूप में विकसित किया जाए। उनके मुताबिक कैनवास पर चित्रकला के लिए रंगों के रूप में रोली, महेंदी, घेरू, हल्दी, काजल जैसे प्राकृतिक उत्पादों का भी इस्तेमाल पर होता है। देश विदेशों में आयोजित कला महोत्सव और कला प्रदर्शनियों में उनकी कलाकृतियों को प्रदर्शित किया जाता है। 
व्यक्तिगत परिचय 
हरियाणा के रोहतक जिले में महम के गांव बेहल्बा में आठ अप्रैल 1967 को जगमाल सिंह के परिवार में जन्मे शक्तिसिंह अहलावत ने चंडीगढ़ के गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ आर्ट्स से मास्टर डिग्री के बराबर बीएफए(पेंटिंग) में पांच वर्षीय डिग्री कोर्स किया है। यहीं से उनकी धर्मपत्नी श्रीमती सुरेखा अहलावत ने भी इसी संस्थान से बीएफए(पेंटिंग) की डिग्री ली है। माता पिता के संस्कार उनकी पुत्री अनुकृति ने भी कॉलेज ऑफ आर्ट्स चंडीगढ से ही फाइन आर्ट में एमएफए करके मास्टर डिग्री हासिल की है, तो वहीं उनके पुत्र ईश अहलावत भी आर्किटेक्ट बनने की राह पर हैं। मसलन पूरा परिवार कला के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने में जुटे हुए हैं। पेंटिंग के शौंक के बारे में उन्होंने बताया कि जब तीसरी कक्षा में थे तो उन्होंने महात्मा गांधी पर एक लेख देखा, जिसके साथ गांधी और उनकी रेखाचित्र पर ध्यान केंद्रित किया, जिसमें दो चार लाइनों से गांधी जी का चेहरा सामने आ रहा था। वह भी मंत्रमुग्ध होकर उसी का अभ्यास करने लगे। उनकी आंतरिक पुकार ने उन्हें गांव के बुजुर्गो के रेखाचित्र बनाने के लिए प्रेरित किया और इसके लिए उन्हें गांव में आस पड़ोस से जो प्रशंसा मिली तो उनका आत्मविश्वास ऐसा बढ़ा कि अब कला का यह शौक उनका पेशा बन चुका है। उन्होंने विज्ञान के साथ साथ कला में ज्यादा ध्यान केंद्रित किया। धीरे धीरे वे पेंटिंग की हर विद्या में परिपक्व हो गये। हालांकि फाइन आर्ट में उनकी शुरूआत पोट्रेट से व्यक्ति के चेहरे बनाने से ही हुई। अहलावत ने बताया कि उन्होंने प्रीइंजिनिरिंग भी की है, लेकिन उनका रुझान कला के क्षेत्र में ही है, हालांकि आज भी वे सांइस की किताबों को पढ़ते हैं। वहीं उन्होंने विश्वस्तरीय चित्रकारों की कलाकृतियों से प्रेरित होकर विभिन्न विधाओं की किताबों का अध्ययन भी किया। कला के क्षेत्र को अपना पेशा बनाने के साथ ही वह फाइन आर्ट के क्षेत्र में विभिन्न कार्याशालाओं में युवा पीढ़ी को भी पेंटिंग के गुर सीखाकर कला का विस्तार कर रहे हैं। वहीं वे अतिथि लेक्चरार के रूप में भी विभिन्न शैक्षिक संस्थानों में फाइन आर्ट में रंगों की तकनीकी जानकारी भी छात्रों को देते आ रहे हैं। 
कला की विधाओं में निपुण 
चित्रकार शक्तिसिंह अहलावत कला की विभिन्न विधाओं में निपुण हैं। कला की इस विधा में सिरेमिक, ड्राइंग, पेंटिंग, मूर्तिकला, प्रिंटमेकिंग, डिजाइन, शिल्प, फोटोग्राफी, वीडियो, फिल्म निर्माण और वास्तुकला जैसे रूप दृश्य कलाएं हैं। दृश्य कलाओं के भीतर शामिल औद्योगिक कला, ग्राफिक डिजाइन, फैशन डिजाइन, आंतरिक डिजाइन और सजावटी कला जैसी कलाओं के अलावा कई कलात्मक विषयों के तहत प्रदर्शन कला, वैचारिक कला, वस्त्र कला में दृश्य कला के पहलुओं के साथ-साथ अन्य प्रकार की कलाएं शामिल हैं। 
कैप्टन अमरेन्दर का कला प्रेम 
सुविख्यात चित्रकार शक्तिसिंह अहलावत ने बताया कि पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्दर सिंह एक बड़े कला प्रेमी है, जिन्होंने उनकी चित्रकारी और फाइन आर्ट को सबसे ज्यादा पसंद किया। वहीं उन्होंने अपने कार्यालय, आवास और म्यूजियम में उनकी सैकड़ो पेंटिंग बनवाकर लगाई हुई है। उन्होंने ही उन्हें पंजाब सरकार के म्यूजियम में पेंटिंग का कांट्रेक्ट देकर सबसे ज्यादा पेंटिंग बनवाई हैं। हालांकि अप्रवासी भारतीयों को भी उनकी पेंटिंग पसंद आ रही हैं। उन्होंने बताया कि तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और प्रणव मुखर्जी के प्रोट्रेट भी उन्होंने राष्टपति भवन में मौके पर बनाए हैं। यही नहीं उन्होंने देश के ज्यादातर शासकों और राष्ट्रपति व प्रधानमंत्रियों के पोट्रेट बनाकर कला में नए आयाम के साथ रंग उकेरकर समाज को भी नई दिशा देने का प्रयास किया है। कला में निपुणता और सटीकता के कारण उनकी कला की सबसे अधिक मांग है। 
फोटो प्रदर्शनियों का आकर्षण 
चित्रकला के रूप में बड़ी पहचान बना चुके शक्तिसिंह अहलावत की देश के विभिन्न शहरों में दर्जनों व्यक्तिगत कला प्रदर्शनियों के अलावा उनकी मुंबई में पांच, नई दिल्ली में दो और चंडीगढ़ में तीन समूह चित्र प्रदर्शियां अयोजित हो चुकी हैं। उनके आवास में लगी कलाकृतियों को आने वाला हर कोई अतिथि देखे बिना नहीं रहता, जो उनकी चित्रकारी की विभिन्न विधाओं का तकनीकी प्रयोग साबित करता है। उनकी कई कलाकृतियां निजी संग्रह के साथ भारत और विदेशों में 'मास्टरवर्क्स इंटरनेशनल' सहित यूके में स्टूडियोज की भी शोभा बढ़ रही हैँ। वहीं उन्होंने यूनाइटेड के किंग जॉर्ज पंचम के चित्र किंगडम और उनकी पत्नी, क्वीन मैरी को के लिए भी पोट्रेट बनाया था। 
कार्यशालाओं में हिस्सेदारी 
चित्रकार अहलावत ने महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक में दो बार , हरियाणा स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फाइन आर्ट रोहतक, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, राजकीय महिला कालेज रोहतक, राजकीय कालेज अंबाला, नेशनल ललित कला अकादमी और एनजेडसीसी की मोरनी हिल्स में समय समय पर आयोजित नेशनल पेंटिंग वर्कशाप के अलावा हरियाणा कला परिषद, चंडीगढ़ कला अकादमी जैसी कला संस्थाओं द्वारा आयोजित राज्य स्तर की वर्कशाप में हिस्सेदारी की है। यही नहीं यूजीसी और हरियाणा उच्च शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित लगभग सभी पेंटिंग वर्कशाप में उन्हें अपनी कला का प्रदर्शन करने का सौभाग्य मिला है। 
पुरस्कार व सम्मान 
कला के क्षेत्र में हरियाणवी लोककला व संस्कृति में रंग भरने के लिए हरियाणा सरकार ने वर्ष 2010 में मनजीत बावा सम्मान से नवाजा है। पंजाब ललित कला अकादमी सम्मान-1993, पोट्रेट पेंटिंग आर्ट ऑफ इंडिया लुधियाना से विशेष सम्मान-1990, डा. अंबेडकर अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट चंडीगढ़ का भारत कला रत्न सम्मान-1991, जीसीए चंडीगढ़ का अमृता शेरगिल सम्मान-1991, बैंक ऑफ पंजाब चंडीगढ़ से पुरस्कृत के अलावा अहलावत ने नेशनल ललित कला अकादमी मिजोरम के अल्जव्ल में 2010 में आयोजित नेशनल आर्ट फेस्टिवल में हरियाणा का प्रतिनिधित्व किया और राष्ट्रीय संग्रालय में पेंटिंग कार्य किया। 
यहां लगी हैं कलाकृतियां 
सुविख्यात चित्रकार शक्तिसिंह की विभिन्न विधाओं में पेंटिंग कृतियां नेशनल ललित कला अकादमी दिल्ली, राजकीय संग्राहलय चंडीगढ़, नेशनल गैलरी ऑफ पोट्रेट चंडीगढ़, वार म्यूजियम लुधियाना, धरोहर म्यूजियम कुरुक्षेत्र विश्विवद्यालय, राजभवन हरियाणा चंडीगढ़, डा. दीवान सिंह खेलेपानी म्यूजियम एंड लाइब्रेरी पोर्ट ब्लेयर, पुलिस म्यूजियम मधुबन करनाल, एनजेडसीसी पटियाला, वेस्टर्न कमांड चंडी मंदिर, पंजाब भवन नई दिल्ली, टैगोर आडोटेरियम एमडीयू रोहतक की शोभा बढ़ा रही हैं। पूर्व राष्ट्रपति स्व. डा. एपीजे अब्दुल कलाम के अलावा मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचन्द्रा रामगुलाम के अलावा देश की राजनीतिक हस्तियों सोनिया गांधी, कुमारी सैलजा, किरण चौधरी, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र हुड्डा के यहां भी उनकी कलाकृतियां लगाई हुई हैं। वहीं फिल्म हस्तियों में शबाना आजमी, सरिता जोशी, राकेश बेदी, शशि रंजन और आह जिंदगी मैग्जीन में भी प्रदर्शित है। इसके अलावा कला प्रेमियों ने उनकी पेंटिंग को अपने घरों और संस्थानों में स्थान दिया है। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्दर सिंह उनकी कला के इतने बड़े फैन हैं कि आज तक उन्होंने ही सबसे ज्यादा पेंटिंग बनवाकर उनके पेशे को पंख लगाए हैं। 
07Nov-2022

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