सोमवार, 11 अप्रैल 2022

मंडे स्पेशल: शौचालय निर्माण तक सिमटा ‘स्वच्छ भारत मिशन’

ग्रामीण क्षेत्रों में कचरा प्रबंधन बना सबसे बड़ी चुनौती प्रदेश को ओडीएफ प्लस का दर्जा दिलाने में जुटी सरकार आधे से ज्यादा जिलों के गांव में कूड़ा व स्थिर पानी बरकरार 
ओ.पी. पाल. रोहतक। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वच्छता अभियान शौचालयों तक सिमटता नजर आ रहा है। केंद्र सरकार के दिशा निर्देशों पर हरियाणा के ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे इस मिशन में घरेलू शौचालयों के निर्माण के अलावा सब कुछ अधर में लटका है। सबसे बड़ी परेशानी तो कचरा प्रबंधन की व्यवस्था में है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ भारत मिशन के अन्य घटकों पर काम की गति बेहद धीमी होने के कारण कुछ जिलों को छोड़कर राज्य मिशन के लक्ष्य से कोसो दूर है। मिशन के तहत ज्यादातर कामों में करनाल जिले के गांवों में सर्वाधिक काम किया गया है। सरकार की ओडीएफ प्लस की उम्मीद में सोनीपत ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन में ऐसा फिसड्डी जिला है, जिसका एक भी गांव मिशन में उदीयमान, उज्जवल और उत्कृष्टता हासिल नहीं कर सका है। जबकि रोहतक जिला ग्रामीण इलाकों के घरेलू शौचालय व स्वच्छता परिसर के अलावा अन्य किसी काम में 15 फीसदी लक्ष्य तक भी नहीं पहुंच पाया है। प्रदेश के अन्य जिलों में भी ग्रामीण स्वच्छता मिशन के काम उतार चढ़ाव के बीच फंसा हुआ है। 
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देश में दो अक्टूबर 2014 से शुरू हुए स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) को महात्मा गांधी की 150वीं वर्षगांठ यानि 2 अक्टूबर 2019 तक भारत को खुले में शौच से मुक्त करने के मकसद से शुरू किया गया गया था। इसमें हरियाणा में इस मिशन को के 6908 गांव में शुरू किया गया था, जिसमें अब तक प्रदेश के सभी गांवों में सर्वाधिक 4,90,618 बीपीएल समेत 6,93,657 घरेलू शौचालय निर्माण कर लक्ष्य हो हासिल करके राज्य को खुले शौच से मुक्त यानी ओडीएफ का दर्जा तो दिला दिया गया, लेकिन लेकिन राज्य को ओडीएफ प्लस बनाने के प्रयास में जुटी सरकार के लक्ष्य में ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन की कुव्यवस्था आड़े आ रही है। प्रदेश में ओडीएफ प्लस की राह में अभी तक 120 उदीयमान, 96 उज्जवल और 358 गांव उत्कृष्ट श्रेणी का दर्जा हासिल कर सके हैं। यही कारण है कि प्रदेश को ओडीएफ प्लस बनाने के प्रयास में जुटी राज्य सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांवों के समुचित विकास की दिशा में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन पर विशेष बल दिया हैं। इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे और अन्य सभी आवश्यक सुविधाएं देने के लिए प्रत्येक ब्लॉक में चिन्हित क्लस्टरों को मॉडल बनाने मुहिम शुरू गई। इस मिशन के तहत सरकारी विभागों के अलावा गैर सरकारी संगठनों को भी राज्य के सभी गांवों में चल रहे कचरे के डोर-टू-डोर कलेक्शन के काम में जोड़ने के अलावा कई जिलों में ग्राम स्तरीय समितियों का गठन किया गया है, जिन्हें घर-घर से कचरा एकत्र करने, सॉलिड वेस्ट के निपटान और प्लास्टिक कचरे के संग्रह जैसे विभिन्न कार्यों की निगरानी करने की जिम्मेदारी दी गई है। इसी दिशा में सभी गांवों की ओडीएफ स्थिति को बनाए रखने और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता के स्तर में सुधार करने के लिए सरकार ने प्रदेश में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के वर्ष 2024-25 तक लागू दूसर चरण के लिए एक कार्य योजना तैयार की, जिसका मकसद ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन के माध्यम से गांवों को ओडीएफ प्लस बनाया जा सके। 
दयनीय हालत में कचरा प्रबंधन 
