सोमवार, 8 जनवरी 2024

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने रखी पतंजलि गुरुकुलम की आधारशिला

 नई शिक्षा नीति में वैदिक शिक्षा व नैतिक मूल्यों का समावेश: रक्षामंत्री 
बदलते भारत में गुरु शिष्य परंपरा गुरुकुल शिक्षा पद्धति से संभव: रामदेव 
गुरुकुल पुनः अपने अतीत के गौरव को प्राप्त करेगा: आचार्य बालकृष्ण 
ओ.पी. पाल, हरिद्वार। पतंजलि योगपीठ के 29वें स्थापना दिवस, महर्षि दयानन्द सरस्वती की 200वीं जयन्ती एवं गुरुकुल ज्वालापुर के संस्थापक पूज्य स्वामी दर्शनानन्द की जयन्ती पर देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को ज्वालापुर में ‘पतंजलि गुरुकुलम्’ व आचार्यकुलम् का शिलान्यास किया। राजनाथ ने लुप्त होती देवभाषा संस्कृत के संवर्धन पर बल देते हुए कहा कि गुरुकुल इस बदलते भारत के लिए ऐसी शिक्षा पद्धति में अहम भूमिका निभाएंगें। 
समारोह में राजनाथ ने कहा कि गुरुकुलों में शिक्षा के साथ-साथ समाज में शुचिता व नैतिकता का पाठ भी पढ़ाया जाता था। उन्होंने कहा कि मैकाले ने एक षड्यंत्र के तहत ऐसी शिक्षा प्रणाली विकसित की जिसने हमारी गुरुकुलीय परम्परा को लगभग समाप्त ही कर दिया था। किन्तु योगगुरु स्वामी रामदेव जैसे तपस्वी महापुरुष ने गुरुकुल की परम्परा को पुनः गौरव प्रदान करते हुए पतंजलि गुरुकुलम् की आधारशिला रखी। उन्होंने उम्मीद जताई कि स्वामी रामदेव के दिशानिर्देशन में संचालित पतंजलि गुरुकुलम् भारतीय संस्कृति व सनातन की ध्वजवाहक बनेगा। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति सनातन को जीवंत रखने इस देश के गुरुओं का बहुत बड़ा योगदान है। 1500 वर्ष पूर्व नालंदा व तक्षशिला विश्वविद्यालय उसी गुरुकुलीय परम्परा के श्रेष्ठ उदाहरण हैं जहाँ से पूरा विश्व शिक्षा के क्षेत्र में दीप्तमान होता था। स्वामी जी भी उसी दिशा में कार्य कर रहे हैं तथा गुरुकुलों की स्थापना कर महर्षि दयानंद के स्वप्न को साकार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पतंजलि ने योग जैसा ग्रंथ संस्कृत में लिखा है, संस्कृत भाषा हमारी देव भाषा होने के साथ वैज्ञानिक भाषा भी है, इसलिए संसकृति के साथ लुप्त होती संस्कृत भाषा के संवर्धन में गुरुकुल अहम भूमिका निभा सकते हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि गुरुकुल शिक्षा प।ति के साथ ही हमें आधुनिक शिक्षा की जरुरत है, इसलिए गुरुकुल शिक्षा में वैदिक शिक्षा के साथ नैतिक शिक्षा की आवश्यकता है। इसी लिए नई शिक्षा नीति को नैतिक मूल्यों के समावेश के साथ लागू किया गया है। 
मानव सेवा को समर्पित अर्थ साम्राज्य 
इस अवसर पर स्वामी रामदेव जी महाराज ने कहा कि हमने गुरुकुल से शिक्षा प्राप्त कर मानव सेवा के लिए विशाल अर्थ साम्राज्य स्थापित किया। अभी 500 करोड़ की लागत से पतंजलि गुरुकुलम् तथा आचार्यकुलम् तैयार करने की योजना है तथा साथ ही अगले 5 सालों में 5 से 10 हजार करोड़ रुपए शिक्षा के अनुष्ठान में खर्च करने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि जो देश से पाया, उसे इस देश को वापस लौटाना है। हमने महर्षि दयानंद के पदचिन्हों पर चलकर योगधर्म से राष्ट्रधर्म को सर्वोपरि रखा है। महर्षि दयानंद ने एक ओर वेद धर्म, सनातन धर्म की बात की तो वहीं दूसरी ओर राष्ट्र धर्म के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले बलिदानी तैयार किए। पतंजलि गुरुकुल सनातन के ध्वजवाहक तैयार करेगा जो पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार करेंगे। 
नए कीतिमान स्थापित करेगा गुरुकुल 
पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण जी ने कहा कि पूज्य स्वामी दर्शनानंद जी ने अल्प संसाधनों से यह संस्था प्रारंभ कर एक स्वप्न देखा था जिसे श्रद्धेय स्वामी रामदेव जी महाराज साकार कर रहे हैं। इस संस्था ने अपनी युवावस्था के गौरव को देखा है। कहीं न कहीं यह संस्था अपनी वृद्धावस्था की तरफ जा रही थी किन्तु श्रद्धेय स्वामी जी के तप व पुरुषार्थ से यह पुनः अपने अतीत के गौरव को समेटे हुए वैभव प्राप्त करेगी। अतीत में देखें तो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, राष्ट्रपति तथा पाँच प्रधानमंत्रियों ने भी गुरुकुल ज्वालापुर की भूमि को प्रणाम किया है, भविष्य में इस भूमि से नए-नए कीर्तिमान स्थापित किए जाएँगे जिसके साक्षी दुनिया के प्रतिष्ठित लोग होंगे। 
एमपी में गुरुकुल स्थापित करने की पेशकश 
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि त्रेता में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम तथा द्वापर में योगेश्वर कृष्ण ने गुरुकुलों में शिक्षा ग्रहण की। स्वामी रामदेव जी उसी गौरवशाली गुरुकुलीय परम्परा के संवाहक बन गुरुकुलीय परम्परा को गौरव प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने नई शिक्षा नीति के माध्यम से भविष्य की पीढ़ी को भारतीय संस्कृति से जोड़ने का प्रण लिया है। हमारा लक्ष्य विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास है। हमें मानवीयता के उत्कृष्ट मापदण्ड स्थापित करने हैं। उन्होंने स्वामी जी को मध्य प्रदेश के उज्जैन में गुरुकुल स्थापित करने तथा मध्य प्रदेश से पतंजलि के सभी प्रकल्पों को संचालित करने के लिए आमंत्रित किया। 
देश में बहेगी संस्कृति की गंगा 
उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि गुरुकुल एक विशिष्ट शब्द है जहाँ गुरु शिष्य को कुलवाहक मानकर शिक्षित कर उसका मार्ग प्रशस्त करता है। स्वामी रामदेव जी महाराज महर्षि दधिचि के समान अपना सर्वस्व देश व समाज की सेवा में न्यौछावर कर रहे हैं। यह गुरुकुल बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ संस्कार भी प्रदान करेगा जिससे वे आदर्श नागरिक बनकर जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में योगदान देंगे। यह गुरुकुल व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण की परिकल्पना साकार करेगा। पतंजलि की गंगोत्री से भारतीय संस्कृति की गंगा बहेगी। 
ये भी रहे शामिल 
समारोह में केन्द्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी, एमिटी ग्रुप के चेयरमैन डॉ. अशोक चौहान, बाबा बालकनाथ महाराज, लक्ष्मण गुरु जी, अखाड़ा परिषद अध्यक्ष स्वामी रविन्द्रपुरी जी महाराज, महामण्डलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद जी महाराज, स्वामी यतीश्वरानंद, सांसद सत्यपाल सिंह, धनसिंह रावत, रमेश पौखरियाल ‘निशंक’, शोभित गर्ग, मदन कौशिक, प्रणव सिंह ‘चैम्पियन’, सुरेश चन्द्र आर्य, आचार्य स्वदेश, विनय आर्य, दयानंद चौहान, स्वामी आर्यवेश, आचार्या सुमेशा, आचार्या सुकामा, सुशील चौहान, स्वामी सम्पूर्णानंद सहित आर्य समाज के लगभग सभी विद्वान, भजनोपदेशक और संन्यासी महापुरुष, हरिद्वार के सभी पूज्य आचार्य महामण्डलेश्वर व संत महात्मा, गुरुकुल ज्वालापुर की महासभा व प्रबंधकारिणी सभा के समस्त अधिकारी व सदस्यगण तथा पतंजलि से सम्बद्ध सभी ईकाइयों के इकाई प्रमुख, अधिकारी, कर्मचारी तथा संन्यासी भाई-बहन उपस्थित रहे। 
07Jan-2024

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