सोमवार, 15 जुलाई 2024

साक्षात्कार: लोक साहित्य सृजन से संस्कृति के उत्थान में जुटी सविता गर्ग ‘सावी’

लोक कला व साहित्य के क्षेत्र में लेखन व गायन से बनाई पहचान 
              व्यक्तिगत परिचय 
नाम: सविता गर्ग ‘सावी’ 
जन्मतिथि: 3 अप्रैल 1983 
जन्म स्थान: गांव नगूरा, जींद(हरियाणा) 
शिक्षा: स्नातक डिग्री(जन प्रशासन) 
संप्रत्ति: समाज सेविका, गायिका, स्वतंत्रत लेखन
संपर्क:895,सेक्टर-7,पंचकूला(हरियाणा), मोबा.9501167168 
BY--ओ.पी. पाल 
रियाणा की संस्कृति और संस्कारों की विरासत को संजोने के मकसद से लेखक, साहित्यकार, लोक कलाकार, गायक अपनी कला के हुनर से समाजिक उत्थान में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। समाज सेवा में सक्रीय ऐसी ही लेखिका सविता गर्ग लोक साहित्य और कला जैसे क्षेत्र में हिंदी और हरियाणवी दोनों भाषाओं में लेखन और गायन के माध्यम से हरियाणवी सभ्यता और संस्कृति का संवर्धन करने में जुटी हुई हैं। भगवान कृष्ण को ईष्ट गुरु मानकर लोक साहित्य के क्षेत्र अपनी पहचान बनाने वाली लेखक, कवयित्री, गीतकार, गायिका सविता गर्ग ‘सावी’ ने हरिभूमि संवाददाता से हुई बातचीत में कई ऐसे अनछुए पहलुओं को उजागर किया, जिसमें साहित्य और लोक कला ही समाजिक सभ्यता और संस्कार के प्रति सकारात्मक ऊर्जा के साथ समृद्ध संस्कृति को जीवंत करने में सक्षम है। 
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लोक साहित्य के क्षेत्र में हरियाणा की लोक गायिका, कवयित्री और गीतकार सविता गर्ग का जन्म 3 अप्रैल 1983 को जींद के नगूरा गांव में व्यवसायी राम रत्न गोयल के घर में हुआ। माता जी गृहणी है और घर का माहौल धार्मिक व संस्कारिक रहा। उनकी मां बहुत अच्छा गाती है, जिनके गुण हम चारों भाई बहनों में हैं। बचपन में मां को भजन गुनगुनाते और गाते हुए सुना और उनके साथ गाते गाते कई भजन याद हो गये। बकौल सविता गर्ग जब वह आठ साल की थी तो उनके मामा उन्हें अपने साथ अपने गांव जाजनवाला ले गए और मेरी पढ़ाई वहीं हुई। नाना के घर भी वैसा ही माहौल मिला। वह जिस स्कूल में पढ़ती थी, वहां के हेड मास्टर पंजाब सिंह ने उन्हें गाते सुना तो स्कूल के सांस्कृतिक कार्यक्रम में गाने के लिए प्रेरित किया। इससे बालमन बड़ी बड़ी आशाओं से भर गया, जिसके बाद बहुत सारे कार्यक्रमों में नृत्य और गायन दोनों किया। बचपन से ही खासकर कविताएं और कहानियां पढ़ने का शौंक था। कोई कागज का लिखा हुआ लिफाफा बहुत सावधानी से खोलकर वह कागज़ के लिफाफों पर लिखी कहानियां भी पढ़ती थी। जहां कहीं कोई कागज़ का टुकड़ा मिलता, बस उसे खोलती और पढ़ती। उस वक्त साहित्य के बारे में तो कुछ भी नहीं जानती थी। वह ग्यारहवीं कक्षा में थी, तो सौभाग्य से वृंदावन जाना हुआ और बस वहीं से जीवन में एक ऐसा मोड़ आया कि घर आने के बाद बार बार वृंदावन जाने का मन करता था, लेकिन संभव नहीं था। मन के इस द्वंद्व में कब कलम हाथ में आई और पता ही नहीं चला, जो उसने लिखा है वह एक बहुत अच्छा भजन बन गया और उसके लेखन के केंद्र में कृष्ण कन्हैया ही थे। स्कूल की मैगजीन और उसके बाद कॉलेज की मैगजीन में मेरी छोटी छोटी रचनाएं प्रकाशित हुई। उन्होंने इसके अलावा दहेज प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या, नारी उत्पीड़न, और भी कई विषयों पर कविताएं लिखी। सौभाग्य से एक बार उनके कॉलेज में जींद के जाने माने साहित्यकार राजेंद्र मानव गोष्ठी के उद्देश्य से आए, जिनके सामने उन्हें भी कविता पढ़ने का अवसर मिला, जिसे खूब सराहा गया। इसके बाद उन्हें गोष्ठियों में मंच पर गाने का निमंत्रण मिले, जहां से उनकी साहित्यिक गतिविधियां सार्वजनिक हुई। साहित्य और लोककला के क्षेत्र में उतार चढ़ाव भी एक जीवन का हिस्सा होता है। कुरुक्षेत्र में यूथ फेस्टिवल में पहली बार प्रस्तुति के लिए उसकी हरियाणवी नृत्य और गायन की तैयारी थी, लेकिन पिता ने जाने से इंकार कर दिया। पाबंदी की वजह से पहली बार यूथ फेस्टिवल में प्रस्तुति देने का अवसर खोना पड़ था। मन बहुत उदास था, लेकिन सर के समझाने पर भी पापा नहीं माने, तो ऐसे में मां उनका सहारा बनी और इस आयोजन में उनकी दोनों प्रस्तुतियां शानदार रही। सूबे की मां बोली हरियाणवी में लेखन और गायन उनका फोकस कन्या भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा, के अलावा देश प्रेम, भाईचारा, संस्कृति अध्यात्मिक पर रहा है। अभी तक उनके 17 हिंदी और हरियाणवी भजन रिलीज हो चुके हैं। पंचकूला में उनके व्यवसायी पति पवन गर्ग भी उनके लोक साहित्य क्षेत्र में सहयोग दे रहे हैं। जन प्रशासन में स्नातक डिग्री प्राप्त महिला साहित्यकार और लोक गायिका सविता गर्ग राष्ट्रीय कवि संगम पंचकूला इकाई की अध्यक्ष होने के साथ ही साहित्य 24 संस्था की हरियाणा राज्य की अध्यक्ष भी हैं। इसके अलावा अनेक देश व राज्यों की विभिन्न संस्थाओं से जुड़ी सविता सोशल मीडिया के अनुक साहित्यिक पटलों पर आजीवन सदस्य के रुप में सक्रीय भूमिका निभा रही हैं। खास बात यह भी है कि हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा एकल काव्य संग्रह के प्रकाशन हेतु पाण्डुलिपत चयनित व अनुदान स्वीकृति प्राप्त सविता गर्ग हिंदी साहित्य सेवा के साथ समाज सेवा में सक्रीय हैं। 
युवाओं को प्रेरित करना जरुरी 
लोक साहित्यकार और गायिका सविता मानती हैं कि इस आधुनिक युग में साहित्य, लोक कला और संगीत एक दायरे में सिमट कर रह गए हैं और खासतौर से युवा पीढ़ी की कम होती रुचि का असर सामाजिक और संस्कृति नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। इसके जिम्मेदार हम ही हैं, जो सुविधाएं देने के नाम पर बच्चों को साहित्य, संस्कृति, और लोक कला से दूर कर रहे हैं। वहीं आधुनिकता की दौड़ में हास्य और श्रृंगार के नाम पर अधिकतर द्विअर्थी कविताएं श्रोताओं को परोसने से समाज पर बहुत ही बुरा असर पड़ रहा है। जहां तक समाजिक संस्कार और संस्कृति के हित में सुधार का सवाल है उसके लिए स्कूल स्तर पर बच्चों को साहित्य और लोककला के प्रति प्रेरित करके उन्हें सांस्कारिक बनाने की जरुरत है, ताकि सामाजिक संस्कारों और संस्कृति की विरासत को आने वाली पीढ़िया संजोकर रख सकें। 
प्रकाशित पुस्तकें 
लोक साहित्य के क्षेत्र में सविता की प्रकाशित पुस्तकों में एकल काव्य संग्रह ‘मेरी उड़ान’ और ‘मैं मीरा-सी’ तथा बाल काव्य संग्रह ‘प्यारी सोनपरी’ सुर्खियों में हैं। इसके अलावा नशामुक्ति जैसे सामाजिक विषय पर आधारित संयुक्त काव्य संकलन ‘ये जिंदगी है अनमोल’ तथा चुनिंदा कवित्रियों के संयुक्त काव्य संकलन ‘उमंग अभिव्यक्त’ में उनकी कविताएं प्रकाशित हुई हैं। वहीं हरियाणा राज्य की स्वर्ण जयंती के उपलक्ष्य में प्रकाशित सांझा बाल काव्य संकलन ‘दुनिया गोल मटोल’ में उनकी कविताओं को प्रमुखता से स्थान मिला है। इसके अलावा उनके 17 भजन हिंदी और हरियाणवी दोनों भाषाओं में जारी हो चुके हैं। इसके अलावा विभिन्न समाचार पत्रों पत्रिकाओं में हिंदी व हरियाणवी कविताओं व गीतों का निरंतर प्रकाशन होता आ रहा है। 
पुरस्कार व सम्मान 
हिंदी और हरियाणवी लोक साहित्य में अहम योगदान देती आ रही कवियत्रि और गीतकार सविता गर्ग सावी को अनेक पुरस्कार व सम्मानों से नवाजा जा चुका है। इनमें अंतर्राष्ट्रीय पद्म शौर्य सम्मान, भारत गौरव सम्मान, मैथिली शरण गुप्त सम्मान, हरियाणा भूषण सम्मान, नारी शक्ति सम्मान, कोकिला रत्न सम्मान, युवा शताब्दी साहित्यकार सम्मान, निर्भया अवार्ड, मधुशाला गौरव सम्मान, अमृत महोत्सव काव्य गौरव सम्मान, हरियाणा गौरव काव्य दर्पण सम्मान, अग्र गौरव सम्मान, वूमेन वर्ल्ड रिकॉर्ड्स द्वारा वूमेन इंस्पिरेशनल अवार्ड के सम्मान प्रमुख हैं। उन्हें बिहार की संस्था विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ द्वारा विद्यावाचस्पति की मानद उपाधि से सम्मानित किया जा चुका है। कविता, गजल, लघुकथा, गीत, संगीत, भजन गायन जैसे साहित्यिक कार्यक्रमों के कुशल संचालन का अनुभव रखने वाली सविता गर्ग सावी राष्ट्रीय चैनल डीडी उर्दू, हिसार दूरदर्शन, चंडीगढ़ दूरदर्शन, डीडी पंजाबी और अन्य चैनलों पर समय समय पर काव्य पाठ भी करती आ रही हैं। 
15July-2024

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