प्रदेश में ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन की व्यवस्था इतनी दयनीय है कि सरकार के 1396 ठोस और 1,323 तरल अपशिष्ट प्रबंधन परियोजनाओं के लक्ष्य के विपरीत प्रदेश भर में अभी तक यह व्यवस्था औसतन 519 गांव तक ही पहुंच बना सकी है, जिसमें अकेले करनाल जिले के सर्वाधिक 108 गांव शामिल है, जबकि यमुनानगर के 64 व सिरसा के 50 गांव, पंचकूला के 44 गांवों समेत केवल 13 जिलों के गांव ही इस व्यवस्था के लिए दहाई का अंक छू रहे हैं, जबकि जिलों में कचरा प्रबंधन वाले गांव महज एक अंक वाले हैं। सोनीपत जिले का एक गांव भी इस दायरे में नहीं है, जबकि कचरा प्रबंधन मे एक गांव के साथ सबसे पिछड़ा जिला मेवात है। हालांकि प्रदेश मे ठोस कचरा प्रबंधन में 633 गांव में ठोस कचरा प्रबंधन और 558 ग्राम पंचायतों तरल कचरा प्रबंधन का कार्य पूरा हो चुका है। वहीं सरकार की कार्य योजना के अनुसार प्लास्टिक कचरा प्रबंधन की व्यवस्था को दुरुस्त करने की योजना है, जिसके लिए राज्य में सभी जिलों में एक नीयत तारीख को प्लास्टिक कचरा संग्रहण करके उसे सड़क निर्माण में उपयोग करने हेतु पीडब्लूडी विभागा को सौंपा जाता है। 4364 गांवों में बिना प्लास्टिक के डंपों की व्यवस्था है, जिसमें गांव का कचरा एकत्र करके स्वच्छता मिशन को दिशा दी जा रही है। इस व्यवस्था में भी सर्वाधिक 418 डंप कुरुक्षेत्र और सबसे कम 8 रोहतक जिले के गांव शामिल हैं। 
स्वच्छता परिसरों का निर्माण 
हरियाणा के 5736 गांवों में सामुदायिक स्वच्छता परिसरों का निर्माण करने का लक्ष्य है, जिसमें अब तक गांवों में 5670 परिसरों का निर्माण किया जा चुका है। इनमें सर्वाधिक 634 में 437 परिसर करनाल जिले और सबसे कम 52 में से 38 मेवात जिले में बनाए जा चुके हैं। इस व्यवस्था में यह प्रावधान है कि घनी आबादी वाले केई गांव में एक से ज्यादा परिसर भी बनाए जा सकते हैं। प्रदेश के 2972 में से 1204 गांवों में सामुदायिक शुष्क गड्ढों का ही निर्माण किया गया है, जिसमें गंदे पानी को सोखने की व्यवस्था है। इसी तरह गंदे कूडे का खाद में बदलने के लिए प्रदेश में 1154 के लक्ष्य के विपरीत 734 गांव में सामुदायिक खाद गड्ढों का निर्माण भी किया गया है। इसी प्रकार प्रदेश में कचरा संग्रह व प्रथक्करण शेड बनाने की भी मिशन में व्यवस्था की गई है, जिसमें अभी तक 1216 शेड के लक्ष्य के विपरीत 1166 बनाये जा चुके हैं। इनमे सबसे ज्यादा 159 शेड जींद जिलों के गांव में बनाए गये हैं। 
कूडा व स्थिर जल में भिवानी अव्वल 
हरियाणा का भिवानी एक मात्र जिला ऐसा है, जिसने स्वच्छता मिशन के तहत सभी 319 गांव में कूड़े और स्थिर पानी की समस्या से न्यूनतम करने में सफलता हासिल की है। इसके अलावा इस कार्य में कुरुक्षेत्र 98.63, अंबाला 97.38, पानीपत 97.22, रेवाड़ी 97.21, कैथल 95.83, मेवात 95.73, कैथल 95.83, फरीदाबाद 93.66, जींद 87.87, फतेहाबाद 64.49, चरखी दादरी 55.81, झज्जर 56.35, हिसार 53.85 फीसदी और पंचकूला जिले के 61.21 फीसदी गांव में काम कर चुके है। इस मामलें में भी प्रदेश का रोहतक एक ऐसा जिला है जिसमें यह कार्य 141 गांवों में से महज नौ जिलों यानि 6.38 फिसदी हो सका है। 
मेवात में बने सर्वाधिक शौचालय 
प्रदेश में घरेलू शौचालयों के निर्माण में सरकार पहले ही शतिप्रतिशत लक्ष्य हासिल कर चुकी है। इसमें स्वच्छ भारत मिशन के तहत सर्वाधिक एक लाख 444 शौचालयों का निर्माण मेवात जिले 422 गांवों में किया गया है। जबकि 3394 घरेलू शौचालय फरीदाबाद जिले के 142 गांव में किया गया है। मेवात के बाद 52,057 शौचालय सोनीपत जिले के 316 गांवों में बनाए गये हैं। 
प्रदेश को मिला 296.18 करोड़ 
हरियाणा को स्वच्छ भारत मिशन(ग्रामीण) के लिए केंद्र सरकार से पिछले चार साल में 296.18 करोड़ की धनराशि जारी की जा चुकी है। इसमें वित्तीय वर्ष 2018-19 में 70.24 करोड़, 2019-20 में 115.39 करोड़ 2020-21 में 80.60 करोड़ और 2021-22 के दौरान 29.95 करोड़ रुपये प्रदेश को दिये गये। इस अभियान में खर्च होने वाले धन में केंद्र सरकार 60 फीसदी धनराशि देती है, जबकि 40 फीसदी खर्च को राज्य सरकार वहन करती है। 
11Apr-2022

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