सोमवार, 19 फ़रवरी 2024

साक्षात्कार: काव्य विधाओं से संस्कृति और नैतिकता का संदेश देते चरणजीत ‘चरण’

हरियाणा साहित्य संवर्धन के लिए लेखन एवं गायन के साथ कार्यशालाओं में की हिस्सेदारी 
             व्यक्तिगत परिचय 
नाम: चरण जीत 'चरण' 
जन्मतिथि: 13 जून 1972 
जन्म स्थान: रन्हेरा (जी.बी. नगर) यू.पी 
शिक्षा: डबल एम.ए, एल.एल.बी 
संप्रत्ति: अध्यापन, साहित्य लेखन एवं काव्यपाठ
संपर्क: 818 संजय एनक्लेव, सरूरपुर मोड़, सोहना रोड, फरीदाबाद (हरियाणा)
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BY-ओ.पी. पाल 
रियाणा के लोक साहित्य एवं संस्कृति के संवर्धन में में जुटे लेखकों, साहित्यकारों, लोक कलाकारों, कवियों, गीतकारों में कई विद्वान ऐसे हैं, जिन्होंने साहित्य जगत को नया आयाम देने के लिए असाधारण रुप से साधना की है। ऐसे साहित्यकारों में से एक चरणजीत 'चरण' हिन्दी काव्य मंचों के सुप्रसिद्ध कवि हैं, जिन्होंने विभिन्न विषयों पर अपनी कविताओं से श्रोताओं को आकर्षित किया है। उन्होंने गीत, ग़ज़ल, घनाक्षरी, नज़्म और दोहा जैसी काव्य विधाओं को नया आयाम देते हुए देशप्रेम और प्रेम को फोकस में रखने का ही प्रयास किया है। अपनी कविताओं में बुने विचारों के माध्यम से दर्शकों को रोमांचित करने की क्षमता रखने वाले चरणजीत चरण ने हरिभूमि संवाददाता से हुई बातचीत में अपने साहित्यिक सफर को लेकर कई ऐसे अनछुए पहलुओं को उजागर किया है, जिसमें अपनी संस्कृति, नैतिकता के सामाजिक-राजनीतिक मामलों के सामयिक परिदृश्य के महत्वपूर्ण मुद्दों को छूने की क्षमता है। 
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रियाणा साहित्य संवर्धन के लिए काव्य की विभिन्न विधाओं में लेखन एवं गायन करने वाले प्रसिद्ध साहित्यकार चरणजीत 'चरण' का जन्म 13 जून 1972 को एक साधारण संयुक्त किसान परिवार में हुआ है। उनके पिता राम सिंह एक आर.एम.पी, डाक्टर होने के साथ खेती किसानी का काम भी देखते थे और उनकी माता श्रीमती जीत कौर घर के साथ पिताजी का हाथ बंटाने में व्यस्त रही। उनके ताऊ जी सरदार रतन सिंह रतन हिंदी कवि सम्मेलन के बहुत ही सफल कवि रहे हैं, जिन्होंने हज़ारों की संख्या में कवि सम्मेलनों में काव्य पाठ किया। बकौल चरणजीत एक-दो बार बचपन में ताऊ जी को पढ़ते हुए सुना, तो उनके मन में भी लिखने की ललक पैदा होने लगी। जब वह उच्च शिक्षा के लिए कॉलेज में पहुँचे, तो कविता लिखना कब शुरू हो हुआ पता ही नहीं चल सका। एल.एल.बी के छात्र रहते हुए उन्होंने विश्वविद्यालय स्तर पर एक काव्य प्रतियोगिता में अपने विद्यालय का प्रतिनिधित्व किया, तो तीन बार सर्वश्रेष्ठ कवि की ट्राफी जीती और उन्हें विश्वास हुआ कि वह भी कविता लिख-पढ़ सकते हैं। एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र में शायरों की महफिल नाम के प्रकाशित कॉलम से शायरी पढ़ने का शौक पैदा हुआ और उन्होंने भी धीरे-धीरे दो-दो पंक्तियों की तुकबंदी करना शुरु कर दिया। बेरोज़गारी के चलते उन्होंने फुटपाथ से कुछ सस्ते कविता और ग़ज़ल संग्रह खरीदे। चूंकि पढ़ने का जूनून इस कदर सवार था कि जो दस-बीस रूपये इधर उधर से मिलते थे, उन्हें वे किताबें खरीदने पर खर्च करने लगे और फिर टूटी-फूटी ग़ज़लें लिखना शुरू किया। उन्हीं में से उनकी एक ग़ज़ल उसी समाचार पत्र में प्रकाशित हुई, जिसके कालम से उन्हें ग़ज़लें लिखने का जुनून पैदा हुआ था। ऐसे में उनका आत्मविश्वास बढ़ना स्वाभाविक था और वह क्षण उनके लिए खुशी देने वाला व रोमांचित करने वाला था। उनका कहना है कि किसी भी कला के साथ जुड़ा हुआ सबसे नकारात्मक पहलू ये भी है कि आपका परिवार आपको सहयोग नहीं करता। वह रात को दो-तीन बजे तक बैठकर कविताएं लिखते-पढते थे। माता-पिता को लगता था कि बेटा हाथ से निकल गया है। कोई माता-पिता नहीं चाहता कि उनका बच्चा कवि, चित्रकार या संगीतकार बने। वो डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफ़ेसर, एडवोकेट, आईएएस ,पीसीएस से आगे नहीं सोचते। उनका सोचना इसलिए भी ठीक है, क्योंकि कविता लिखना आसान है, लेकिन कविता से रोटी कमाना बहुत मुश्किल। वह खुद उन्नतीस की उम्र तक बेरोज़गार रहे हैं तो समझा जा सकता है कि ज़िंदगी में कितना संघर्ष और कितनी परेशानियाँ रही होंगी। चरणजीत 'चरण' ने वैसे तो लगभग हर विषय पर कविताएं लिखी और मंच पर सुनाई हैं। लेकिन उनका प्रिय विषय श्रृंगार और देशप्रेम रहा है। अब चूँकि वह मंच के कवि हैं और कविता-पाठ करके सामने बैठे श्रोताओं को प्रभावित करने के लिए ज़रूरी है कि विषय समसामायिक, शब्दावली आम बोलचाल जैसी और प्रस्तुतिकरण अच्छा हो। यह एक मंच के कवि की बुनियादी ज़रूरतें भी हैं। 
हाशिए पर साहित्य की गुणवत्ता 
इस आधुनिक युग में साहित्य की स्थिति को लेकर चरणजीत चरण का कहना है कि कभी-कभी लगता है कि लिखने वाले अधिक है और पढ़ने वाले कम और उसका एक बड़ा कारण ये है कि अब साहित्य में न कोई बंदिशें हैं न कोई पैमाना। साहित्य के नाम पर क्या और कैसा लिखा जा रहा है इसका लेखा-जोखा किसी के पास नहीं है। हर साल गद्य और पद्य की हज़ारों किताबें प्रकाशित होती हैं, उनमें से कुछ पाठकों तक पहुँचती हैं कुछ बुक रैक की शोभा बढ़ाने के काम आती हैं और बाकी रद्दी में चली जाती हैं। पहले लोग लिखते थे तो अपने गुरु, उस्ताद को दिखाते थे, सलाह करते थे। यह परम्परा हिंदी कविता में लगभग खत्म होने के कगार पर है। इसलिए आप गुणवत्ता तो भूल ही जाइये, क्योंकि अब साहित्य की गुणवत्ता हाशिए पर जाती नजर आ रही हैं। साहित्य के पाठकों और श्रोताओं में कमी आना इसलिए भी स्वाभाविक लगता है कि लेखक और पाठक दोनों के समर्पण में कमी आई है यानी लिखने वाला भी जल्दी में है और पढ़ने वाला तो है ही। फ़ास्ट फ़ूड के इस दौर में धीमी आँच पर मिट्टी की हाँडी में पकी हुई दाल का स्वाद जिसने कभी चखा ही नहीं वो उसकी ख़्वाहिश और फ़रमाइश करे भी तो कैसे? हमने इस पीढ़ी के कन्धों पर कैरियर का बोझ इतना बढ़ा दिया है कि अब उनमें कुछ और उठाने का न साहस है न समय। हमने अपने बच्चों को कभी न ख़त्म होने वाली दौड़ में खड़ा कर दिया है, जबकि साहित्य ठहराव माँगता है। खासतौर से युवा पीढ़ी को पाठ्यक्रम की किताबों से जो थोड़ा बहुत समय बचता है, उसे टीवी और मोबाइल ने निगल रहा है, तो ऐसे में इस पीढ़ी से साहित्य पढ़ने की उम्मीद करना थोड़ा सा बेमानी लगता है। 
लेखन में गिरावट पर चिंता 
इस युग में साहित्य की चुनौतियों को लेकर चरणजीत का कहना है कि जो अपने स्तर से गिर जाए उसे आप साहित्य कैसे कह सकते है? साहित्य को आप अच्छे और बुरे की श्रेणी में भी नहीं रख सकते। जो बुरा है वह साहित्य नहीं है और जो साहित्य है वो बुरा नहीं हो सकता। साहित्य के साथ अश्लील जैसा शब्द जोड़ना भी ग़लत है। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि साहित्य लिखा नहीं जाता, बल्कि साहित्य बुना और गढ़ा जाता है। अगर हम गुणवत्ता पूर्ण साहित्य की बात करें तो उसके लिए चार विन्दुओं से गुज़ारना आवश्यक है पहला है भाषा की अच्छी समझ, दूसरा व्याकरण का बेहतर ज्ञान, तीसरा लिखने से पहले भरपूर चिंतन और चौथा लिखते समय एक-एक पंक्ति पर गहरा मनन। कोई भी लेखन जो इन चार मानकों से होकर नहीं गुज़रा वह गुणवत्ता की कसौटी पर खरा नहीं उतर सकता। 
प्रकाशित पुस्तकें 
प्रसिद्ध साहित्यकार चरणजीत चरण की प्रमुख कृतियों में गजल संग्रह हसरतों के आईने, सरगोशियाँ, मुनासिब और कश्मकश शामिल हैं। इसके अलावा उन्होंने फिल्म ये मेरा इंडिया, माई फ्रेंड पिंटो और वेलकम टू न्यूयॉर्क जैसी बड़े बैनर की फिल्मों में गीत लेखन का कार्य भी किया है। वहीं उनकी प्राइवेट एलबम तेरी चाहत (जी म्यूजिक) भी सुर्खियों में है। 
पुरस्कार व सम्मान 
हरियाणा साहित्य अकादमी के कवि सम्मेलनों में प्रतिभागिता करते आ रहे चरणजीत 'चरण' ने हरियाणा में साहित्य संवर्धन के लिए अनेक कार्यशालाओं का आयोजन किया है, जिन्हें साहित्य सभा कैथल द्वारा साहित्य सेवा के लिए सम्मान भी मिल चुका है। वहीं उन्हें फरीदाबाद में गौरव सम्मान, सोनीपत में कवि कुल सिरोमणि सम्मान के अलावा भारतीय प्रवासी परिषद के साहित्य गौरव सम्मान तथा भारतीय संस्कृति एवं विरासत सम्मान बीकानेर से भी नवाजा जा चुका है। उन्होंने साहित्य संवर्धन की दिशा में यूके की विदेश यात्रा भी की है। देश के सबसे प्रतिष्ठित मंच लालकिला के साथ देशभर के लगभग हर प्रान्त के महत्वपूर्ण मंचों, संसद भवन के सभागार से सड़कों, चौराहों पर सजने वाली कविता की महफ़िलों, लगभग सभी टीवी चैनल न्यूज़ चैनल्स सहित करीब डेढ हजार से ज्यादा कवि सम्मेलनों में प्रतिभाग करना उनके लिए साहित्य जगत में एक बड़ी उपलब्धि है। 19Feb-2024

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