सोमवार, 25 अगस्त 2025

चौपाल: संस्कृति को जीवंत करने का माध्यम है हास्य कला: आजाद दूहन

लोक कला के क्षेत्र में रेड़ियो कलाकार ने चुटकला सम्राट के रुप में बनाई बड़ी पहचान 
    व्यक्तिगत परिचय 
नाम: आजाद सिंह दुहन 
जन्मतिथि: 2 अक्टूबर 1972 
जन्म स्थान: गांव बनभौरी, जिला हिसार 
शिक्षा: पोस्ट ग्रेजुएट(भूगोल) 
संप्रत्ति: हास्य कलाकार, 
संपर्क: गांव बनभौरी, जिला हिसार। मोबा.-9416172394 
BY-ओ.पी. पाल 
रियाणवी संस्कृति को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान देने के लिए लोक कलाकारों ने अपनी अलग अलग विधाओं में समाज को भी नई दिशा दी है। ऐसे ही कलाकारों में हास्य कलाकार आजाद दूहन हरियाणवी संस्कृति का संवर्धन करने में जुटे हुए हैं। हरियाणवी चुटकुला सम्राट के रुप में अपनी पहचान बना चुके रेडियों कलाकार आजाद सिंह दूहन ने हरिभूमि संवाददाता से हुई बातचीत के दौरान कई ऐसे अनछुए पहलुओं को उजागर करते हुए कहा कि किसी भी विधा में कला के माध्यम से समाज को अपनी संस्कृति और सभ्यता तथा परंपराओं से जुड़े रहने का संदेश देना संभव है।
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रियाणा के लोक कलाकार आजाद सिंह दुहन का जन्म 2 अक्टूबर 1972 को हिसार जिले के गांव बनभौरी में श्रीचंद और श्रीमती रोशनी देवी के घर में हुआ। उनके परिवार ग्रामीण पृष्ठभूमि में एक किसान परिवार है। गांव में उनके दादा खेती करते थे और पिताजी श्रीचन्द्र मुख्य अध्यापक से सेवानिवृत्त हुए, जो अब परिवार में खेती बाड़ी करते आ रहे है। उनके परिवार में कोई साहित्यिक या सांस्कृतिक माहौल तो नहीं था, लेकिन उनके दादा जी बचपन में कहानियां सुनाते थे और आजाद से भी कविताएं सुनते थे। घर में उनकी माता एक कुशल गृहणी रही हैं। आजाद की धर्मपत्नी रेनू महिला एवं बाल विकास विभाग में कार्यरत हैं। इसलिए उनकी बचपन से ही संस्कृति एवं प्रकृति संरक्षण के प्रति अभिरुचि रही है। बकौल आजाद सिंह, उनकी प्राइमरी शिक्षा अपने गांव से की। जबकि इंटरमिडिए बरवाला के स्कूल और राजकीय कालेज हिसार से एमएसएसी(भूगोल)उत्तीर्ण करने के बाद जाट कालेज से बीएड किया। इसके आधार पर वे एक शिक्षक के रुप में नियुक्त हुए और फिलहाल वे पनिहारी के प्राइमरी स्कूल में अध्यापन कार्य कर रहे हैं। उनकी कला का यह सफर 1988 से शुरु हुआ, लेकिन 1990 में यह सफर राजकीय महाविद्यालय हिसार में उड़ान भरने लगा, जहां उनके गुरु प्रो. प्रोफेसर गुगनराम गोदारा ने उन्हें हास्य कला के लिए बेहद प्रोत्साहित किया है और उनके मार्गदर्शन एवं सानिध्य में ही 'हरियाणवी नाटक, मच संचालन, हरियाणवी हास्य में विशेषकर चुटकलों में भाग लिया। साल 1993 में उन्होंने फिल्म ऐपरिशियेशन वर्कशाप में भाग लेकर अभिनय की बारिकीयां सीखी और इसी साल राष्ट्रीय यूथ लिडरसीप कैम्प नैनीताल में सर्वश्रेष्ठ कैम्पर का पुरुस्कार हासिल किया। हालांकि इससे पहले उन्होंने साल 1988 में दसवीं कक्षा के दौरान उन्होंने विद्यालय स्तर पर राजकीय उच्च विद्यालय बरवाला में पहली बार मंच से कविता सुनाई। उसके बाद युवा संसद प्रतियोगिता में भाग लिए लिया और युवा संसंद पूरे राज्य में प्रथम आई। उन्होंने लोकसभा महासचिव के किरदार की भूमिका निभाई, इस किरदार के लिए तत्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष बरवाला जयनारायण ने उन्हें एक थाली, 2 कटोरी और दो बिलाश से सम्मानित किया। किसी मंच पर मिलने वाला यह उनका पहला पुरुस्कार था। खासबात ये है कि वह आज भी उन्ही बर्तनों में खाना खाते हैं। साल 1995 में कला सस्कृति में रुचि के कारण आकाशवाणी रोहतक गये, जहां उनकी मुलाकात सम्पूर्ण सिंह, बलजीत राणा एवं रामफल चहल से हुई और उनका ऐसा मागदर्शन मिला कि उनकी कला का आकाशवाणी रोहतक के बाद आकाशवाणी हिसार से प्रसारण जारी है। आज वह एक कलाकार के रुप में प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयो के सांस्कृतिक निर्णायक मंडल में भी शामिल हैं। राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों एवं मंचों पर उनकी हास्य व्यंग्य प्रस्तुति का मूल उद्देश्य सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार एवं हरियाणवी संस्कृति एवं प्रकृति को बढ़ाना है। उन्होंने विभिन्न राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर मंच संचालन की भूमिका भी निभाई है। वहीं आकाशवाणी रोहतक में पांच साल तक कार्यक्रम प्रस्तुत किया है। जबकि पिछले ढ़ाई दशक से वे आकाशवाणी हिसार के हरियाणवी कार्यक्रम प्रस्तुत करते आ रहे हैं। हरियाणवी हास्य नाटिका में आया और लगातार पांच वर्ष तक हरियाणा दिवस पर चुटकुले सुनाने में प्रथम रहा। इस उपलब्धि को प्रोत्साहित करने के लिए हरियाणा सरकार ने साल 1995 में उन्हें चुटकुला सम्राट के पुरस्कार से नवाजा गया। उन्होंने सातवें राष्ट्रीय युवा उत्सव का भी संचालन किया। उन्होंने लगातार पांच साल तक कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय रोहतक एवं हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार में राज्य स्तरीय चुटकुला प्रतियोगिता में प्रथम स्थान हासिल किया। 
रील लाइफ में बदली रियल लाइफ 
आधुनिक युग में लोक कला और संस्कृति के सामने चुनौतियों को लेकर आजाद सिंह दूहन का कहना है कि इस इंटरनेट के युग में अभिनय, कला एवं संस्कृति संगीत बदलाव के दौर में है। वह संस्कृति एवं संगीत में अच्छे बदलाव के समर्थक हैं, लेकिन संगीत, लोककला में फूहड़पन के चलते रियल लाइफ की जगह रील लाइफ में बदलना बेहद दुखद है। जबकि लुप्त होती जा रही अपनी संस्कृति को को संजोने की आवश्यकता है। खासकर हरियाणवी संस्कृति के संवर्धन के लिए सभी कलाकारों को आगे आने की जरुरत है, ताकि युवा पीढ़ी अपने गौरवमयी इतिहास को समझे और सामाजिक उत्थान में अपना योगदान दे सके। इस दिशा में सरकार को भी ठोस पहल करते हुए ऐसे कलाकारों को नौकरियों में आरक्षण और उन्हें प्रोत्तसाहित करने की जरुरत है, जो हरियाणवी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए नई पौध तैयार करके समाज में सकारात्मक विचारधारा के साथ नई ऊर्जा देने में जुटे हैं। युवा पीढ़ी को हरियाणवी संस्कृति' के प्रति प्रेरित करने के लिए स्कूल और कॉलेज स्तर पर हरियाणवी संस्कृति से जुड़े विषय को पाठ्यक्रम में शामिल करने की आवश्यकता है। ऐसी नीतियों और परंपरा के बीच सामाजिक चेतना से पुराने लोककवि, लोकगायक, रंगकर्मी हमारी संस्कृति, प्रकृति, कला अभिनय संगीत को शिखर तक पहुंचाया जा सकता है। 
सम्मान व पुरस्कार 
हरियाणा सरकार से चुटकुला सम्राट पुरस्कार और हरियाणा गौरव पुरस्कार से अलंकृत आजाद सिंह दूहन को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में रत्नावली हरियाणवी संस्कृति पुरस्कार भी मिल चुका है। वहीं कुरुक्षेत्र विविद्यालय में दूहन को सर्वश्रेष्ठ एक्टर के पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है। उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर अशोका सांस्कृतिक अवार्ड भी दिया जा चुका है। हरियाणवी संस्कृति उपलब्धियां के आधार पर राज्य संस्कृति पुरस्कार और राष्ट्रीय स्तर पर अशोका सांस्कृतिक अवार्ड से भी उन्हें नवाजा जा चुका है। 
25Aug-2025

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