सोमवार, 28 नवंबर 2022

साक्षात्कार: साहित्य जगत में नंदिनी बनी युवाओं की प्रेरणा स्रोत

पर्यावरण का जुनून से नवोदित रचनाकार ने बिखेरे रंग
-ओ.पी. पाल
व्यक्तिगत परिचय 
नाम: नंदिनी 
जन्म: 22 जून 2002 
जन्म स्थान: गांव एवं डाकघर पुंसिका, जिला रेवाड़ी(हरियाणा) 
शिक्षा :बीए (आनर्स अंग्रेजी) अध्यनरत, दिल्ली विश्वविद्यालय 
संप्रत्ति: कॉलेज की विद्यार्थी, कहानीकार के रूप में लेखन कार्य 
उपलब्धि: ब्रांड एम्बेसडर पर्यावरण, जिला रेवाड़ी, 
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रियाणा में शायद बहुमुखी प्रतिभा की धनी नवोदित कहानीकार नंदिनी सबसे कम उम्र की ऐसी परिपक्व रचनाकार है, जिसने साहित्य, कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में उस समय मौलिक लेखन की दस्तक दी, जि उम्र में उसके खेलने कूदने के दिन होने चाहिए। यानी कक्षा सातवीं की पढ़ाई करते हुए मौलिक लेखन करने वाली प्रतिभाशाली बाल रचनाकार ने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी बहुआयामी कलात्मक उपस्थिति दर्ज कराई। खासतौर से ‘बुलबुल पंख’ नामक एक बाल कहानी संग्रह की रचना करके साहित्य जगत में अपनी गहरी पैठ बनाई। वह हिंदी तथा अंग्रेजी दोनों भाषाओं में कविताएं भी लिखती हैं, लेकिन साहित्य के क्षेत्र में कहानी लिखने की विधा सबसे प्रिय है। उनके लिखित कहानी संग्रह ‘बुलबुल पंख’ के लिए हरियाणा साहित्य अकादमी ने नंदिनी को स्वामी विवेकानंद स्वर्ण जयंती युवा लेखक सम्मान से अलंकृत किया है। साहित्य क्षेत्र के साथ सामाजिक सरोकारों से जुड़े मुद्दों में पर्यावरण के प्रति संवेदनशील होने के साथ नृत्य, घुड़सवारी, पेंटिंग, गायन जैसे क्षेत्र में प्रतिभाओं का प्रदर्शन करने वाली रचनाकार नंदिनी ने हरिभूमि संवाददाता से बातचीत के दौरान अपने जिन अनुभवों को साझा किया है, उनसे यही साबित होता है कि समाजिक सरोकारों से जुड़े मुद्दों पर साहित्य लेखन करके नए आयाम गढ़ने में बुलंदियों पर होगी। 
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हिंदी साहित्य जगत में हिंदी संवर्धन कर रहे विद्वानों, साहित्यकारों और लेखकों में नवोदित रचनाकार के रूप में लोकप्रिय हुई नंदिनी का जन्म 22 जून 2002 को प्रदेश के रेवाड़ी जिले के गांव पुंसिका में रवि कुमार के परिवार में हुआ। वर्तमान में उनका परिवार दक्षिणी हरियाणा अहीरवाल क्षेत्र में रेवाड़ी शहर के विकास नगर (कंकरवाली) में रहता है। नंदिनी की माता डॉ. कमलेश कुमारी शहर के अहीर कॉलेज में हिंदी विभाग में सहायक प्रोफेसर हैं, जबकि पिता एक प्राइवेट कंपनी में कार्यरत है। फिलहाल नंदिनी दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेजी ऑनर्स की बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा है, जिसका अभी से सिविल सेवा के प्रति गंभीर मकसद भी है। युवा महिला रचनाकार नंदिनी बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि की घनी रही है। वह हिंदी तथा अंग्रेजी दोनों भाषाओं में कविताएं भी लिखती हैं, लेकिन साहित्य के क्षेत्र में कहानी लिखने की विधा सबसे प्रिय है। उनकी अधिकतर कहानियां सामाजिक कहानियां समाज की किसी बुराई, चुनौतियों अथवा घर परिवार के रिश्तों जैसे सामाजिक सरोकार के मुद्दों पर जुड़ी हैं। स्कूल के हिंदी और अंग्रेजी सिलेबस में कहानी लेखन विषय मिलता तो उसे कुछ सांकेतिक लाइनों को वह बेहतर तरीके से कहानी पूरा करने लगी। एक तरह से यहीं से उसके कहानी लेखन की शुरूआत हुई। या यूं भी कहा जा सकता है कि शायद नानी और माता से उसकी कहानियों की प्रशंसा ने उसे साहित्यकार के रूप में जन्म दिया। यानी उसे हिंदी साहित्य की विदुषी माता डा. कमलेश से भी बचपन में ही कला, साहित्य एवं संस्कृति का परिवेश एवं संस्कार मिले, बाकी नानी नरेशवती ने उसे परिपक्व करने में अहम भूमिका निभाई। 
ननिहाल में मिला साहित्यक माहौल 
युवा रचनाकार नंदिनी के बचपन का पालन पोषण ननिहाल में हुआ। दरअसल नंदिनी के जन्म के समय उनकी माता बीए द्वितीय वर्ष में पढ़ रही थी, जिसके बाद उन्होंने एम.ए. हिंदी और फिर एम.फिल. पीएच. डी. और डी. लिट. की उपाधि प्राप्त की। नंदिनी का कहना है कि नानी की देखरेख में पालन-पोषण के दौरान ही उसे बचपन में नानी की कहानियों और माता की साहित्यिक रुचि ने साहित्य के प्रति आकर्षित किया होगा। उसके भीतर बचपन में साहित्यिक गुणों का संचार करने की सूत्राधार नानी ही रही, जो प्रेमचंद की कहानियों जैसी साहित्यिक किताबों को सुनाती रहती थी। नंदिनी ने बताया कि जब वह कक्षा तीन में थी तो उसका कहानियों के प्रति उसका रुझान बढ़ता गया और चौथी क्लास में पढ़ने के दौरान उन्हें एक शिक्षक के घर से बच्चों के लिए सचित्र छपी 'पंचतंत्र की कहानियां' नामक किताब ने उसके साहित्य जीवन रंग भरने शुरू कर दिये। 
पर्यावरण के प्रति संवेदनशील 
साहित्य का सामाजिक सरोकारों से जुड़ाव और समाज से जुड़े मुद्दे भी नंदिनी की रचनाओं का आधार है। वहीं पर्यावरण की पक्षधर पोषक और सजग प्रहरी के रूप में नंदिनी को समाज को सजग करने में भी नंदिनी की भूमिका सामने है। पर्यावारण के प्रति संवेदशील नंदिनी की शैली नहीं, थैला पॉलिथीन मुक्त अभियान में एक प्रेरक की भूमिका को देखते हुए समाज ही नहीं, बल्कि जिला प्रशासन भी उसकी इस रचनात्मक कार्य का कायल नजर आया। इसलिए रेवाड़ी जिला प्रशासन नंदिनी को रेवाड़ी जिले के पॉलिथीन मुक्त अभियान का ब्रांड अंबेसडर मनोनीत करने में कोई देर नहीं की। नंदिनी ने बताया कि इस कार्य की प्रेरणा उन्हें अपनी नानी नरेशवती से ही मिली। पर्यावरण के प्रति जुनून को लेकर वह इतनी संवेदनशील है कि समय बचता उस समय कपड़े से थैले बनाकर उनका निशुल्क वितरण आज तक भी कर रही है। इसमें उसका परिवार भी उसे पूरा सहयोग कर रहे हैं। उसके कहानी संग्रह बुलबुल पंछी के अलावा हरियाणा साहित्य अकादमी की पत्रिका हरिगंधा के अनेक अंकों में उसकी कहानियां प्रकाशित हुई हैं। 
युवाओं को साहित्य से जोड़ना जरुरी 
आज के आधुनिक युग में साहित्य जगत को लेकर नंदिनी का कहना है कि साहित्य लिखा तो जा रहा है, लेकिन सोशल मीडिया पर लिखी जाने वाली पोस्ट के माध्यम से आज साहित्य का एक नया बदलता स्वरूप सामने आ रहा है। आज के साहित्यकार के समक्ष बड़ी चुनौतियां हैं। आज बाजारीकरण के बढ़ते प्रभाव में साहित्य स्वातःसुखाय साहित्य जनहिताय का दर्जा नहीं ले पा रहा है। साहित्य के पाठक भी कम होने का कारण इंटरनेट व मोबाइल में व्यस्तता बढ़ना है। यह भी सच है कि मोबाइल को जिंदगी समझने वाले आज के युवाओं की साहित्य में रुचि नहीं है। साहित्य से दूर होने के कारण संवेदनहीन होते युवाओं की सोचने समझने की शक्ति प्रभावित हुई है। ऐसे में युवाओं को साहित्य से जोड़ने की ज्यादा जरुरत है, जिन्हें प्रेरित करने के लिए अच्छे साहित्य की रचना करना आवश्यक है। 
सम्मान व पुरस्कार 
हरियाणा में नवोदित साहित्यकार नंदिनी अहीरवाल क्षेत्र से सबसे कम उम्र में हरियाणा साहित्य अकादमी के वर्ष 2020 के लिए स्वामी विवेकानंद स्वर्ण जयंती युवा लेखक सम्मान से सम्मानित हासिल करने वाली शायद पहली रचनाकार है। इस पुरस्कार में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने नंदिनी को 50 हजार रुपये नकद, शॉल, स्मृति चिह्न और प्रशस्ति पत्र भेंट कर प्रोत्साहित किया। इसके अलावा नंदिनी ने हरियाणवी लोक नृत्य, पेंटिंग तथा घुड़सवारी में राज्यस्तर तक विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजेता होकर सम्मान हासिल किया है। अपनी उपलब्धि पर नंदिनी ने अपनी नानी नरेशवती, मां डा. कमलेश, पिता रवि कुमार और अपने भाई हर्ष को अपना प्रेरणा स्रोत बताया।
28Nov-2022

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