मंगलवार, 12 जुलाई 2022

मंडे स्पेशल:अपने दम पर देश का नाम रोशन कर रहे हरियाणा के खिलाड़ी

कामयाब होने के बाद सरकार लगाती है सुविधाओं का अंबार 
जंगल नजर आते हैं गांवों के खेल स्टेडियम ओ.पी. पाल .रोहतक। 
खेलों में देश का मान सम्मान बढ़ाने में हरियाणा के योगदान को कौन नहीं जानता। प्रतियोगिता चाहे राष्ट्रीय हो या अंतरराष्ट्रीय प्रदेश के खिलाड़ियों ने न केवल पूरा दमखम दिखाया है, बल्कि सबसे आगे बढ़कर शानदार प्रदर्शन कर देश का नाम रोशन किया है। तिरंगे की शान के लिए हमारे खिलाड़ी सुबह-शाम सड़कों पर पसीना बहाते नजर आते हैं। कहने को तो सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में भी सुविधाओं का जखीरा जमा कर रखा है, लेकिन वो सब कागजों में ही है। अधिकतर गांवों में खेल स्टेडियम के नाम पर केवल जमीन ही है और उस पर कांटेदार झाड़। चंद गांवों को छोड़कर कहीं किसी कोच की नियुक्ति तक नहीं हुई है। गांव तो दूर शहर में भी कोच के सैकड़ों पद रिक्त है। ऐसे में प्रदेश को खेलों का हब बनाने और सिडनी, पर्थ जैसी सुविधाएं देने के दावे कहीं नजर नहीं आते। ऐसे हालात में प्रदेश के 6000 गांवों में खेल नर्सरी, व्यवामशाला और स्कूलों में 1100 खेल नर्सरी बनाने की बात वैसी ही नजर आती है जैसी गांवों में स्टेडियम बनाने का दावा। अगर खिलाड़ी देश का नाम रोशन कर रहे हैं तो इसके पीछे उनकी मेहनत और अभिभावकों का त्याग ही नजर आता है। हां, अगर खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर कुछ कामयाब हो जाता है तो उसके लिए सुविधाओं का अंबार खड़ा किया जा रहा है। ऐसे में अहम सवाल यही है कि होनहारों को शुरुआती तैयारी की व्यवस्था कौन करें। 
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रियाणा देश की आबादी के दो प्रतिशत हिस्से वाला राज्य है, लेकिन खेल के क्षेत्र में देश का नाम रोशन करने में अग्रणी राज्यों में शुमार है, जहां दूध-दही के खाणे ने खिलाड़ियों को ऊर्जा-खेल क्षमता दी है। युवाओं की प्राथमिकता ही हष्टपुष्ट रहना और शारीरिक ताकत हासिल करना है। तभी तो अपने बलबूते खेल क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश और सूबे का नाम रोशन कर रहे हैं। जहां तक सुविधाओं का सवाल है तो पदक लेकर आने वाले खिलाड़ियों के लिए पुरस्कारों की झड़ी तो लगा दी जाती है, लेकिन हकीकत ये है कि कॉमनवेल्थ, एशियाड और ओलंपिक जैसी अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीतकर आने वाले सूबे के अधिकांश खिलाड़ियों के गांव में सुविधाएं नहीं हैं! इसी कारण उन्हें तैयारी के लिए शहरों में स्टेडियमों या फिर सड़कों पर दौड़ते देखा जा सकता है। जिन गांवों में मिनी स्टेडिम या खेल के मैदान है तो उनकी देखरेख न होने के कारण वह जंगल के रूप ले चुके हैं। कुछ में तो उबले के बिटोड़े शोभा बढ़ा रहे हैं। यहां तक कि ओलिंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले पानीपत के नीरज चोपड़ा के गांव खंडरा में खेल मैदान नहीं है और घोषणा भी कागजों में सिमटी नजर आ रही है। इसी प्रकार दर्जनों पदक विजेता ऐसे हैं जिनके गांव में खेल मैदान तो हैं लेकिन उनकी हालत खस्ता हाल है। 
कैथल में अंतर्राष्ट्रीय हाकी स्टेडियम 
ऐसा भी नहीं कि खेल के क्षेत्र में सारी योजनाएं अधूरी हैं। कैथल जिले के गांव हाबड़ी में फ्लड लाइट के साथ एस्ट्रोटर्फ घास वाला अंतर्राष्ट्रीय हॉकी स्टेडियम शुरू हो चुका है। वहीं मुख्यमंत्री के गृह जिले करनाल में 14 करोड़ की लागत से अंतरराष्ट्रीय हॉकी स्टेडियम का निर्माण साल 2023 के शुरुआती महीनों में पूरा होने की संभावना है। गुडगांव के दौलताबाद में दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए पहला स्टेडियम बनाया गया है। फरीदाबाद के नाहरसिंह स्टेडियम का आधुनिक अपग्रेडेशन के अलावा कई शहरों में खेल परिसर बन रहे हैं, लेकिन जो दावे हो रहे हैं वे ज्यादातर कागजी नजर आ रहे हैं। 
ओलंपिक में बड़ा योगदान 
टोक्यो ओलंपिक में तो भारतीय दल में 31 यानि 24 फीसदी खिलाड़ी हरियाणा के ही थे, जिसमें भारत के हिस्से में आए सात पदकों में तीन हरियाणा ने दिलाए, जिसमें एक मात्र स्वर्ण पदक भी पानीपत के नीरज चोपड़ा ने दिलाकर इतिहास रचा। यही नहीं कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय पुरुष हॉकी टीम में भी दो हरियाणा के लाड़लों की हिस्सेदारी रही। इसी प्रकार टोक्यो पैरा ओलंपिक में भारत को मिले 19 पदकों में छह पदक हरियाणा के पांच एथेलीटों की बदौलत मिले। मसलन पिछले चार ओलंपिक में देश की झोली में आए 20 पदकों में 11 पदक अकेले हरियाणा के खिलाड़ियों ने दिलाए। 
दो दशक पहले जगा ओलंपिक प्रेम 
साल 2000 में जब कर्णम मल्लेश्वरी मेडल जीतकर आई तो तभी से राज्य की सरकार ने खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देना शुरू किया और आर्थिक मदद देने की योजनाएं भी शुरू की गई। स्कूल व कालेज में राष्ट्रीय स्तर पर पदक विजेताओं को भी नकद पुरस्कार और सुविधाएं देककर मिल रहे प्रोत्साहन का ही नतीजा है कि हरियाणा खेल के क्षेत्र में निखरकर सामने आ रहा है। करीब पौने तीन करोड़ की आबादी वाले हरियाणा में युवाओं के खेल क्षेत्र में अपनी स्पर्धाओं की तैयारी के लिए भारतीय खेल प्राधिकरण के भी अब तक 22 केंद्र स्थापित किये जा चुके हैं। 
कोचों की कमी पर भारी खिलाडी 
प्रदेश में खेल विभाग के 533 कोच है, जबकि एक जिले में अलग अलग खेलों के लिए कम से कम 50 कोच की आवश्यकता है, लेकिन प्रदेश के खेल विभाग के 15 से 20 फीसदी कोच ही खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। प्रदेश में कोचों की कमी को पूरा करने के लिए हरियाणा खेल विभाग ने एक नई योजना बनाई है, जिसमें जिला खेल विभाग को प्रत्येक कोच को 25 हजार रुपए मासिक वेतन देने का अधिकार दिया गया है। वहीं हरियाणा सरकार ने पिछले दिनों ही अपनी आउटस्टैंडिंग स्पोर्ट्सपर्सन पॉलिसी के तहत खेल विभाग में 2 कोच और 32 जूनियर कोच के पदों पर नियुक्ति की सूची जारी की है। दूसरी ओर पिछले साल हरियाणा के साई सेंटरों के लिए 220 सहायक कोच के पदों हेतु भारतीय खेल प्राधिकरण ने भी अधिसूचना जारी की है। 
खिलाड़ियों की पौध तैयार करने की पहल 
हरियाणा के के विभिन्न जिलों के स्कूलों में जूनियर स्तर खिलाड़ियों की पौध तैयार करने के मकसद से एक हजार से ज्यादा खेल नर्सरी खोलने का निर्णय लिया है, जिसमें फिलहाल 341 खेल नर्सरी में खिलाड़ियों को कोचिंग देने के लिए तैयार हैं, लेकिन अभी निजी शिक्षण संस्थानों को आवंटित की गई नर्सरियों के मानदंड का आकलन किया जा रहा है। दरअसल इससे पहले साल 2017 में भी जिलों में खेल नर्सरी खोली गई थी, लेकिन विभाग द्वारा की गई मॉनीटरिंग के बाद ग्राऊंड रिपोर्ट्स के आधार पर यह नर्सरी बंद कर दी गई। जहां कोच की कमी, खेल उपकरणों के अभाव के अलावा शिक्षण संस्थाएं मानक भी पूरे नहीं कर पा रही थी, बल्कि फर्जीवाड़ा अधिक पाया गया था। 
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वर्जन:जल्द पूरी होगी कोचों की कमी 
हरियाणा खेल विभाग खिलाड़ियों की सुविधाओं के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहता। जहां तक प्रदेश में खेल प्रशिक्षकों की कमी को दूर करने का सवाल है उसकी प्रक्रिया जारी है। प्रदेश में 500 कोचों की कमी के लिए खेल विभाग में हाल ही में आउटस्टैंडिंग स्पोर्ट्सपर्सन पॉलिसी के तहत 70 कोच भर्ती किये हैं। बाकी आगामी 15 जुलाई से निजी स्कूलों में आवंटित की गई खेल नर्सरियां शुरू हो जाएंगे, जहां से 341 कोच मिल जाएंगे। जबकि सरकारी स्कूलों में खेल नर्सरियां चल रही हैं, उनमें भी कोच खेल प्रतिभाओं को प्रशिक्षित करने के लिए सक्षम होंगे। खेल विभाग ने फिलहाल जिन खेल नर्सरियों को योजना की सूची में शामिल किया गया। इनमें 170 सरकारी विद्यालय, 157 निजी संस्थान, 81 निजी खेल प्रशिक्षण केंद्र व 47 राजीव गांधी ग्रामीण खेल परिसरों के नाम है। 
-पंकज नैन(आईपीएस), खेल निदेशक, खेल विभाग हरियाणा। 
  11July-2022

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