सोमवार, 12 मई 2025

साक्षात्कार: समाजहित में हिंदी साहित्य को जीवंत रखना आवश्यक: मीना चौधरी

कवियत्री के साथ सामाजिक कार्यकर्ता के रुप में भी बनाई पहचान 
व्यक्तिगत परिचय 
नाम: मीना चौधरी 
जन्मतिथि: 28 मार्च 1971 
जन्म स्थान: जमशेदपुर (झारखंड) 
शिक्षा: बीएससी, एमबीए 
संप्रत्ति: लेखिका, कवि, संपादक, उद्यमी और सामाजिक कार्यकर्ता 
संपर्क:3313, डीएलएफ, फेज-4, गुरुग्राम (हरियाणा), ईमेल-meena.choudhary7@gmail.com, मोबा.-8527722319 Ph-8527722319 
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--BY-ओ.पी. पाल 
साहित्य संवर्धन करने में जुटे साहित्यकार अलग अलग विधाओं में समाज को नई दिशा देने के मकसद से सामाजिक सरोकारों से जुड़े मुद्दों पर अपनी लेखनी चलाते आ रहे हैं। ऐसे ही लेखकों में महिला साहित्यकार मीना चौधरी भी एक कवि के रुप में अपने रचना संसार को आगे बढ़ा रही है। साहित्य और सांस्कृतिक समृद्धि के लिए समर्पित लेखन करने के साथ वह कई साहित्यिक, सामाजिक, उद्यमी जैसी संस्थाओं के साथ जुड़ी हैं और एक सामाजिक कार्यकर्ता के रुप में भी अपनी भूमिका निभा रही हैं। हरिभूमि संवाददाता से हुई बातचीत के दौरान साहित्यकार, कवि एवं लेखिका मीना चौधरी ने अपने साहित्यिक सफर को लेकर कई ऐसे अनछुए पहलुओं को उजागर किया है, जिसमें उनका मकसद गद्य और पद्य दोनों विधाओं में साहित्यिक व सांस्कृतिक मंचों पर सक्रिय रहकर हिंदी साहित्य को जीवंत और विकासशील बनाए रखना है, ताकि साहित्य और समाज में उनकी सार्थक भूमिका बनी रहे। 
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महिला साहित्यकार एवं लेखिका मीना चौधरी का जन्म 28 मार्च 1971 को जमशेदपुर(झारखंड) में एक मैथिल ब्राह्मण परिवार में हुआ। उनके पिता जमशेदपुर स्थित टेल्को कंपनी में इंजीनियर थे और माता एक समर्पित गृहिणी रहीं। उनका बचपन जमशेदपुर में ही बीता और उनका और दो भाइयों का पालन-पोषण तथा शिक्षा भी जमशेदपुर में ही हुई। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा लिटिल फ्लावर स्कूल(कॉन्वेंट स्कूल ) से हासिल की। उनके परिवार या घर में किसी प्रकार का साहित्यिक या सांस्कृतिक माहौल नहीं था। उन्होंने अपनी शिक्षा विज्ञान विषयों में की, लेकिन हिंदी भाषा के प्रति उनका एक विशेष लगाव रहा और इसी हिंदी प्रेम के चलते उनकी साहित्यिक रुचि विकसित हुई। स्कूल और कॉलेज के दिनों में कभी-कभार कुछ भावनात्मक लेखन करती थी और उसी दौरान आकाशवाणी से भी जुड़ने का अवसर मिला। हालांकि छात्र जीवन की व्यस्तता के कारण यह साहित्य की रुचि थोड़ा पीछे रही। इसके बाद गृहस्थी में आने के बाद जब बच्चे बड़े हो गये तो वहीं साहित्यिक लगाव फिर से मन में जागृत होने लगा और उन्होंने अपनी साहित्यिक पारी को गति देकर लेखन शुरु कर दिया। उनके लेखन किसी एक विशेश विषय तक ही सीमित नहीं है, बल्कि समाज के विभिन्न पहलुओं पर कविताएं और आलेख लिखती आ रही हैं। उन्होंने बीएससी की शिक्षा के दौरान अपनी पहली रचना लिखी, जो स्थानीय अखबारों में भी प्रकाशित हुई। इससे उनका लेखन के प्रति ऐसे में आत्मविश्वास बढ़ना स्वाभाविक था, जब उनकी रचना रेडियो पर भी प्रसारित हुई। उनका पहला हिन्दी कविता संग्रह 'रस स्राविता' प्रकाशित हुए, जिसे भाषा सहोदरी हिन्दी के सहयोग से 2019 में प्रकाशित किया गया। जबकि उनका दूसरा काव्य संग्रह 'पैबंद पर सितारे' शीर्षक से पुस्तक के रुप में 2021 में पाठकों के सामने आया। जबकि तीसरा काव्य संग्रह शीघ्र ही प्रकाशित होगा। बकौल मीना चौधरी, वह हिंदी और अंग्रेज़ी भाषा के अलावा मैथिली में भी लेखन करती आ रही हैं। उन्होंने 'भाषा सहोदरी हिंदी' सहित कई संस्थाओं के साथ मिलकर हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए कार्य किया है, जिसके लिए उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली और उन्होंने मॉरीशस, दुबई और सिंगापुर जैसे देशों में हिंदी को मंच को साझा किया। उनका कहना है कि उनके साहित्य क्षेत्र के सफर में उनके पति, बेटियों और दामाद समेत परिजनों का निरंतर सहयोग और प्रोत्साहन मिला है, जो उनके लिए सबसे बड़ी प्रेरणा है। साहित्य क्षेत्र के अलावा वे सामाजिक सेवा में भी सक्रीय हैं और स्वच्छता जागरण समिति जैसी संस्थाओं से जुड़ी हैं। वहीं वे कई साहित्यिक संस्थाओं से जुड़ी होने के साथ भाषा सहोदरी की मुख्य संयोजिका हैं और आगमन की राष्ट्रीय महासचिव एवं महिला काव्य मंच, गुरुग्राम की महासचिव भी रही हैं। वे खुद के संस्थान इंडसोल एंटरप्राइजेज की अध्यक्ष भी हैं यानी इंडसोल एंटरप्राइजेज में स्व-नियोजित, उद्यमशीलता की दुनिया में अपनी व्यावसायिक विशेषज्ञता उनके पास है। एक साहित्यकार के रुप में वह राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन दुबई और मॉरीशस में मुख्य प्रबंधक रही हैं एवं भाषा सहोदरी पत्रिका की सम्पादक भी हैं। वहीं उन्होंने अनेक साहित्यिक मंचों के अलावा कई टीवी चैनलों एवं आकाशवाणी के कार्यक्रम में भी भागीदारी की है। 
आधुनिक युग में साहित्य चुनौतीपूर्ण महिला साहित्यकार, कवियत्री एवं लेखिका मीना चौधरी का इस आधुनिक युग में साहित्य की स्थिति को लेकर कहना है कि आज साहित्य अत्यंत रोचक, बहुआयामी और चुनौतीपूर्ण है। तकनीकी प्रगति, सोशल मीडिया और डिजिटल माध्यमों ने अभिव्यक्ति के नए रास्ते खोले हैं, जिससे साहित्य अब सिर्फ पुस्तकों तक सीमित नहीं रहा। ब्लॉग, ई-बुक्स, पॉडकास्ट और यूट्यूब जैसी डिजिटल माध्यमों ने नए लेखकों को मंच दिया है, और पाठकों को विविधता से भरा साहित्य उपलब्ध कराया है। हालांकि, इस डिजिटल बाढ़ में गंभीर साहित्य कहीं-कहीं हाशिये पर भी दिखता है, जिसका प्रभाव खासतौर से युवा पीढ़ी पर तेजी से हुआ है और युवा पीढ़ी की साहित्य में घटती रुचि के पीछे डिजिटल मनोरंजन का वर्चस्व, त्वरित जानकारी की आदत, और पाठ्यक्रम केंद्रित शिक्षा प्रणाली ने साहित्यिक संवेदनाओं को हाशिए पर डाल दिया है। तात्कालिकता, वायरल होने की लालसा और मनोरंजन की प्रधानता के चलते साहित्यिक गहराई और संवेदना के स्तर पर कभी-कभी समझौता होता है। इसके बावजूद साहित्य आज भी सामाजिक सरोकारों का दर्पण बना हुआ है और बदलते परिवेश में मानसिक स्वास्थ्य, लैंगिक समानता, पर्यावरण और राजनीतिक चेतना जैसे आधुनिक विषयों पर सशक्त लेखन हो रहा है। जहां तक साहित्य के पाठकों में कमी आने का कारण है उसमें तेजी से बदलती जीवनशैली और डिजिटल माध्यमों की बढ़ती निर्भरता है। इसलिए युवाओं को साहित्य पढ़ने के लिए प्रेरित करना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि साहित्य न केवल भाषा और अभिव्यक्ति को समृद्ध करने के साथ सोचने, समझने और महसूस करने की क्षमता भी बढ़ाता है। ऐसी प्रेरणा युवाओं को अपनी संस्कृति, समाज और मानवीय मूल्यों से जोड़ने में सहायक होगी। 
प्रकाशित पुस्तकें 
महिला लेखिका एवं कवि मीना चौधरी की प्रकाशित पुस्तकों में रस स्राविता, पैबंद पर सितारे और मेरी स्वरचित काव्य संग्रह हैं प्रमुख रुप से शामिल हैं। उनके हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषा में साँझा संकलन एवं पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं, लघुकथा और लेख भी प्रकाशित हुए है। इसके अलावा वे गद्य और पद दोनों साहित्यिक विधाओं में आलेख और रचनाएं लिखती आ रही हैं। 
पुरस्कार व सम्मान 
साहित्यकार एवं लेखिका मीना चौधरी को साहित्यिक क्षेत्र में योगदान के लिए राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मंचो से अनेक सम्मान मिल चुके हैं। इनमें विश्व हिंदी सम्मान दुबई, 'सहोदरी रत्न' मॉरिशस, 'शब्द मनीषी सम्मान', विविधता में एकता राष्ट्रीय सम्मान, आगमन तेजस्विनी अवार्ड, रंग राची सम्मान, स्वर लहरी सम्मान, प्रेरणा पीढ़ी पुरस्कार, भाषा सहोदरी सम्मान प्रमुख रुप से शामिल रहे। इसके अलावा उन्हें अनेक साहित्यिक मंचों से भी विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। 
14May-2025

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