सोमवार, 25 अप्रैल 2022

साक्षात्कार: सामाजिक विचारधारा का बेहतर माध्यम साहित्य: वीएम बेचैन

इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में इकलौते हरियाणवी साहित्यकार 
--ओ.पी. पाल 
व्यक्तिगत परिचय 
नाम: वी.एम.बेचैन 
जन्म: 07 अगस्त 1976 
जन्म स्थान: भिवानी (हरियाणा)
शिक्षा: एमए(पत्रकारिता) स्नातकोत्तर, जनसंचार कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय। 
संप्रत्ति: सांस्कृतिक पर्यवेक्षक, युवा कल्याण विभाग, चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय भिवानी। 
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रियाणवी संस्कृति, सभ्यता और भाषा की पहचान के सम्मान हेतु साहित्य साधना में जुटे साहित्यकारों और विद्वानों में शुमार वी.एम. बेचैन एक ऐसे हरियाणवी साहित्यकार, चिंतक एवं कवि हैं, जो हरियाणवी बोली को भाषा का दर्जा दिलवाने की मुहिम को लेकर साहित्य के क्षेत्र में कलम चला रहे हैं। खासबात ये भी है कि वे देश में ऐसे इकलौते हरियाणवी साहित्यकार एवं लेखक हैं, जिन्होंने दुनिया के नामचीन अंग्रेजी कवियों की रचनाओं का हरियाणवी बोली में अनुवाद करके इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराने की उपलब्धि हासिल की है। समाज को सकारात्मक विचारधारा के सांचे में ढालने के मकसद से ही बेचैन अपने रचना संसार में हरियाणवी प्रेम रस घोल रहे हैं। संघर्षशील जीवन को हौंसलों की बुलंदियों से पार करते हुए बहुमुखी प्रतिभा एवं उपलब्ध्यिों के धनी वी.एम. बेचैन ने अपने साहित्यिक सफर को लेकर हरिभूमि संवाददाता से विस्तार से बातचीत की और अनेक अनछुए पहलुओं को उजागर करते हए अपने अनुभवों को साझा किया है। 
रियाणा के भिवानी निवासी वी.एम. बेचैन उर्फ विनोद मेहरा की पिछले तीन दशक से ज्यादा समय से हरियाणा के लिए साहित्य के क्षेत्र में कुछ अलग और नया करने का जूनून रहा है। हरियाणा की मातृभूमि से लगाव का ही नतीजा है कि साहित्य के क्षेत्र में हिंदी एवं हरियाणवी भाषा के लिए विशेष योगदान को देखते हुए हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा साल 2021 के लिए ढ़ाई लाख रुपये के पंडित लख्मीचंद साहित्य सम्मान के लिए उनका चयन किया गया है। पंडित लख्मीचंद साहित्य सम्मान जैसा पुरस्कार भिवानी जिले में पहली बार किसी साहित्यकार को दिया गया है। यह सम्मान से न केवल ‘छोटी काशी’ कही जाने वाले भिवानी के लिए और भी ज्यादा गौरवान्वित करता है, कि इस सम्मान के साथ वर्ष 2021 में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ अंग्रेजी कवियों की रचना का हरियाणवी में अनुवाद करने जैसे अभूतपूर्व काम के लिए उनका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ है। साहित्यकार एवं कवि वीएम बेचैन ने अपने साहित्यिक और संघर्षशील जीवन के बारे में बताया कि केंद्र सरकार ने जब आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के तहत पांचवीं कक्षा तक मातृ भाषा पढ़ाने जैसे प्रावधान वाली नई शिक्षा नीति का ऐलान किया तो उनके मन में भी हरियाणवी बोली के लिए कुछ नया और विशेष करने जज्बा जगा। उसी जज्बे के तहत उन्होंने विश्व साहित्य का हरियाणवी अनुवाद तैयार करके अनुवादित पुस्तक 'जै' लिखी, जिसमें दो दर्जन से ज्यादा अंग्रेजी कवियों और कवित्रियों की 50 से ज्यादा रचनाओं का हरियाणवी में अनुवाद शामिल है। ये ऐसी रचनाएं हैं जिन पर शोध कार्य भी हुए। उनका कहना है कि इस अनुवादित पुस्तक को पढ़कर महसूस किया जा सकता है कि हरियाणवी भाषा कितनी सहज और सरल है। यही नहीं बेचैन ने भारतीय साहित्यकारों में रविंद्रनाथ टेगौर, स्वामी विवेकानंद और डॉ. रश्मि बजाज की अंग्रेजी कविताओं का भी हरियाणवी संवाद किया है। इस आधुनिक युग में साहित्य पर पड़ रहे प्रभाव के बारे मे बेचैन का कहना है कि अपनी संस्कृति और सभ्यता में सामाजिक सरोकार साहित्य पढ़ने से ही प्रगाढ़ हो सकते हैं, लिहाजा खासतौर से युवा पीढ़ी को अच्छे साहित्य को पढ़ना चाहिए। 
रियाणा के भिवानी स्थित चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय में बतौर सांस्कृतिक पर्यवेक्षक के पद कार्यरत वी.एम. बेचैन का जन्म भिवानी शहर के ही एक गरीब परिवार में हुआ। हिंदी साहित्य के क्षेत्र को आयाम देकर हरियाणवी हास्य कवि के रूप में लोकप्रिय वी.एम. बेचैन उसी कहावत का परिचायक हैं जिसमें कहा गया है कि कुछ कर गुजरने का जुनूनी संघर्ष में किये जाने वाले प्रयासों में यदि निष्ठा, ईमानदारी और मेहनत का समावेश हो तो सफलता आपके इंसान के कदमों में होती है। ऐसे ही संघर्षशील जीवन की विडंबनाओं के बावजूद गरीब माता पिता ने उन्हें कक्षा आठ तक शिक्षित किया, जिसके बाद विनोद मेहरा ने मजदूरी करके साहित्यिक गतिविधियों से खर्च निकालकर दिये की रोशनी में अपने सपनों को पंख लगाने के प्रयास में पढ़ाई की। जनसंचार में स्नातकोत्तर के बाद उनका सपना हरियाणवी पर पीएचडी करने का था, लेकिन वक्त और परिवारिक हालातों के कारण उनका यह सपना अधूरा ही रहा। मसलन बेचैन के परिवार व बच्चों की रोटी भी उनकी मेहनत मजदूरी और साहित्यिक मंच से मिलने वाले पैसे से चलती रही। गरीबी के साये में जीवन व्यतीत करने के बावजूद इस साहित्यकार ने जो उपलब्धियां हासिल की है उस पर भिवानी जिले के लोग भी गौरवान्वित महसूस करते हैं। इसके बावजूद पीड़ाओं से निकलकर अपेक्षित अभिनंदन में रोजगार की गारंटी को लेकर उनके मन मे अभी भी टीस है कि सरकार जहां इतनी योजनाएं चला रही है, लेकिन गरीब साहित्यकारों और लेखकों को स्थायित्व रोजगार के लिए भी सरकार को संवेदन होना चाहिए। साल 1996 से 2010 तक सक्रिय साहित्यिक पत्रकारिता की और विभिन्न समाचार पत्रों में रिपोर्टिंग और संपादन किया। इसी दौरान उन्होंने करीब सात साल आकाशवाणी रोहतक में बतौर कैजूअल अनांउसर कार्य भी किया। 
प्रकाशित पुस्तकें 
प्रदेश के साहित्यकार एवं कवि वी.एम. बेचैन के साहित्यिक रचना संसार में उनकी प्रकाशित नौ पुस्तकों में हरियाणवी काव्य संग्रह ‘चौपाल मेरे गाम की’, हास्य हरियाणवी काव्य संग्रह ‘काच्चे काट रे सा’, चुटकला संग्रह ‘किस्से कसूता सिंह के’, हास्य हरियाणवी चुटकी संग्रह ‘फंसो और हंसो’, उर्दू गजल संग्रह ‘दश्ते अहसास’, हरियाणवी अनुवाद ‘शकुंतला और दुष्यंत’, हिंदी उपन्यास ‘औरत एक ब्रह्मशास्त्र’, जै.. और दा लिजेंड ऑफ कालापानी वीर सावरकर शामिल हैं। जबकि हरियाणवी चुटकियां ‘बेचैन की दारुशाला’, हरियाणवी गजल संग्रह ‘तू मेरी दुखती रग सै’ और उर्दू गजल संग्रह ‘बिन तेरे बेचैन’, ‘मुहब्बत की एफडी’ ‘म्हारी गीता म्हारा ज्ञान’, ‘कई बार लगता है’, ‘काश तुम्हारा नाम गलतफहमी होता’, ‘सुणो छोरियो’, ‘रोवै ना संतरा’, ‘मेरी नाबालिग गजले’ जैसी पुस्तकें प्रकाशन के लिए तैयार है। उन्होंने हरियाणवी उपन्यास रोंदडू पर आधारित ‘बिन तेरे बेचैन’ हरियाणवी फिल्म का निर्माण भी किया। 
सम्मान व पुरस्कार 
हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा हाल ही में हरियाणवी भाषा एवं साहित्य के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए वीएम बैचैन को वर्ष 2021 के 2.50 लाख रुपए के पंडित लख्मीचंद साहित्य सम्मान देने का ऐलान किया है। इससे पहले साल 2013 में हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा सर्वश्रेष्ठ लेखन के लिए सर्वश्रेष्ठ कृति सम्मान से भी नवाजा जा चुका है। उनकी हरियाणवी फिल्म बिन तेरे बेचैन को राष्ट्रीय अवार्ड फिल्म फेस्टिवल में नामांकित और इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में गेस्ट ऑफ ऑनर का सम्मान भी मिला है। इसके अलावा बेचैन को देशभर की दर्जनों साहित्यिक संस्थाओं ने अनेक सम्मान देकर उनकी साहित्यिक सेवा को पुरुस्कृत किया है। वर्ष 2021 में अंग्रेजी कवियों की रचनाओं का हरियाणवी भाषा में अनुवाद करने पर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में उनका नाम दर्ज करके मेडल के साथ इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड होल्डर के रूप में पहचान पत्र मिलना उनकी बड़ी उपलब्धियों में शामिल है। 
संपर्क: 9315373754/9034741834
25Apr-2022 

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