सोमवार, 4 अप्रैल 2022

मंडे स्पेशल:जी का जंजाल बन रही है अमरुत योजना की धीमी चाल

पाइप लाइन डालने के लिए सडकों को खोदा, तीन साल से जनता का हाल बेहाल 
काम धंधे चौपट, धूल मिट्टी ने बिगाड़ दिया स्वस्थ आमजन की परेशानी का सबब बने हैं अधूरे कार्य 
जन स्वास्थ्य विभाग दूसरे चरण की डीपीआर तैयार करने में जुटा 
ओ.पी. पाल.रोहतक। पेयजल आपूर्ति, सीवरेज और जल निकासी प्रणाली को मजबूत करने के लिए शुरू की गई अमरुत योजना प्रदेशभर के शहरवासियों के जी का जंजाल बन गई है। इसके तहत शुरू किए गए कार्यों की रफ्तार इतनी धीमी है कि लोगों पूरी योजना को ही कोस रहे हैं। पेयजल और जल निकासी के लिए शहरों के प्रवेश मार्गों को खोदकर रख दिया गया है। कहीं कहीं तो यह खुदाई किए हुए दो से तीन साल बीत चुके हैं, लेकिन काम है कि पूरा होने को नहीं आ रहा। हालात ये हैं कि प्रदेश के बीस शहरों में शुरू की कार्यों में से तीन साल में 136 में से महज 63 परियोजनाओं का काम ही अभी तक पूर्ण हो पाया है। एक ओर जहां कई राज्यों में योजना का दूसरा चरण शुरू हो चुका है वहीं हरियाणा में पहले चरण की 73 परियोजनाओं का काम पटरी से उतर चुका है। दूसरे चरण की शुरूआत तो दूर, यहां पहला चरण ही गले की फांस बना हुआ है। योजना के तहत जहां खुदाई काम किया है, वहां के लोग अधिकारियों को कोस रहे हैं, काम धंधे चौपट हो चुके हैं, धूल मिट्टी से जीना मुहाल हो गया है। आने जाने वाले को परेशानी हो रही है सो अलग।
------- 
अटल नवीनीकरण व शहरी परिवर्तन मिशन(अमरुत) परियोजना के तहत एक लाख से ज्यादा आबादी वाले 20 शहरों की परियोजनाओं में वर्ष 2017-20 के दौरान बुनियादी शहरी संरचना में सुधार हेतु 136 परियोजनाओं के लिए 2,544 करोड़ रुपये का निवेश निर्धारित किया गया। जबकि इन तीन वित्तीय वर्ष में केवल 693 करोड़ रुपये की 63 परियोजनाएं पूरी की जा सकी और अमरुत योजना में राष्ट्रीय रैंकिंग में हरियाणा को 12वां स्थान मिला। इस कार्ययोजना के तहत अम्बाला, करनाल, पंचकुला, सोनीपत, गुरूग्राम, जींद, यमुनानगर, कैथल, थानेसर, फरीदाबाद, पलवल, रोहतक, हिसार, सिरसा, बहादुरगढ़, रेवाड़ी, पानीपत तथा भिवानी आदि को शामिल किया गया था। हालांकि सरकार का दावा है कि अमरुत योजना के तहत प्रदेश में किये गये विकास कार्यो पर अब तक ढ़ाई हजार करोड़ रुपये की लागत के कार्य किये गये हैं। पिछले साल अक्टूबर में देश में पीएम मोदी ने इस योजना के दूसरे चरण की भी शुरुआत कर दी है, जिसमें हरियाणा भी शामिल है। 
प्रदेश में अब तक हुआ कार्य 
हरियाणा में अमरुत योजना के तहत राज्य में 20 शहरों हेतु वर्ष 2017-20 के दौरान 2,544 करोड़ रुपये निवेश किये गये थे, जिनमें से इस दौरान 693 करोड़ रुपये की 63 परियोजनाओं के काम पूरे किये गये, जबकि 1,963.37 करोड़ रुपये की शेष बची परियोजनाओं को पूरा करने का काम चल रहा है। सरकार के आंकड़ो के मुताबिक इस योजना के तहत हरियाणा में 2.22 लाख सीवर कनेक्शन और 2.3 लाख पानी के नलों के कनेक्शन दिये और 300 स्थानों पर जल भराव को खत्म किया गया, तो वहीं 1.95 लाख पुरानी स्ट्रीट लाइट को एलईडी लाइट में बदला गया है। इस आवंटित राशि में पानीपत में 350 करोड़, रोहतक में 190 करोड़, फरीदाबाद में 102 करोड़, सोनीपत में 164 करोड़, अंबाला में 78.46 करोड़, कैथल सिटी में 54 करोड़, सिरसा में 38 करोड़ और भिवानी में 36 करोड़ रुपये की अमरूत योजना के काम शुरू किये गये। कोरोना महामारी के कारण इस योजना का कार्य कुछ समय बंद रहने के कारण केंद्र सरकार ने योजना के कार्यो के लक्ष्य की अवधि बढ़ाकर 31 मार्च 2021 तय कर दी थी, लेकिन प्रदेश में अभी भी अमरुत योजना का लक्ष्य अधूरा है। 
अंतिम चरण में कई शहरों में योजना 
प्रदेश के रोहतक, भिवानी, जींद, थानेसर व यमुनानगर में अमरुत योजना के पहला चरण के तहत जल निकासी, सीवरेज और सेप्टेज प्रबंधन का कार्य अंतिम चरणों में है, जबकि फरीदाबाद, हिसार, पलवल, पंचकूला, रोहतक, रेवाड़ी, सोनीपत जिलों में पचास फीसदी भी काम पूरा नहीं हुआ है। यह हालात जब है कि इस चरण की समय सीमा एक साल पहले ही खत्म हो चुकी है। इस योजना के तहत अटल मिशन अमरुत योजना के तहत भिवानी में 13 करोड़ की लागत से तैयार हुआ करीब 14 करोड़ 33 लाख लीटर पानी की वाटर टैंक का निर्माण पूरा कर लिया गया है। जिसके कारण पहले से 30.20 करोड़ लीटर क्षमता के सात टैंक के साथ पानी स्टोरेज की क्षमता बढ़ने से समस्या खत्म हो जाएगी। 
अटल मिशन 2.0 की तैयारी 
हरियाणा में स्वीकृत कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन 2.0 का प्राथमिक फोकस पानी की सर्कुलर अर्थव्यवस्था के माध्यम से शहरों को जल-सुरक्षित और आत्मनिर्भर बनाने पर रहेगा। हालांकि अमरुत योजना के जल आपूर्ति, सीवरेज, सीवेज प्रबंधन और उपचारित उपयोग किए गए पानी के पुनर्चक्रण, जल निकायों के कायाकल्प और हरित स्थानों के निर्माण जैसे सभी घटकों जैसे के सभी घटकों को प्राप्त करने पर जोर दिया जाएगा। 2025-26 तक नवीकरण और शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन (अमृत 2.0) को आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक कदम के रूप में और पानी की सर्कुलर इकोनॉमी के जरिए शहरों को 'जल सुरक्षित' एवं ‘आत्मनिर्भर’ बनाने के उद्देश्य से मंजूरी दे दी है। योजना के दूसरे चरण का काम स्थानीय निकायों के बजाए जन स्वास्थ्य विभाग को सौंपा गया है, जिसने विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने का काम भी शुरू कर दिया है। 
रोहतक में बनेंगे दो जलाशय 
प्रदेश में दूसरे चरण की अमरुत योजना के तहत गढ़ी बोहर और झज्जर रोड जलघर के नजदीक अगले डेढ़ दशक की संभावित जनसंख्या के हिसाब से रॉ वाटर स्टोरेज टैंक यानी पानी के भंडारण जलाशय बनाया जाएगा। इन दोनों जलाशयों में जेएलएन व बीएसबी नहर का पानी पहुंचाने की योजना है। इसके लिए पेयजल लाइन से अछूते तथा जनसंख्या के आधार पर कम क्षमता की पेयजल लाइन के इलाकों में नई पाइप लाइन बिछाई जाएगी। दोनो रॉ वाटर स्टोरेज टैंक बनाने के लिए गढ़ी बोहर में 24 एकड़, झज्जर जलघर के नजदीक, सुनारिया जेल के पीछे 27 एकड़ और सुनारिया कलां में 27 एकड़ जमीन देखी गई है। जहां तक रोहतक में अमरुत योजना के पहले चरण के काम का सवाल है, सीवेज कार्य बेहद धीमी गति से चल रहा है, इससे आमजन इतना परेशान है कि राष्ट्रीय राजधानी को जोड़ने वाली दिल्ली रोड़ शहर में प्रवेश करने से पहले पिछले कई साल से टूटी हुई है, जो परेशानी के सबब से कम नहीं है। 
हिसार में बदलेगी सीवर लाइन 
अमृत योजना के दूसरे चरण के तहत हिसार में जन स्वास्थ्य विभाग योजना का खाका तैयार करना शुरू कर दिया है, जिसमें 30 साल पुरानी 80 किमी लंबी बदलने के साथ तीन नए बूस्टिंग स्टेशन बनाने और जलघरों की क्षमता बढ़ाने का प्रस्ताव है। फिलहाल शहर में करीब 15 करोड़ की योजना पर काम किया जा रहा है। जबकि जींद जिले में अमृत योजना-दो के तहत जिले की 11 कॉलोनियों में नई सीवरेज लाइन डाली जाएगी। इसके अलावा 6.24 करोड़ रुपये की लागत से सीवरेज की पुरानी लाइनें भी दुरुस्त करने का प्रस्ताव है। 
रेवाडी में भी नहीं हुआ काम 
रेवाड़ी में 2019 में अमरुत योजना के तहत सीवर व पेयजल के लिए 68.59 करोड़ रुपये का टेंडर दे दिया गया था। इसमें पेयजल के लिए 33.28 और सीवर के लिए 34.72 करोड़ रुपये का काम शामिल है। इसके बावजूद शहर में 640 किलो लीटर क्षमता का बूस्टिंग स्टेशन, 20 पंप बदलने के कार्यों में से एक पर भी काम नहीं हो पाया। इसके अलावा रेवाड़ी-नांगलमूंदी स्टेशन की रेलवे क्रॉसिंग के लिए 150 एमएम डीआई पाइप, कालाका जलघर पर रोड बनाने के दो कार्य होने थे, यही नहीं 133 चैंबर बनाने पर भी कोई कार्य शुरू नहीं हो पाया। 
04Apr-2022

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें