देशभक्ति से ओतप्रोत वीर रस की कविताओं के लेखन व काव्यपाठ से बनाई पहचान
व्यक्तिगत परिचय
नाम: अनामिका वालिया
जन्म तिथि: 19 मई 1989
जन्म स्थान: कैथल, (हरियाणा)
शिक्षा: एम.ए. (अंग्रेजी)
सम्प्रति: लेक्चरार(शिक्षा विभाग हरियाणा), लेखक एवं कवियत्री
संपर्क: यमुनानगर(हरियाणा), मोबा. 9034848291
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BY-ओ.पी. पाल
हिंदी साहित्य के क्षेत्र में हरियाणवी संस्कृति के संवर्धन के लिए लेखक अपनी अलग अलग विधाओं में साहित्य साधना करते आ रहे हैं। ऐसे ही साहित्यकारों में कवियत्री अनामिका वालिया भी समाजिक सरोकारों के मुद्दों पर अपने रचना संसार को आगे बढ़ा रही हैं। देशभक्ति और समाज में महिलाओं के मुद्दे पर भी कविताओं का लेखन और मंच से समाज को सकारात्मक संदेश देते हुए उन्होंने परिवार से मिली विरासत को आगे बढ़ाने का प्रयास किया है। शिक्षाविद्, लेखिका एवं कवियत्री अनामिका वालिया शर्मा ने अपने साहित्यिक सफर को लेकर हरिभूमि संवाददाता से बातचीत करते हुए कुछ ऐसे पहलुओं का भी जिक्र किया है, जिसमें उनका मत है कि साहित्य के बिना समाज की कल्पना करना बेमाने है, क्योंकि साहित्य समाज का दर्पण होता है।
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महिला साहित्यकार अनामिका वालिया का जन्म 19 मई 1989 को जिला कैथल में देशबंधु वालिया और दमयंती वालिया के घर में हुआ। उनके नाना स्वर्गीय रमेश चंद्र ने आज़ाद हिंद फौज के सेनानी के रूप में और उसके बाद सेना में भर्ती होकर देश की सेवा की। इसलिए देशभक्ति और देश प्रेम भी विरासत में मिला। जबकि मामा स्वर्गीय अमरजीत अहलूवालिया कविता लेखन किया करते थे, तो उन्हें साहित्यिक माहौल मिलने के कारण बचपन में कविता लेखन में रुचि पैदा हुई। शायद यही कारण है कि उन्होंने 13-14 वर्ष की आयु से कविता लेखन शुरू कर दिया था। उनके कविता लेखन में ओज विधा रही और देशभक्ति से परिपूर्ण कविताएं लिखना शुरू किया। पहली कविता साहित्य सभा कैथल के मंच से चौदह वर्ष की आयु में पढ़ी, जहां वह अपने पिता के साथ कार्यक्रम में पहुंची थी। उन्हें वो दिन आज भी याद है, जब कार्यक्रम के समापन के बाद एक शख्स उनके पास आए और जिन्होंने कहा कि तुमने बहुत अच्छी कविता पढ़ी और उसकी सराहना की, लेकिन उन्होंने सवाल किया कि ये कविता तुमने तो नहीं लिखी होगी? जब उसने बताया कि ये कविता उसने खुद लिखी है, तो वह बोले कि इतनी कम उम्र में कोई इस तरह की कविता नहीं लिख सकता? यह सुनकर उसने बताय कि आप अपनी पसंद का कोई भी विषय उन्हें दीजिए और वह अभी आपको कविता लिखकर दिखा देगी। तब उन्होंने मुस्करा कर उनके सर पर हाथ रखा और आशीर्वाद देते हुए कहा कि अब यकीन हो गया कि कविता तुमने ही लिखी है। अनामिका की प्रारंभिक शिक्षा कैथल और उच्च शिक्षा अंबाला शहर से पूरी हुई। अंबाला के एमडीएसडी कॉलेज से स्नातक की शिक्षा ग्रहण करने के दौरान ग्रेजुएशन की परीक्षा में पूरे कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में द्वितीय व अंबाला ज़िले में प्रथम स्थान प्राप्त किया। इसके लिए उन्हें तत्कालीन केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा के द्वारा गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया था। भाषण प्रतियोगिता में नेशनल यूथ फेस्टिवल में पूरे उत्तर भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए पहला स्थान प्राप्त किया, जिसके लिए हरियाणा सरकार द्वारा सम्मानित किया गया। साल 2014 से शिक्षा विभाग हरियाणा में अंग्रेजी लेक्चरर के तौर पर अपनी सेवाएं देना प्रारंभ किया। एक शिक्षिका के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने सामाजिक मुद्दों पर आधारित विभिन्न नाटकों का लेखन एवं निर्देशन भी किया, जो राज्य स्तर पर प्रथम स्थान के लिए शिक्षा विभाग को ओर से उन्हें सम्मानित किया गया। साल 2018 में हरियाणा के यमुनानगर ज़िले में विवाह हुआ। परिवार और दो जुड़वां बेटियों के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए साहित्यिक सफर को आगे बढ़ाना आसान नहीं था, लेकिन परिवार के सहयोग और साहित्य के प्रति अपने समर्पण से अपने इस सफर को निरंतर जारी रखा। वर्तमान में अपने परिवार के साथ यमुना नगर में रहकर अध्यापन और साहित्य सेवा कर रही हैं। उनके साहित्यिक गतिविधियों को परिवार के लोगों के प्रोत्साहन भी अहम रहा है। उन्होंने अपनी कविताओं के लेखन में देश, समाज और महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर फोकस किया है। वहीं उन्होंने सैनिकों के शौर्य का जयगान तो कभी राजनीतिक पर व्यंग्यात्मक कविताओं को भी साहित्य मंच पर उतारा है। उनकी एक प्रसिद्ध रचना 'बेटियां मैदान में उतार दूं' स्कूल कॉलेज की बच्चियों को इतनी पसंद आई कि विभिन्न प्रतियोगियों में उन्होंने इसे प्रस्तुत किया और पुरस्कार प्राप्त किए। उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद उन्होंने देश के विभिन्न राज्यों में होने वाले कवि सम्मेलनों में काव्यपाठ करना प्रारंभ किया और देश के अनेक प्रतिष्ठित न्यूज चैनलों पर काव्यपाठ किया।
साहित्य की स्थिति बेहतर
आधुनिक युग में साहित्य की स्थिति को लेकर कवियत्री एवं लेखक अनामिका वालिया का कहना है कि आज भी साहित्यिक लेखन प्रगति पर है और नई युवा पीढ़ी भी साहित्य क्षेत्र में बेहतर लेखन कर रही है, जिससे कहा जा सकता है कि साहित्य बेहतर स्थिति में है। हालांकि सोशल मीडिया के माध्यम से साहित्य लेखन ज्यादा बढ़ा है। इससे भी युवा पीढ़ी साहित्य के प्रति आकर्षित हो रही है। इसके बावजूद साहित्य जगत में एक बात आहत करने वाली है, कि साहित्यिक मंचों पर कविताओं के नाम पर चुटकले और अश्लीलता परोसी जा रही है, जिस पर अंकुश लगाना जरुरी है। साहित्य को समाज का दर्पण कहा गया है, इसलिए साहित्यकारों और लेखकों को युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति के प्रति प्रेरित करने वाला साहित्य सृजन करने की जरुरत है, ताकि समाज को सकारात्मक संदेश दिया जा सके। मसलन विशुद्ध साहित्य की रचना बेहद जरुरी है।
प्रकाशित पुस्तकें
महिला कवियत्री अनामिका वालिया ने अल्प आयु में ही कविताओं का लेखन शुरु कर दिया था और वीर रस की कविताओं के संकलन के रुप में 2014 में पहली काव्य पुस्तक 'एक और इंकलाब' पाठकों के सामने आई। उनकी इस प्रकाशित पुस्तक में देश प्रेम और महिला सशक्तिकरण से संबंधित कविताओं को समायोजित किया गया है। उनकी रचनाएं विभिन्न समाचार पत्र व पत्रिकाओं में भी प्रकाशित हो रही हैं।
पुरस्कार व सम्मान
साहित्यकार अनामिका वालिया को हरियाणा सरकार गोल्ड मेडल से सम्मानित कर चुकी है। साहित्य क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें नारायणी फाउंडेशन के रूपा राजपूत सम्मान, रोटरी क्लब के ऑनरेरी मेंबर सम्मान मिला है। वहीं भारत विकास परिषद अंबाला शहर और पंचनद शोध संस्थान यमुना नगर द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा उन्हें देश व विभिन्न राज्यों की साहित्यिक एवं प्रतिष्ठित संस्थाओं द्वारा काव्य मंचों से अनेक पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
09June-2025
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