सोमवार, 22 जुलाई 2024

चौपाल: समाज में लोक कला-संस्कृति की अलख जगाते खूबराम सैनी

हिंदी व हरियाणवी फिल्मों व रंगमंच पर एक अभिनेता के रुप में बनाई पहचान 
                    व्यक्तिगत परिचय 
नाम: खूबराम सैनी 
जन्मतिथि: 21 दिसंबर 1971 
जन्म स्थान: रेवाडी ( हरियाणा ) 
शिक्षा: स्नातक 
संप्रत्ति: अभिनय, रंगमच, 
संपर्क: 396/17, अंबेडकर चौक रेवाड़ी(हरियाणा), मोबा. 9034034101 
BY-- ओ.पी. पाल 
रियाणवी लोक कला एवं संस्कृति के संवर्धन के लिए सूबे के लोक कलाकार और संस्कृतिकर्मी फिल्मों और रंगमंच या अन्य सांस्कृतिक मंचों पर अपनी कला का हुनर दिखाते आ रहे हैं। लोक कलाकार एवं अभिनेता खूबराम सैनी ने सामाजिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है, जो हिंदी और हरियाणवी फिल्मों तथा रंगमंच पर अपनी कला के हुनर के जरिए हरियाणवी संस्कृति की अलख जगाने में जुटे हुए हैं। हिंदी व हरियाणवी फिल्मों और नाटकों के मंचन में मुख्य किरदार में उन्होंने सामाजिक सरोकारों से जुड़े मुद्दों को उजागर करते हुए सामाजिक विसंगतियों को उजागर करके सामाजिक चेतना जागृत करने का प्रयास किया है। फिल्मों व रंगमंच के कलाकार खूबराम सैनी ने हरिभूमि संवाददाता से हुई बातचीत में अपने तीन दशक के अभिनय और रंगकर्मी के सफर को लेकर कई ऐसे अनुछुए पहलुओं का जिक्र किया है, जिसमें कला के माध्यम से अपनी सभ्यता और संस्कृति के प्रति समाज को नई दिशा देना संभव है। 
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हरियाणा के लोक कलाकार एवं अभिनेता खूबराम सैनी का जन्म 21 दिसंबर 1971 को रेवाडी जिले में एक साधारण परिवार में रघुनाथ सैनी और श्रीमती रामबाई देवी के घर में हुआ। परिवार में धार्मिक माहौल के बीच उनके बड़े भाई को भजनों में बेहद रुचि थी, जिन्हें भजन गाते हुए वह बचपन में एक कलाकार बनने का सपना देखते थे। इसलिए खूबराम कोई भी कार्यक्रम देखते थे तो वह ऐसे कार्यक्रमों में अभिनय करने की अभिलाषा उनके मन में बसती चली गई। हालांकि बचपन में रंगमंच का कोई अनुभव नहीं मिल सका, लेकिन जब वह कालेज में शिक्षा ग्रहरण करने पहुंचे तो साल 1989 मे वह बंजारा ग्रुप के सम्पर्क में आया और पहली बार हास्य नाटक ‘वाह भई धारे’ मे एक छोटा यानी पीए का किरदार निभाने का मौका मिला। तभी से वह इस ग्रुप से जुड़े हुए हैं और अनेक नाटकों में छोटे और बड़े अनेक किरदार के रुप में अभिनय करते आ रहे हैं। सर्वश्रेष्ठ हास्य नाटक का पुरस्कार हासिल कर चुके सांस्कृतिक बंजारा ग्रुप के बहु चर्चित हरियाणावी हास्य नाटक ‘जै सुख तै चहावै जीवणा तो भौदू बणकै रह’ मे मुख्य अभिनय की भूमिका निभाते आ रहे खूबराम सैनी अब तक 72 शो कर चुके हैं। इसके अलावा उन्हें अनेक हिन्दी व हरियाणावी फीचर फिल्मों और टीवी सीरियलों में भी अभिनय करने का मौका मिला है। उनके नाटकों का मुख्य फोकस सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दों पर रहा है, ताकि समाज में सकारात्मक संदेश के जरिए लोक संस्कृति को जीवित रखने के लिए समाज में विचाराधारा का संचार किया जा सके। 
यहां से मिली मंजिल 
लोक कलाकार खूबराम सैनी का कहना है कि सामाजिक और देशभक्ति व अध्यात्मिक नाटकों में उन्हें जब पहली बार हरियाणावी हास्य नाटक ‘जै सुख तै चहावै जीवणा तो भौदू बणकै रह’ में मुख्य किरदार का मौका मिला तो उसे सराहा जाने लगा और उसके बाद उन्हें बचपन में संजोए गये सपने पूरे होते नजर आने लगे। इसके बाद गिरगिट, अन्त हिन अंत, कोर्ट मार्शल, बेपैदी का लौटा, स्वर्ग का पासपोर्ट, अग्रनरेश, मातृशक्ति, शहीदों ने लो जगाई जो, महाभोग तथा संक्रामक जैसे नाटकों में अभिनय करके मुख्य किरदार की भूमिका निभाई है। साल 1995 मे रामनगर नैनीताल मे ‘हास्य नाटक "जै सुख तै चहावै जीवणा तो भौदू बणकै रह’ को प्रथम पुरस्कार मिला है। खूबराम सैनी को उनके अभिनय के लिए अनेक मंचों से कई सम्मान भी मिल चुके हैं। यही नहीं सैनी ने सरकार के प्रायोजित प्रौढ़ शिक्षा, दहेज प्रथा उन्मूलन एवं साहित्यिक जैसे कार्यक्रमों में समाज को नई दिशा देने में अपनी कला का प्रदर्शन किया है। 
इन फिल्मों ने बनाया कलाकार 
हरियाणा की लोक कला और संस्कृति के दर्शन कराती दूसरी लडकी में उन्होंने मुख्य अभिनेता का किरदार निभाया है। अरुण जेटली द्वारा निर्देशित एक रोटी ओर तथा अमेरिका में होता होगा के अलावा सामाजिक और परिवारिक पृष्ठभूमि पर आधारित यशवंत चौहान की निर्देशित हरियाणवी फिल्म पीहर की चुंदडी और परिवारिक फिल्म कुनबा में भी अभिनय किया, जिसके फोकस में आज के युग में बढ़ते एकल परिवार की परंपरा के लिए बनी उस चिंता का परिदृश्य फिल्माया गया है, जिसमें बिगड़ते जा रहे सामाजिक ताना बाना के बीच आज के युवा अपने माता पिता का बुढ़ापे का सहारा बनने के बजाए धन और शौहरत पाने के लालच में उन्हें वृद्धाश्रम में भेजना अपनी शान समझते हैं। वहीं फिल्म अभिनेता और निर्देशक विजय भटोटिया की लघु फिल्म चंदा में भी उनकी भूमिका को सराहा गया है। वहीं उनकी टीवी सीरियल सबक फॉर डीडी में अभिनय के साथ सहायक निर्देशक की भूमिका भी निभाई है। इसके अलावा अशोक तलवार के निर्देशित टीवी सीरियल में वेद कान्या में भी किरदार करके अपनी कला को दिशा दी है। 
लोक संस्कृति को जीवंत करना जरुरी 
लोक कलाकार खूबराम सैनी का मानना है कि इस आधुनिक युग में लोक कला एवं संस्कृति को बचाने के लिए लोक कलाकारों के सामने चुनौतियां हैं, कयोंकि समाज में खासकर युवा पीढ़ी अपनी सांस्कृतिक और लोक कला से दूर होती नजर आ रही है। इसका सबसे बड़ा कारण मोबाइल और सोशल मीडिया है। इसका असर सीधा रंगमंच और थिएटर पर पड़ रहा है, जहां आज का युवा कलाकार भी रंगमंच या थिएटर में समय बर्बाद होने की दुहाई देकर अपना स्वार्थ देख रहा है और वह सीधे फिल्म और टीवी में जाना चाहता है। आज के युग में पाश्चत्य संस्कृति का भी हमारे समाज पर यह असर पड़ता है, जिसकी वजह युवा पीढ़ी सामाजिक रीति रिवाज़ो और संस्कृति को भूलती जा रही है। अपनी संस्कृति को बचाने के लिए रंगमंच और थिएटर को जीवित रखने के लिए रंगकर्मियों और कलाकारों को आगे आने की ज्यादा जरुरत है। 
  22July-2024

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