सोमवार, 21 नवंबर 2022

चौपाल: ‘दादा लखमी’ के बालरूप में सात समंदर तक छाया योगेश वत्स

अमेरिका से मिला ‘बेस्ट चाइल्ड एक्टर्स’ का खिताब
 -साक्षात्कार:ओ.पी. पाल 
रियाणवी फिल्म ‘दादा लखमी’ में सूर्य कवि पंडित लखमीचंद की मुख्य भूमिका भले ही खुद फिल्म निर्देशक यशपाल शर्मा ने निभा रहे हों, लेकिन फिल्म में दादा लखमी के बचपन का किरदार निभाकर रोहतक के बाल कलाकार योगेश वत्स ने देश में ही नहीं, बल्कि सात समंदर तक धूम मचा लोकप्रियता हासिल की। पंडित लखमी चंद के बचपन में हूबहू बाल्य रूप के प्रदर्शन से आमजन के दिलों में जगह बनाने वाले योगेश वत्स को अमेरिका के न्यूयार्क से हरियाणवी फिल्म दादा लखमी के लिए उनके किरदार पर ‘बेस्ट चाइल्ड एक्टर’ का सम्मान भी मिल चुका है। फिल्म में करीब एक घंटे के अपने शानदार अभिनय से योगेश वत्स ने दर्शकों को अपनी रागनी गायकी से भी अपनी तरफ ज्यादा आकर्षित किया है। हरियाणवी संस्कृति और और लोककला पर आधारित किसी फिल्म में पहली बार के अभिनय में अपनी एक्टिंग और गायकी की छाप छोड़ने वाले योगाश वत्स से हरिभूमि संवाददादा की हुई खास बातचीत हुई। इस फिल्म में अपनी भूमिका से मिली लोकप्रियता से प्रफुल्लित योगेश वत्स अब अभिनय और गायकी को ही अपना कैरियर बनाना चाहता है। हरियाणा के सूर्यकवि पंडित लखमी चंद की जीवनी पर आधारित फिल्म ‘दादा लखमी’ को देखने के लिए सिनेमा घरों में उमड़ती दर्शकों की भीड़ इस फिल्म की कामयाबी की इबारत लिखती नजर आ रही है। खास बात तो ये है कि हरियाणवी संस्कृति को जीवंत करती इस फिल्म के सभी किरदारों ने रागनी के शेक्सपीयर के नाम से पहचाने जा रहे पंडित लखमी चंद के जीवन को बखूबी से अपने अपने किरदारों से लोगों को आकर्षित किया है। इन्हीं में पंडित लखमीचंद के बचपन का अभिनय कर रहे रोहतक के बाल कलाकार योगेश वत्स का किरदार लोगों के दिलों में कुछ ज्यादा ही गहरी पैठ बनाता नजर आ रहा है। इस फिल्म में अपनी दोहरी भूमिका को लेकर योगेश वत्स ने कहा कि वह इस बात से पूरी तरह से अनभिज्ञ था कि उसे फिल्म दादा लखमी में किसी भूमिका के लिए चुन लिया जाएगा। इसका कारण ऑडिशन में एक से बढ़कर एक के बीच कड़ा मुकाबला था। लेकिन जब उसे फिल्म निर्देशक यशपाल शर्मा का फोन आया कि उसका इस फिल्म में चयन कर लिया गया है, तो उसके परिवार में खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। योगेश रागनी गायक के साथ हारमोनियम से भी सुर ताल निकालने में माहिर है। 
पहली ही एक्टिंग में बजा डंका 
बाल कलाकार योगेश वत्स ने अभिनय के बारे में बताया कि वर्ष 2017 में रोहतक में हुए गायकी के ओडिशन के लिए भी मुकाबले में अनेक गायकी प्रतिभाएं शामिल हुई, लेकिन उसे रागनी गायकी में तो महारथ हासिल थी और कभी एक्टिंग नहीं की। योगेश ने 2018 में अभिनय के लिए हुए ऑडिशन में भी हिस्सा लिया, जिसमें फिल्म निर्देशक को योगेश में दादा लखमी के बचपन की भूमिका को लेकर प्रतिभा के साथ पूरे लक्षण नजर आए। इसलिए योगेश को बिना बताए इस भूमिका के लिए भी चयन कर लिया। गायकी के बाद एक्टिंग के लिए चयन ने खुद योगेश भी आश्चर्य चकित कर दिया, क्योंकि इससे पहले उसने कभी भी एक्टिंग नहीं की थी। योगेश का कहना है कि हालांकि शूटिंग के दौरान एक्टिंग में निर्देशक की डांट खानी पड़ी, लेकिन उसने जैसा कहा दादा लखमी के बचपन का अभिनय किया। अब फिल्म में योगेश की दादा लखमी के बचपन की भूमिका के साथ रागनी गायकी की चौतरफा चर्चाएं हैं, तो उसका आत्मविश्वास और हौंसले को पंख लगना लाजिमी है। इसी वजह से दादा लखमी के बाद योगेश 16 दिसंबर को रिलीज होने वाली एक बायोग्राफी फिल्म ‘डा. अजयवर्धन’ में भी अभिनय करता नजर आएगा। 
दर्दभरे संघर्ष भी नहीं डिगा हौंसला
इस बाल कलाकार योगेश के पिता नरेश वत्स ने बताया कि उनके परिवार पर ऐसा मुसीबत का पहाड़ टूटा, लेकिन परिवार ने संघर्ष करते हुए दर्दभरी जिंदगी को हौंसले के साथ आगे बढ़ाया। बकौल नरेश वत्स साल 2009 की वह घटना चाहते हुए भी भुलाना मुश्किल है। दरअसल नवरात्र के दिनों में वह अपनी पत्नी और बेटे योगेश के साथ मोटर साइकिल से बेरी में माता मंदिर गये, जहां से लौटते हुए वह दुर्घटनाग्रस्त हो गये। उस समय योगेश केवल चार साल का था, जिसके पैर में लगी चोट के कारण उसका एक पैर छोटा पड़ गया। जबकि पिता को अपनी एक टांग ही गंवानी पड़ी। इसके बावजूद पिता हरियाणवी संस्कृति की खातिर रागनी गायकी को आगे बढ़ाकर परिवार की जीविका भी चलाते रहे। 
विरासत में मिली गायकी 
योगेश वत्स का जन्म पांच मार्च 2005 को रोहतक की अमृत कालोनी में रह रहे नरेश वत्स के परिवार में हुआ। हालांकि उसके पिता गोहाना के छतैरा गांव से साल 1998 में रोहतक आ गये थे। उसके पिता नरेश कुमार वत्स यहां सुखपुरा चौक पर मोबाइल की दुकान चलाते है और मां अनीता गृहणी है। योगेश को लोकगीत और रागनी गायकी विरासत में मिली, जिसके पिता नरेश वत्स भी बचपन से रागनी के शौकीन रहे और अब रागनी गायक के रूप में पहचाने जाते हैं। पिता के नक्शे कदम पर योगेश का भी बचपन से ही रागनी के प्रति रुझान बढ़ने लगा। स्कूलों के वार्षिक समारोह में मंच पर वह रागनी गाते हुए का संगीत में माहिर हो गया। हालांकि इस फिल्म में पहली बार अपने अभिनय से वह एक अनुभवी कलाकार का संकेत दे चुका है। योगेश वत्स ने बताया कि दादा लखमी के बचपन का किरदार बेहद कठिन था, लेकिन पटकथा में निर्देशक के अनुसार उसने फिल्म के लिए रोजाना कम से कम आठ से दस घंटे काम किया, जो इस अभिनय के लिए मुश्किल डगर थी, लेकिन उसने कैरियर की खातिर ज्यादा मेहनत करने पर ध्यान दिया। फिल्म की शूटिंग के दौरान ही योगेश पर दसवीं कक्षा की पढ़ाई का दबाव भी रहा। फिलहाल वह इसी क्षेत्र में सुपवा के फाउंडेशन के लिए प्रथम वर्ष का छात्र है। 
पुरस्कार व सम्मान 
रोहतक के बाल कलाकार एवं गीतकार योगेश वत्स की हरियाणवी फिल्म ‘दादा लखमी’ में अभिनय की प्रतिभा को देखते हुए इस फिल्म के लिए उसे न्यूयार्क अमेरिका ने बेस्ट चाइल्ड एक्टिंग अवार्ड दिया है। इसके अलावा लोकगीत के लिए हरियाणा कला परिषद रोहतक से वर्ष 2017 में प्रथम पुरस्कार से नवाजा गया था। इसके अलावा अन्य मंचों व अध्यात्मिक कार्यक्रमों में स्टेज शो में इस छोटे गीतकार ने अनेक पुरस्कार हासिल किये हैं। लोकगीत के क्षेत्र में यूट्यूब चैनलों पर भी योगेश सुर्खियों में हैं। 
21Nov-2022

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें