सोमवार, 22 जनवरी 2024

चौपाल: हरियाणवी संस्कृति को संजोते हरियाणवी हास्य अभिनेता राजकुमार

कविता लेखक एवं हास्य कवि के रुप में भी बनी पहचान          व्यक्तिगत परिचय 
नाम: राजकुमार धनखड़ 
जन्मतिथि: 01 जनवरी 1978 
जन्म स्थान: गांव कासनी, जिला झज्जर(हरियाणा)
शिक्षा: एमए(संगीत), बीए, 
संप्रत्ति: कविता लेखन, गायन और अभिनय 
संपर्क: गांव कासनी, जिला झज्जर, मोबा. 9416178925
By-ओ.पी. पाल 
रियाणा की लोककला और संस्कृति की पहचान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जीवंत रखने के मकसद से हरियाणवी लेखक, लोक कलाकार विभिन्न विधाओं में अपनी संस्कृति और परंपराओं के संवर्धन करने में जुटे हैं। ऐसे ही हरियाणवी फिल्मों व नाटकों में अभिनय, स्टेज संचालक और प्रसिद्ध हास्य कलाकार राजकुमार धनखड़ ने हरियाणवी संस्कृति को संजोने के लिए एक हास्य अभिनेता के रुप में लोकप्रियता हासिल की है। कविता लेखन के अलावा उन्होंने सामाजिक और सांस्कृतिक परंपराओं को हास्य शैली में अपनी कला के माध्यम से प्रस्तुत करके समाज को सकारात्मक रुप से अपनी संस्कृति से जुड़े रहने का संदेश दिया है। हरियाणवी फिल्मों में हास्य अभिनेता के किरदार और कविता लेखन के सफर को लेकर हरिभूमि संवाददाता से हुई बातचीत में राजकुमार धनखड़ ने कई ऐसे अनुछुए पहलुओं का जिक्र किया है, जिसमें उनकी कला की अलग अलग विधाओं में हरियाणवी संस्कृति का समावेश सर्वोपरि रहा है। 
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हरियाणवी हास्य अभिनेता राजकुमार धनखड़ का जन्म 01 जनवरी 1978 को झज्जर जिले के गांव कासनी में आजाद सिंह और श्रीमती शिलवती देवी के घर में हुआ। उनके साधारण परिवार में किसी प्रकार के लेखन, साहत्य या संस्कृति का कोई माहौल नहीं रहा। वहीं राजकुमार की प्राथमिक शिक्षा भी गांव के सरकारी स्कूल में हुई तथा वे दसवीं कक्षा तक गांव में पढ़े हैं। गांव के सरकारी स्कूल में ही कभी कभार होने वाले किसी सांस्कृतिक कार्यक्रमों में उन्हें थोड़ा बहुत बोलने का मौका मिलता रहा। बकौल राजकुमार जब वह पांचवी या छठी कक्षा में थे तो उन्होंने एक दो कविताएं लिखी थी और उन्होंने एक हास्य नाटिका में भी हिस्सा लिया, जिसमें उनका अभिनय सभी को भा गया। स्कूल के छात्र जीवन में ही उनके लेखन और अभिनय की एक प्रकार से शुरुआत हो गई। परिवार में उसकी साहित्य या संस्कृति का किसी ने कोई हस्तक्षेप भी नहीं किया, बल्कि हौंसला अफजाई ही की। दसंवी उत्तीर्ण करने के बाद वह उन्होंने नेहरू कॉलेज झज्जर में 11वीं कक्षा में प्लस वन और प्लस टू विज्ञान संकाय के छात्र के रुप दाखिला ले लिया, इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि क्योंकि देहात के बच्चे होने के कारण साइंस साइड होने की वजह से प्लस टू में वह फेल हो गए, हालांकि एक्टिंग व संगीत का शौंक तो उन्हें था ही और उनके विज्ञान विभाग के पास ही स्कूल में संगीत विभाग भी था, इसलिए खाली समय में वह संगीत विभाग के दरवाजे पर खड़ा होकर बहुत कुछ समझने लगा था। इसके बाद उन्होंने जाट कालेज रोहतक से आर्ट साइड में इंटरमिडिएट पास की और उच्च शिक्षा के लिए वह फिर से नेहरू कॉलेज झज्जर में प्रवेश कर गये, जहां से उन्होंने म्यूजिक के साथ बीए पास किया। फिर महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक में म्यूजिक विषय से एमएए पास की। इसलिए उनका गायन का भी क्षेत्र बढ़ गया। हालांकि इससे पहले प्लस वन और प्लस टू विज्ञान संकाय की शिक्षा के दौरान उन्होंने कॉलेज में यूथ फेस्टिवल आदि गतिविधियों के तहत टैलेंट शो में भाग लेते रहे और हरियाणवी स्किट में भी भागीदारी की। इसके बाद उन्होंने इंटर कॉलेज की विभिन्न प्रतियोगिताओं में भी हिस्सेदारी की। मसलन छात्र जीवन में ही राजकुमार की लेखन, अभिनय और हास्य गायन में अभिरुचि हो गई। वह गीत व कविताएं लिखने के साथ विभिन्न कंपटीशन में हिस्सेदारी करके इस क्षेत्र में आगे बढ़ते गये। उनकी गोधू का ब्याह, गोधू की ससुराल और गोधू की फैमिली जैसी सभी कविताएं या गीत हंसी मजाक से भरी होती थी। उनके अभिनय का प्रमुख फोकस हास्य के साथ ज्यादातर चरित्र सामाजिक सरोकार, हरियाणवी लोक कला, संस्कृति और हरियाणवी भाषा के संवर्धन पर रहा है। 
इन फिल्मों में अभिनय से जीता दिल 
फिल्म और थियेटर के क्षेत्र में हास्य अभिनेता के रुप में करीब 25 साल का अनुभव रखने वाले हरियाणवी अभिनेता राजकुमार को हिंदी, हरियाणवी, अंग्रेजी और पंजाबी भाषा का ज्ञान है। इस दौरान उन्होंने फिल्म शहीद-ए-हरियाणा, तेरा मेरा वादा, सेल्यूट, हंसा, कर्म जैसी फिल्मों में अभिनय करके लोकप्रियता हासिल की। उन्होंने उन्होंने वेब सीरीज शिविर बनवास, मेरे यार की शादी 1 और 2, देसी थाना, हरियाणा में लंदन, दिल हो गया लापता, कॉलेज कांड, बवाल, विदेशी बहू और गुलाब चूरमा जैसे में भी हास्य अभिनय से दर्शकों पर राज किया है। दो वेब सीरीज में उनके साथ फिल्म निर्देशक यशपाल शर्मा भी शामिल रहे हैं। यही उन्हें कवि सम्मेलन में भी भाग लेने का मौका मिला, जिसके बाद राष्ट्रीय युथ फेस्टिवल में एक कवि के तौर पर हास्य कविताओं को सुनाने का मौका मिलने से उनका संपर्क अंतरराष्ट्रीय स्तर के कवि सुरेंद्र शर्मा, प्रताप फौजदार, शैलेश लोढ़ा जैसे कवियों से हुआ, जिनसे सराहना भी मिली। हरियाणवी फिल्मों के निर्देशक अरविंद स्वामी, हरियाणवी फिल्मों के संगीतकार भाल सिंह बल्हारा जैसे कलाकारों संगीतकारों से मुलाकात भी उसके क्षेत्र में प्रोत्साहन का सबब बना। 
यहां से मिली मंजिल 
हरियाणवी हास्य अभिनेता और गीतकार राजकुमार धनखड़ ने बताया कि कॉलेज पास आउट होते ही उन्हें पहली बार हरियाणवी स्किट में भाग लेने का मौका मिला, यह स्किट कॉलेज पास आउट होते ही निर्देशक के रुप में राजेश फौगाट करवाते थे। इसलिए इस क्षेत्र में उनके गुरु फौगाट ही रहे, लेकिन अफसोस है कि दुर्भाग्यवश वह आज इस दुनिया में नहीं हैं। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक में संगीत विषय में एमए की शिक्षा के दौरान वहां जनार्दन शर्मा, जगबीर राठी, आनंद शर्मा जैसे लोगो के संपर्क में आया तो उनसे इस क्षेत्र में बहुत कुछ सीखने को मिला। इसका परिणाम यह रहा कि वह इंटर यूनिवर्सिटी तक गए और राष्ट्रीय स्तर तक हमारी हरियाणवी स्किट द्वितीय स्थान पर रहे। इसका कारण भी भाषा रही, जहां हरियाणवी को हिंदी में कन्वर्ट कर लिया गया था। उन्होंने बताया कि फिर भी उसके लिए यह पहली उपलब्धि से कम नहीं थी, जहां राष्ट्रीय स्तर पुरस्कार हासिल हुआ। जगबीर राठी के प्रोत्साहन से यहां इस क्षेत्र में कई तरह के अनुभव हुए, जिनकी बदौलत अलग अलग स्थानों पर राज्य स्तर की प्रतियोगिताओं में चुटकला और हास्य प्रतियोगिताओं में उन्हें एक हास्य अभिनेता और कलाकार के रुप में पहचान मिली। 
सम्मान व पुरस्कार 
हरियाणा की समृद्ध लोककला एवं संस्कृति के क्षेत्र में लेखन की विधा में कलाकार राजकुमार धनखड़ को तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और राज्यपाल जगन्नाथ पहाड़िया ने साल 2012 में फौजी जाट मेहर सिंह अवार्ड से सम्मानित किया। गीत, कविता और रागनी लेखन विद्या में उत्कृष्ट योगदान के लिए इस पुरस्कार में इक्यावन हजार रुपये, प्रशस्ति पत्र तथा अंग वस्त्र प्रदान किया जाता है। इसके अलावा उन्हें वर्ष 1997 में राज्य स्तरीय चुटकुला प्रतियोगिता में चुटकुला सम्राट सम्मान, वर्ष 1998 में जिला रोहतक रेड क्रॉस की तरफ से प्रशस्ति पत्र, वर्ष 2001 में अंतर विश्वविद्यालय युवा महोत्सव राष्ट्रीय स्तर पर द्वितीय पुरस्कार तथा वर्ष 2015 में ओस्का समिति दिल्ली द्वारा युवा कवि सम्मान से नवाजा गया है। वहीं विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यक मंचों से उन्हें बहुत से पुरस्कार मिल चुके हैं। 
22Jan-2024

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