सोमवार, 5 मई 2025

चौपाल: समाज को संस्कृति से जोड़ने में कला का अहम योगदान: रवि मोहन

अभिनेता एवं रंगकर्मी के रुप में बॉलीवुड तक बनाई अपनी पहचान 
       व्यक्तिगत परिचय 
नाम: रवि मोहन 
जन्मतिथि: 11 मई 1975 
जन्म स्थान: कैथल 
शिक्षा: एम.फिल (आधुनिक इतिहास) कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय, (हरियाणा में 20वीं सदी में रंगमंच विकास) 
 संप्रत्ति: स्वतंत्र थिएटर निर्देशक, रंगकर्मी 
 संपर्क:वार्ड नं. 10, पंचमुखी हनुमान मंदिर, सफीदो, जिला जींद(हरियाणा), मोबा. 9215512300, ईमेल- rasravimohan@gmail.com  
 BY-ओ.पी. पाल 
रियाणा की समृद्ध लोक कला एवं संस्कृति की राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में विभिन्न विधाओं में अपनी कला के हुनर से ऐसे कलाकारों की अहम भूमिका है, जो हरियाणवी भाषा, बोली, सभ्यता, संस्कृति और परंपराओं के संवर्धन में जुटे हुए हैं। ऐसे ही कलाकारों में अभिनेता एवं रंगमंच के कलाकार रवि मोहन भी शामिल है, जिन्होंने बॉलीवुड तक का सफर करने के बावजूद अपनी संस्कृति को सर्वोपरि रखते हुए समाज को सकारात्मक संदेश देने के मकसद से अपनी कला को बुलंदियों तक पहुंचाया है। साहित्यिक नाटकों, कहानियों के मंचन और सामाजिक सरोकार के मुद्दों पर अपनी कला के संसार को दिशा देने का प्रयास किया है। हरिभूमि संवाददाता से हुई बातचीत में अभिनेता, थिएटर निर्देशक और रंगकर्मी रवि मोहन ने अपनी कला के सफर को लेकर कई ऐसे अनछुए पहलुओं को उजागर किया है, जिससे समाज को अपनी संस्कृति से जोड़े रखने में कला महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है। 
--- 
रियाणा के लोक कलाकार रवि मोहन का जन्म 11 मई 1975 को रास बिहारी और श्रीमती अनीता भारद्वाज के घर में हुआ। उनके परिवार में किसी प्रकार का साहित्य या सांस्कृतिक माहौल तो नहीं था, लेकिन उनके पिता कभी अपनी शादी से पहले कैथल में रामलीला में कुछ न कुछ किरदार करते थे। लेकिन शादी के बाद उनके जन्म के बाद कभी मंच पर काम नहीं कर पाए। उनका परिवार 46 साल पहले कैथल सफीदों आ गया था। जहां उन्होंने ग्रॉसरी का बिजनेस शुरू किया, जिसमें काफी आर्थिक नुकसान हुआ और माता पिता ने इस बड़े ही कठिन दौर में तीन भाई बहन का किसी तरह से पालन पोषण किया। सफीदों आने के परिवार और उनके जीवन में काफी संघर्ष का सामना करना पड़ा। उनकी रवि मोहन की पत्नी गवर्नमेंट कॉलेज सफीदों में अंग्रेजी की शिक्षका है और लख्मीचंद से एनीमेशन और वीएफएक्स कोर्स कर रही है। बकौल रवि मोहन, उनकी प्राथमिक शिक्षा सरकारी स्कूल में हुई और साल 1990 में सरकारी स्कूल से ही दसवीं पास करने के बाद वह पिताजी के साथ उनके काम में हाथ बंटाने लगा, लेकिन तीन-चार साल के बाद उन्हें शुभचिंतकों ने पढ़ाई को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया। साल 1993 में उन्होंने कालेज में दाखिला लिया, जहां उनके मित्र उससे तीन साल आगे थे। कॉलेज पास आउट करने के बाद उन्होंने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र में आधुनिक इतिहास में एमए की और उसके बाद अच्छे नम्बरों से एमफिल करने में कामयाब रहा। कला के क्षेत्र में अपनी अभिरुचि के बारे में रवि मोहन ने बताया कि बचपन में स्कूली शिक्षा के दौरान उन्हें कभी-कभी मंच पर ग्रुप सॉन्ग और छोटे-छोटे अभिन्य करने का सौभाग्य मिला, लेकिन रंगमंच जानने का मौका कभी नहीं मिला। कॉलेज के दौरान उन्हें सांस्कृतिक कार्यक्रमों में मौका मिला और उनकी कला से उन्हें सम्मान मिला, क्योंकि वह कॉलेज में भी एनसीसी की क्विज कांटेस्ट, गेम सॉन्ग, फैंसी ड्रेस, नाटक, नृत्य और गाना बजाना जैसी गतिविधि में बढ़चढ़कर हिस्सा लेते रहे। इन सांस्कृतिक गतिविधियों में उनके साथ सभी सहपाठी लगभग गांव की पृष्ठभूमि से ही थे। विश्वविद्यालय में वे सांस्कृतिक गतिविधियों में सक्रीय रहते हुए लोक नृत्य और नाटकों में भागीदारी करते रहे। लोक कलाकार और थिएटर निर्देशक रवि मोहन ने बताया कि संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली और नेशनल स्कूल आफ ड्रामा फैकल्टी के विशेषज्ञों के सानिध्य में उन्होंने साल 2002 और 2003 में रंगमंच की कार्यशालाओं से प्रशिक्षण लिया और दो माह के अल्पकाल में उन्होंने रंगमच की बारीकियों को जाना, तो वह रंगमंच की तरफ आकर्षित होकर रंगकर्मी के रुप में अपना कला को आगे बढ़ाने लगा। पिछले करीब 28 वर्षों से रंगमंच से जुड़कर करीब 50 नाटकों का निर्देशन किया है, जबकि 15 नाटकों में अभिनय करने के अलावा कुछ वेब सीरीज और टीवी सीरियल्स में भी कोई न कोई किरदार किया। उन्हें हरियाणा की तरफ से राष्ट्रीय नाट्य प्रतियोगिता में बतौर निर्देशक के रुप में भी काम करने का मौका मिला। अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती समारोह और राष्ट्रीय विद्यालय नई दिल्ली की तरफ से आयोजित अंतर्राष्ट्रीय नाटय उत्सव भारत रंग महोत्सव में भी भाग लिया। उन्होंने 2003 में राज कला मंच नामक खुद की एक नाटक एनजीओ का पंजीकरण कराया और इस मंच से अब तक 14 राष्ट्रीय नाटक उत्सव चैनल थिएटर के नाम से आयोजित किए हैं, जिनमें सीमा विश्वास, टॉम अल्टर, राकेश बेदी, कुमुद मिश्रा, सुधीर पाण्डेय, पद्मश्री नीलम मान सिंह, सुरेश शर्मा, राजेश सिंह, चित्तरंजन त्रिपाठी, वामन केंन्द्रे जैसे कई बड़े थिएटर कलाकारों ने अपनी सहभागिता निभाई। साल 2007 से 2010 तक वह हरियाणा से मुंबई और मुंबई से हरियाणा आकर काम करता रहा। एक समय ऐसा आया, जब उन्हें यह निर्णय करना था कि उन्हें मुंबई में या अपने हरियाणा में काम करना है। इसके बाद उन्होंने हरियाणा में रंगमंच करने का फैसला लिया कि वह राज कला मंच के लिए पूरा समय देकर हरियाणा की संस्कृति के संवर्धन करने का काम करेंगे। रवि मोहन 'हरियाणा में रंगमंच की संभावनाएं और सरकार की भूमिका' के अलावा 'रामायण और महाभारत के संदर्भ में विश्व रंगमंच' शीर्षक पर वरिष्ठ फेलोशिप कर रहे हैं। उन्होंने एनजेडसीसी, डब्ल्यूजेडसीसी, एनसीजेडसीसी, एमएसीसी, एसएनए दिल्ली, सीएसएनए चंडीगढ़, संस्कृति मामले हरियाणा और हरियाणा कला परिषद जैसे सरकारी सांस्कृतिक संगठनों के साथ काम किया है और वर्तमान में वह एक निर्देशक के रूप में अपने नाटकों का मंचन कर रहे हैं।
कला व संस्कृति को प्रेरित करना आवश्यक 
रंगमंच के कलाकार रवि मोहन का कहना है कि इस आधुनिक युग में रंगमंच की स्थिति संतोषजनक नहीं कही जा सकती। हरियाणा में किसी भी कॉलेज और विश्वविद्यालय में रंगमंच में शिक्षा नहीं दी जा रही है। इसलिए युवा पीढ़ी नाटकों के साथ जुड़कर रह जाती है। मसलन रंगमंच ऐसी मुश्किल विधा है, जिसके लिए संस्कार ग्रहरण करना भी बड़ी चुनौती है। आजकल सोशल मीडिया की वजह से युवा वर्ग अपनी संस्कृति और संस्कारों से दूर होता नजर आ रहा है। इसलिए इस बदलते परिवेश में युवाओं को लोक कला अभिनय संगीत व संस्कृति के लिए प्रेरित करने की आवश्यकता है। समाज और सरकार को उत्तम साहित्य, लोक कला और अन्य कला की विद्यायों, अच्छे नाटकों, अच्छी फिल्मों का सहयोग और परमोशन करना होगा। वहीं समाज और सरकार को कला का समर्थन करके कलाकारों को प्रोत्साहित करके सहयोग करने की जरुरत है। समाज और सरकार को उत्तम साहित्य, लोक कला और अन्य कला की विद्यायों, अच्छे नाटकों, अच्छी फिल्मों का सहयोग और परमोशन करना होगा। 
हरियाणा में संजोया अभिनय 
अभिनेता एवं रंगकर्मी रवि मोहन ने नेशनल चैनल डीडी-1 पर अक और कहानी, डीडी-हिसार के लिए सबरंग, सोनी टीवी पर क्राइम पेट्रोल एवं जिंदगी के क्रॉस रोड के अलावा एमएक्स प्लेयर पर कैंपस डायरी, स्टेज ऐप पर मेरे यार की शादी है और ब्रॉडलाइन एरोप्लान (फेदर फिल्म) में अपने अभिनय का किरदार निभाया है। उन्होंने दूसरा आदमी दूसरी औरत और एक शाम कहानियों के नाम, धीमा जहर, हरियाणा के क्रांतिवीर, मैकबेथ, नागमंडल, मारिया फरार, रेजांग-ला द लास्ट वार, अंधा युग, मैं कहानी हूं, कनुप्रिया, छाया के बिना आदमी के अलावा भारत के विभिन्न राज्यों में विभिन्न राष्ट्रीय रंगमंच समारोहों में अपनी कला से अहम योगदान दिया। इसके अलावा उन्होंने हरियाणा के जिलों के शिक्षण संस्थानों और विभिन्न ड्रामा स्कूलों में अभिनय और डिजाइनिंग के लिए विजिटिंग फैकल्टी के लिए भी अपनी कला का प्रदर्शन किया है। 
पुरस्कार एवं सम्मान 
अभिनेता एवं कलाकार रवि मोहन को वर्ष 2000 में राष्ट्रीय स्तर पर सर्वश्रेष्ठ लोक नर्तक एवं सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला। वहीं इसी वर्ष के दौरान उन्हें कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा विश्वविद्यालय कलर से सम्मानित किया गया। जबकि वर्ष 2007 में राष्ट्रीय स्तर पर निर्देशन के लिए स्वर्ण पदक से नवाजा गया। इसके अलावा उन्हें हरियाणा में रंगमंच प्रोत्साहन के लिए राज्यपाल पुरस्कार, रंगमंच और सांस्कृतिक गतिविधियों में अनुकरणीय समर्पण के लिए रोटरी वोकेशनल पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक पुरस्कार जैसे सैकड़ो पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। 
05May-2025

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें