बुधवार, 28 फ़रवरी 2024

चौपाल: परंपरागत नृत्य संगीत कला की शिक्षा को आगे बढ़ाती शुभ्रा मिश्रा

हरियाणवी लोक कला को नया आयाम देने के लिए शास्त्रीय संगीत कला को आगे बढ़ाने मुहिम 
BY-ओ.पी. पाल 
रियाणवी लोक कला एवं संस्कृति में लोक नृत्य, गीत, संगीत, रागनी, सांग जैसी विधाओं में भले ही अपनी अपनी शैलियों में कलाकार व संगीतकार लोक संस्कृति के संवर्धन करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन हरियाणा की लोक कला एवं संस्कृति में भारतीय संस्कृति की विधाओं का समावेश करती प्रसिद्ध भारतनाट्यम शास्त्रीय और ओडिसी लोक नृत्यांगना श्रीमती शुभ्रा मिश्रा खासकर भावी पीढ़ी को इस क्षेत्र में नित नए आयाम देने में जुटी हुई है। हाल ही में एलिगेंस वूमेन अवार्ड से सम्मानिन श्रीमती शुभ्रा मिश्रा हरियाणा में नृत्य संगीत के क्षेत्र में चुनौतियों के बावजूद प्रतिभाओं को तराशकर उन्हें राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं के जरिए सम्मान दिला रही है, ताकि भारतीय संस्कृति में निहित नृत्य संगीत की परंपरा को आज की पीढ़ी इस क्षेत्र में अपना करियर सुरक्षित कर सके। एक इंजीनियर बनने के बजाए नृत्य संगीत को अपना करियर बना चुकी भारतीय शास्त्रीय संगीत की नृत्य विशेषज्ञ शुभ्रा मिश्रा ने हरिभूमि संवाददाता से बातचीत करते हुए स्पष्ट किया कि नये आयाम गढ़ती हरियाणवी लोक संस्कृति एवं कला बुलंदियों पर होगी।
---- 
रियाणा की लोक संस्कृति एवं कला में रमती जा रही भारतनाट्यम शास्त्रीय नृत्य और ओडिसी लोक नृत्य विशेषज्ञ श्रीमती शुभ्रा मिश्रा का जन्म अक्टूबर 1980 को कोलकाता(पश्चिम बंगाल) में गोपाल जी पांडे और श्रीमती सत्यभामा पांडेय के घर में हुआ था। उन्हें बचपन से ही संगीत कला व नृत्य में अभिरुचि थी। उनकी इस अभिरूचि को उनके पिता गोपाल जी पांडे और माता स्वर्गीय श्रीमती सत्यभामा पांडेय ने भी प्रोत्साहित किया और भारतीय संस्कृति की विभिन्न विधाओं में समृद्ध करके बेटी के हित में उनकी कला को विकसित करने में अहम भूमिका निभाई, जिसमें समकालीन नृत्य कला प्रमुख रही। परिजनों के सहयोग से उन्होंने निरंतर भारतीय नृत्यों का प्रशिक्षण लिया और और प्रतिष्ठित मंचो पर अपनी कला का प्रदर्शन किया। बकौल शुभ्रा मिश्रा, उनका विवाह बिहार के मूल निवासी डा. रंजन कुमार के साथ हुआ, जो दिल्ली में बिजनेस करते हैं। यह उनका सौभाग्य था कि ससुराल और पति ने भी उनके नृत्य की कला का भरपूर समर्थन करके प्रोत्साहित किया। पिछले करीब डेढ़ दशक से वह पति के साथ फरीदाबाद में रह रही हैं। अपने नृत्य संगीत के प्रति प्रेम को भगवान और गुरुओं के प्रति समर्पण मानते हुए वह निरंतर नृत्य संगीत की शिक्षा को आगे बढ़ाने में जुटी हुई हैं। उन्होंने महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक से एमटेक किया है, तो यूपी के प्रयागराज से बीटेक की शिक्षा हासिल की। उन्होंने श्रीमती शर्मिष्ठा मलिक और श्रीमती लक्ष्मी के अधीन भरतनाट्यम नृत्य प्रशिक्षण हासिल किया। जबकि ओडिसी लोक नृत्य के लिए उन्हें सुश्री मधुमिता राउत और मायाधर राउत ने प्रशिक्षण दिया। सुप्रसिद्ध ओडिसी नतृक और शोध विद्वान महापात्र को अपना गुरु मानकर शिष्या के रूप में नृत्यांगना को अपने जीवन का अहम हिस्सा बनाया। भारतीय नाट्यम में मोहिनीअट्टम के लिए सुश्री कीर्थना से उन्होंने बहुत कुछ सीखा। शुभ्रा मिश्रा ने बताया कि फरीदाबाद आने के बाद उन्होंने बतौर लोक संगीत व नृत्यांगना उन्होंने हरियाणवी लोक संस्कृति व कला का अध्ययन करना शुरू किया, जिसमें उन्होंने हरियाणा को लोक कला और संगीत के हब के रुप में पहचाना। लेकिन यह बात भी सामने आई कि पाश्चात्य संस्कृति के बढ़ते प्रभाव में हरियाणवी संस्कृति, परंपराएं और लोक कला लुप्त होने के कगार पर हैं, खासकर युवा पीढ़ी के अपनी संस्कृति व परंपराओं से भंग के होते मोह चिंता का विषय के साथ चुनौती भी है। इसलिए उन्होंने हरियाणा की लोक कला व संगीत को भारतीय संस्कृति से जोड़ने की मुहिम शुरु की। खुद भी उन्होंने पिछले दो साल में अपने भारतनाट्यम शास्त्रीय और ओडिसी लोक नृत्य के साथ कुचीपुडी नृत्य संगीत को जोड़कर इस परंपरागत नृत्य की शिक्षा को विस्तार देने का प्रयास किया। पिछले करीब 12 सालों से वह हरियाणवी लोक कला संस्कृति के साथ जुड़ते हुए हरियाणा की युवा पीढ़ी को नृत्य संगीत-कला के साथ भारतीय शास्त्रीय, ओडिसी व कुचीपुडी नृत्य संगीत की कला के गुर भी सिखा रही हैं। शुभ्रा मिश्रा फरीदाबाद में ही भारतीय शास्त्रीय नृत्य और लोक संगीत कला सिखाने के लिए एक इंस्टीटयूट का संचालन कर रही हैं। वहीं वे फरीदाबाद के वाईएमसीए तथा एसओएस स्कूल के अलावा कई संस्थाओं में भी अतिथि नृत्य शिक्षिका की भूमिका निभा रही हैं। भारतीय संस्कृति में गुरु व शिष्य की पंरपरा की शैली वाले भरतनाट्यम नृत्य के साथ ओडिसी नृत्य में डेढ़ दशक तक प्रशिक्षण के बाद उन्होंने देश के विभिन्न राज्यों में नृत्य के रूप में कार्याशालाओं में हिस्सा लिया। 
भारतीय संगीत कला को प्रोत्साहन 
एक नृत्य संगीत की कलाकार के रुप में शुभ्रा मिश्रा ने अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय और राज्य स्तर के मंचों पर नृत्य कला प्रदर्शन शास्त्रीय संगीत के साथ भारतीय लोक संस्कृति की झलक भी पेश की है। भारतीय संस्कृति में परंपरागत नृत्य संगीत को महत्व देते हुए शुभ्रा मिश्रा ने पिछले साल जनवरी में काशी में काशी में घाट संध्या के आयोजन में अपनी कला का प्रदर्शन कर देश विदेश के पर्यटकों को आकर्षित किया, तो वहीं उन्होंने पिछले महीने रक्षा विभाग के हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के शास्त्रीय संगीत को लेकर आयोजित समारोह में भी हिस्सेदारी की है। उन्होंने बताया कि पिछले साल सितंबर में नई दिल्ली स्थित आंध्रभवन में आयोजित शास्त्रीय संगीत समारोह में उन्होंने कुचीपुडी नृत्य को भी अपनी कला का हिस्सा बनाया, जो आंध्र प्रदेश का क्लासिक डांस है। उन्होंने कालिदास की कविता मेघदूतम् और चित्रांगधा पर नृत्य नाटकों का प्रदर्शन करके भारतीय संगीत कला को प्रोत्साहित करने की पहल भी की है। यही कारण है कि फरीदाबाद निवासी श्रीमती शुभ्रा मिश्रा की भारतीय शास्त्रीय संगीत कला और लोक संस्कृति की छाप देश के अलावा अन्य देशों तक भी दस्तक देने लगी है। 
नृत्य संगीत को नई दिशा 
प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीत की नृत्य विशेषज्ञ शुभ्रा मिश्रा इस क्षेत्र की चुनौतियों के बारे में मानती हैं कि यह एक विड़ंबना ही है कि पिछले दिनों लुप्त होने के कगार पर भारत का शास्त्रीय और लोग संगीत की कला पर विदेशी संस्कृति हावी रही है। ऐसे में हम जैसे कलाकारों को अपनी परंपरागत नृत्य संगीत को शिक्षा और जागरुकता के जरिए जीवंत करने की चुनौती है। इसी मकसद से वह नृत्य शिक्षा को बढ़ाने की मुहिम में जुटी हुई है। उनका मानना है कि अभी यह शिक्षा अपने बचपन में है, लेकिन बच्चों को शुरु में ही अपनी परंपरागत संस्कृति की शिक्षा के प्रति समर्पित बनाने की जरुरत है। इसके लिए स्कूलों में नृत्य संगीत को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाकर अनिवार्य करना होगा, तभी जाकर भारतीय संस्कृति का उदय संभव है। वहीं उन्होंने भारत और राज्य सरकारों के नृत्य संगीत के प्रति उदासीनता पर सवाल उठाते हुए हरियाणा सरकार से अपेक्षा की है कि वह कम से कम कलाकारों को आर्थिक रुप से प्रोत्साहित करें। 
सम्मान व पुरस्कार 
भारतीय शास्त्रीय संगीत के साथ लोक नृत्य को प्रोत्साहन देती आ रही शुभ्रा मिश्रा को संगीत कला के क्षेत्र में अनेक पुरस्कार और सम्मान मिले हैं, जिसमें राष्ट्रीय लोक नृत्य पुरस्कार भी प्रमुख रुप से शामिल है। वहीं पिछले दिनों उन्हें एलिगेंस वूमेन अवार्ड से नवाजा गया। राष्ट्रीय लोक नृत्य प्रतियोगिता में उनके निर्देशन में हरियाणा और राजस्थान नृत्य छात्र-छात्राओं को राष्ट्रीय लोक नृत्य पुरस्कार मिलना उनकी उपलब्धियों का हिस्सा है। 
26Feb-2024

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें