सोमवार, 21 नवंबर 2022

मंडे स्पेशल: हरियाणा में थमने का नाम नहीं ले रहा कुत्तों का 'आतंक'

हरियाणा में दस फीसदी बढ़ी आवारा कुत्तों की तादाद इंसानों पर हर रोज हो रहे सैकड़ो लोगों पर कुत्तों के हमले 
ओ.पी. पाल.रोहतक। सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्यों से पिछले सात सालों में कुत्ते से काटने घायल या मौत के शिकार हुए लोगो के आंकड़े तलब करने से चौतरफा घमासान मचा हुआ है। गुरुग्राम में उपभोक्ता फोरम में विदेशी कुत्ते के काटने की एवज में एक पीड़ित महिला को दो लाख का मुआवजा देने के बाद हरियाणा सरकार ने भी कुत्ता या बिल्ली पालने के नियमों को सख्त करते हुए नए दिशा निर्देश जारी कर दिये हैं। इन नए नियमों के तहत बिना लाइसेंस लिए ऐसे जानवर पालने पर जेल तक की हवा खानी पड़ सकती है। हरियाणा में पालतू और आवारा कुत्तों के हमले इस कदर बढ़ रहे हैं, कि इसी मौजूदा साल में कई बच्चों व महिलाओं समेत कुत्तों के काटने से मरने वालों का आंकड़ा दो अंकों तक पहुंच गया है, जबकि कुत्ते के काटने से जख्मी होने वालों की संख्या इसी से लगाई जाती है कि हरियाणा के हर जिले के अस्पतालों में हर दिन दर्जनों लोग कुत्ते के काटने का इलाज या एंटी रेबीज के इंजेक्शन लेने आते हैं। देश में बीसवीं पशु गणना में जिन सत्रह राज्यों में आवारा कुत्तों की तादाद बढ़ी है उनमें हरियाणा में भी सात साल में करीब दस फीसदी बढ़कर 4.65 लाख पहुंच गई है। 
रियाणा में कुत्तों के काटने के मामले बढ़ रहे हैं, जिसमें औसतन हर जिले में कई दर्जन मामले कुत्ते के काटने के आ रहे हैं। हरियाणा सरकार ने कुत्तो के शौकीनों पर लगाम कसने के लिए नए नियमों को जारी किया है। मसलन हरियाणा सरकार के प्रदेश में कुत्तों के काटने की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर पिछले महीने ही जारी नियमों के मुताबिक अब प्रदेश में कोई भी शख्स बिना अनुमति यानी लाइसेंस लिए बिना कुत्ता, बिल्ली और किसी पक्षी को नहीं पाल सकेगा। नियमों व शर्तो का उल्लंघन करने पर 5 हजार तक का जुर्माना और जेल भी हो सकती है? इन नए नियमों में स्पष्ट कहा गया है कि कुत्तों को सार्वजनिक स्थान पर ले जाने से पहले उनके मुंह पर मुखौटा लगाना अनिवार्य होगा। वहीं एक मकान मालिक सिर्फ एक ही कुत्ता रख सकेगा। कुत्ता या अन्य जानवर पालने के लिए लाइसेंस लेने के लिए हरियाणा के ‘सरल पोर्टल’ पर आवेदन करना होगा। 
सुप्रीम कोर्ट भी हुआ सख्त 
 सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने ही 12 अक्टूबर को पशु कल्याण बोर्ड से पिछले 7 साल में कुत्ते के काटने से हुई मौतों पर आंकड़े पेश करने के निर्देश दिये और राज्यवार कुत्ते के काटने से लोगों की मौत और घायल होने के साथ ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उठाए गये कदमों का हिसाब मांगा है। गौरतलब है कि देशभर में मौजूदा साल में अभी तक 14,50,666 लोगों को कुत्तों ने काटकर घायल किया है, जबकि 2021 में 17,01,133, साल 2020 में 46,33,493 और वर्ष 2019 में 72,77,523 लोगों को कुत्तों ने काटा है। 
ग्यारह विदेशी नस्लों पर प्रतिबंध 
गुरुग्राम की फोरम के फैसले पिछले सप्ताह एक पालतू कुत्ते के हमले में घायल हुई महिला को दो लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा देने के आदेश के साथ ही अमेरिकन पिट-बुल टेरियर्स, डोगो अर्जेन्टीनो, रॉटवीलर, नीपोलिटन मास्टिफ, बोअरबेल, प्रेसा कैनारियो, वुल्फ डॉग, बैंडोग, अमेरिकन बुलडॉग, फिला ब्रासीलेरो और केन कोरो जैसी 11 विदेशी नस्लों के पालतू कुत्तों पर तत्काल प्रभाव से पूर्ण प्रतिबंध लगाने के ओदश दिये। 
मुआवजा देने का प्रावधान वहीं हरियाणा सरकार ने बताया कि राज्य में कुत्ते के काटने से मौत होने पर 50 हजार से एक लाख रुपये तक मुआवजा मिलता है। घायल के लिए निशुल्क इलाज की व्यवस्था का प्रावधान है। बाइक सवार के पीछे दौड़ पड़ते हैं। राह चलते लोगों को भी काटने के लिए दौड़ते हैं। आवारा कुत्तों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन न तो इन्हें पकड़ने का कोई इंतजाम है और न ही नसबंदी करने का। 
हरियाणा में पशु कल्याण बोर्ड का गठन 
हरियाणा सरकार ने पशु पालन एवं डेयरी विभाग में पशुओं के कल्याण के लिए हरियाणा राज्य पशु कल्याण बोर्ड का गठन किया हुआ है। यह बोर्ड पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम अधिनियम-1960, पंजाब गाय वध(हरियाणा संशोधन) का निषेध अधिनियम-1980, मवेशी अपराध अधिनियम-1871 और हरियाणा राज्य में लागू पशु कल्याण के लिए अन्य अधिनियम व विनियम का उचित कार्यान्वयन सुनिश्चित करता है। 
प्रदेश में इस साल के प्रमुख हमले 
हरियाणा में हर रोज दो दर्जन से ज्यादा मामले कुत्तों के काटने के आ रहे हैं, जिसमें आवारा ही नहीं पालतू कुत्तों के हमले भी शामिल है। मौजूदा साल में कुरुक्षेत्र के पिहोवा में एक दस वर्षीय बच्चे की मौत हुई, तो इसी जिले के गांव चनारथल के जंगल में पेड़ के नीचे सो रहे दस साल के अमन पर आवारा कुत्तों के झुंड ने हमला करके उसका सिर व गर्दन नोच नोच कर उसे मौते के घाट उतार दिया। पिछले महीने ही 13 अक्तूबर को फरीदाबाद के बल्लभगढ़ गांव मुजेड़ी में घर के बाहर खेल रहे 10 साल के बच्चे पर पिटबुल ने हमला कर बुरी तरह से घायल कर दिया। घटना के बाद बच्चा काफी डरा हुआ है। इसी महीने रेवाड़ी के बलियार खुर्द गांव में एक महिला और उसके दो बच्चों पर पालतू पिटबुल कुत्ते ने हमला कर दिया, महिला के पैर, हाथ और सिर में 50 टांके लगे थे। जबकि अगस्त में गुरुग्राम में भी एक महिला पर एक पालतू कुत्ते ने हमला किया, जिसका महिला ने कुत्ते के मालिक के खिलाफ केस दर्ज कराया था। पानीपत में दो दिन के नवजात मासूम को कुत्ताअ जबड़ों में दबाकर ले गया और उसे मार डाला। इसी साल झज्जर जिले के बहादुरगढ़ में आवारा और पालतू कुत्तों के काटने के रोजाना करीब 50 मामले सामने आ रहे हैं। पिछले सप्ताह ही बहादुरगढ़ के बुपनिया गांव में एक 8 साल के बच्चे को कुत्ते ने बेरहमी से नोचकर लहुलुहान किया, जिसे पीजीआई रोहतक रैफर करना पड़ा। पानीपत के पत्थरगढ़ गांव में कुत्तों के कातिलाना हमले ने एक गरीब की रोजी रोटी पर ऐसी चोट मारी कि कुत्तों के काटने से उसकी 70 में से 65 भेड़-बकरियां मौत के मुहं में समा गई। आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या का यह नतीजा है कि मौजूदा समय में भी 15 से 20 लोगों के पीछे एक कुत्ता है। 
वन्य जीवों पर कुत्तों का कहर 
हरियाणा राज्य वन विभाग के अनुसार जनवरी 2016 से मई 2020 तक अकेले हिसार संभाग में 361 काले हिरण, 1641 नीलगाय, 25 मोर, 29 चिंकारा और 35 बंदरों को कुत्तों ने मार दिया। फतेहाबाद ज़िले में बडोपाल क्षेत्र और हिसार ज़िले के मंगली-रावतखेड़ा क्षेत्र में आवारा कुत्तों की वजह से स्थानीय नीलगाय और काले हिरण की आबादी ख़तरे में है। एक अध्ययन में पाया गया कि आवारा कुत्तों ने वन्यजीवों पर गिरोह बना कर हमला किया। हमले की वारदात और इन वन्य-जीवों के हताहत होने की घटना प्रजनन के मौसम में अधिक देखने को मिली, क्योंकि मादाएं अपने बच्चों पर हमले के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं। 
पांच साल में लाखों हुए रेबीज के शिकार 
हरियाणा के हिसार मंडल के चार जिलों हिसार, फतेहाबाद, भिवानी व सिरसा में जनवरी 2016 से मई 2020 तक पालतू या आवारा कुत्तों ने 27 लाख से ज्यादा लोगों को काटकर अपने हमले का शिकार बनाया है। इन जिलों एवं कस्बो के विभिन्न सरकारी अस्पतालों के आंकड़ो के अनुसार इन लोगों को एंटी रेबीज के इंजेक्शन दिये गये। एक व्यक्ति पर इन इंजक्शनों का खर्च डेढ़ हजार रुपये आता है। इस हिसाब से इस दौरान इन लाखों लोगों को एंटी रेबीज पर सरकार को करीब 40.65 करोड़ रुपये का खर्च वहन करना पड़ा है। 
देश में हर साल रेबीज से 20 हजार मौतें 
लुवासा यूनिवर्सिटी के पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट हिसार के पूर्व असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अशोक भटेजा का कहना है कि भारत में रेबीज ग्रस्त जानवरों के काटने से हर साल 20 हजार लोगों की मौतें होती हैं, जबकि विश्व में इसका आंकड़ा 60 हजार का है। रेबीज के मरीज को हवा, पानी, आग और रोशनी से डर लगने लगता है। भारत में कुत्तों या अन्य जानवरों के काटने के बाद खासतौर से ग्रामीण इलाको में काटे गए घाव के स्थान पर हल्दी, चूना और मिर्ची लगाने अंधविश्वासी परंपरा है, जो रेबीज की बीमारी को थामने की बजाए और बढ़ा देती है। यही कारण है कि कुत्तों और अन्य जानवरों जिनमें रेबीज के विषाणु पाए जाते हैं उनके काटने से लोगों की मौत हो जाती हैं। कुत्तों के काटने के अलावा नेवला, सियार, बंदर, बिल्ली और चमगादड़ के काटने से रेबीज होता है। इंसानों के साथ-साथ अगर यह जानवर भैंस, गाय, भेड़, बकरी, घोड़ा और ऊंट को भी काट ले और इनका समय पर इलाज न हो तो ये जानवर भी रेबीज की बीमारी से मर सकते हैं। 
कुत्ते के काटने पर क्या करें? 
चिकित्सकों के अनुसार, जब किसी मनुष्य को कुत्ता काट लेता है तो पीड़ित को तुरंत साफ पानी और साबुन से उस जगह को अच्छे से धो लेना चाहिए। क्योंकि कुत्तों के लार में रेबीज नामक कीटाणु होते हैं, जो जानलेवा होते हैं। इसलिए कुत्ते के काटने के बाद इंजेक्शन लगवाना बहुत ही जरूरी होता है और वैक्सीन की पूरी प्रक्रिया का पालन करना चाहिए। कुत्ते के काटने के बाद इंजेक्शन नहीं लगाने से मौत हो सकती है। पशु चिकित्सकों की मानें तो पालतू कुत्तों की अपेक्षा स्ट्रीट डॉग को रेबीज होने का खतरा ज्यादा रहता है, क्योंकि इनका टीकाकरण नहीं किया जाता। 
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वर्जन 
आवारा कुत्तों का टीकाकरण जरुरी 
प्रदेश में आवारा कुत्तों पर शिकंजा कसने के लिए लगातारउनके बधियाकरण की मांग उठाई जाती रही है। घरो में पालतू कुत्तों के टीकाकरण से ज्यादा सड़को व गलियों या जंगलों में घूमते आवारा कुत्तों का टीकाकरण बेहद जरुरी है। प्रदेश में आवारा कुत्तों पर अंकुश लगाने और इस प्रकार बढ़ रहे हमलों को लेकर पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय में एक जन याचिका दायर है और यह मामला अभी विचाराधीन है। कुत्ते काटने पर इंसान को एंटी रेबीज का टीका दिया जाता है, जो सरकारी अस्पतालों में निशुल्क है, लेकिन इंजेक्शन की कमी के कारण पीड़ितों को निजी अस्पतालों में इलाज कराना पड़ा है। इसके बावजूद सूचना के अधिकार के तहत उन्हें मिली जानकारी में पांच साल में 27 लाख से ज्यादा को सरकारी अस्पताल में कुत्ते काटने के इलाज पर एंटी रेबीज दिया गया, जिसमें सरकार का करोड़ो रुपये खर्च होता है। सरकार कुत्तो के बधियाकरण की नीति को सख्त करके इस राजस्व को बचा सकती है। 
- विनोद कड़वासरा, प्रदेशाध्यक्ष, अखिल भारतीय जीव रक्षा बिश्नोई सभा, हरियाणा 
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कुत्तो के लिए नियम में संशोधन 
केंद्र सरकार ने पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ता) नियम 2001 बनाया था, जिसे बाद में वर्ष 2010 में संशोधित किया गया था। इसके तहत कुत्तों की आबादी पर लगाम के लिए नगर निगम-पशु कल्याण संस्था या अन्य एनजीओ यदि किसी आवारा कुत्ते को गली-मोहल्ले से पकड़ती है तो बंध्याकरण के बाद उसे वहीं छोड़ना होगा, ऐसा न करना कानून अपराध है। भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड ने मनुष्य-पशु विवाद को कम करने के लिये सामुदायिक पशुओं को गोद लेने के लिये 17 मई 2022 को परामर्श भी जारी किया। चूंकि कुत्ता सबसे वफादार जानवर माना जाता है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से पालतू और आवारा कुत्तों को लेकर एक अलग ही बहस छिड़ी है, मामला इतना तूल ले गया कि कि सुप्रीम कोर्ट तक इस मसले पर राज्यों के पशु कल्याण बोर्ड से पूरा हिसाब किताब मांग लिया है। 
ये नियम भी बन रहा है बाधा 
विशेषज्ञों के अनुसार यह भी सच है कि कुत्ते अक्सर लोगों को अपना शिकार बना लेते हैं, लेकिन क्या इससे लोगों को उन्हें प्रताड़ित करने या मारने का हक मिल जाता है? यदि आपको ऐसा लगता है तो हम ये बता देते हैं कि ऐसा करना कानून अपराध है। संविधान में आम लोगों की तरह ही कुत्तों को भी जीने और भोजन पाने का अधिकार दिया गया है। यदि कुत्तों को आपसे कोई परेशानी होती है तो तय मानिए कि आप कानूनी उलझन में पड़ सकते हैं। यदि मामला क्रूरता या कुत्ते की हत्या का हुआ तौर पांच साल जेल की सजा भी भुगतनी पड़ सकती है। इन कानूनों के कुत्तों को सम्मान से जीने का अधिकार दिया गया है। पशु क्रूरता अधिनियम की धारा 428 और 429 के तहत यदि आवारा कुत्ते के साथ क्रूरता की जाती है, उन्हें मारा जाता या है या वे अपंग हो जाते हैं तो ऐसा करने वाले को पांच साल तक की सजा हो सकती है। 
मूल निवासी होने का अधिकार 
संविधान में पशु क्रूरता निरोधक अधिनियम 1960 इसमें समय-समय पर संशोधन होते रहे हैं। 2002 में हुए संशोधन के तहत आवारा कुत्तों को देश का मूल निवासी माना गया है। वह जहां भी चाहें वहां रह सकते हैं, किसी को भी उन्हें भगाने या हटाने का हक नहीं है। यदि कुत्ता विषैला है और उसके काटने का भय है, इसके बावजूद उसे मारा नहीं जा सकता, यदि ऐसा है तो उसके लिए पशु कल्याण संगठन से संपर्क करना होगा। 
भूखा और बांधकर रखने पर भी सजा 
यदि किसी कुत्ते को लंबे समय तक बांधकर रखा जाता है या उसे भोजन नहीं दिया जाता है तो ये संज्ञेय अपराध माना जाएगा, इसकी शिकायत मिलने पर तीन माह तक की सजा का प्रावधान है और किसी पालतू कुत्ते को आवारा नहीं छोड़ा जा सकता। यदि ऐसा किया गया तो ये भी पशु क्रूरता अधिनियम में आएगा, तब भी संबंधित व्यक्ति को तीन माह तक की जेल हो सकती है। 
कुत्ता पालने के भी हैं नियम 
यदि कोई कुत्ता पालने का शौक रखता है, उसे कई नियमों का पालन भी करना होगा. सबसे पहले उसे अलग-अलग तरह की वैक्सीन तय समय पर लगवाना होगा. इसके अलावा दरवाजे पर ‘कुत्ते से सावधान’ का बोर्ड लगाना होगा. यदि आप उसे सोसायटी या पार्क में टहलाने ले जाते हैं तो उसके मुंह पर मजल यानी की मास्क जरूर लगाएं ताकि वो किसी को काट न सके। 
8 करोड़ से ज्यादा हैं आवारा कुत्ते 
भारत में कुत्तों की आबादी लगातार बढ़ती जा रही है, स्टेटिटा वेबसाइट के मुताबिक भारत में पालतू कुत्तों की संख्या 2.5 करोड़ के आसपास है जो 2023 में बढ़कर तीन करोड़ तक पहुंच जाएगी, इसी तरह आवारा कुत्तों की संख्या भी 8 करोड़ से ज्यादा है। 
21Nov-2022

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