सोमवार, 26 दिसंबर 2022

चौपाल: कैनवास पर जादुई रंगों से कला को नया आयाम देते गिरिजा शंकर

सात समंदर पार तक कला क्षेत्र में बनाई अपनी बड़ी पहचान साक्षात्कार-BY ओ.पी. पाल 
रियाणवी संस्कृति, लोक कला और सभ्यता को कैनवास पर रंगों का जादू से देश विदेशों तक पहचान देने वाले सुप्रसिद्ध युवा चित्रकार गिरिजा शंकर शर्मा ने अपनी कलाकृतियों से कला प्रेमियों को भी मुरीद बनाने की क्षमता हासिल की है। उन्होंने अपनी कलाकृतियों की सजीव चित्रकारी से यह भी साबित किया है कि इंसान यदि इच्छा शक्ति और स्वयं मूल्याकंन के साथ लक्ष्य तय कर ले, तो उसे कामयाबी जरुर मिलती है। इसी विचारधारा को लेकर गिरिजा शंकर ने आज अपनी चित्रकारी का जादू राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि सात समंदर पार तक कला क्षेत्र में अपनी बड़ी पहचान बनाई है। उनकी इस कला की क्षमता इसी से पता लग जाती है कि चंद मिनटों में ही किसी का भी हूबहू चित्र बनाकर अपनी कलाकृति से दिल जीत लेते है। मसलन उनकी कलाकृतियों में सजीवता साफतौर से देखी जा सकती है। कैनवास पर प्रोट्रेट, स्केच, ऑयल और वाटर पेंटिंग जैसी आर्ट की विभिन्न विधाओं में रंगों के तकनकी इस्तेमाल से नए आयाम देने वाले इस युवा चित्रकार की कलाकृतियां देश-विदेश की आर्ट गैलरियों, संग्राहलयों और नामी हस्तियों के आंखों का तारा बनी हुई हैं। खासबात ये है कि विरासत में मिली वह इस कला से युवाओं को प्रेरित ही नहीं कर रहे, बल्कि वे एक कला शिक्षक के रूप में कला के छात्र-छात्राओं को अपने हुनर का संचार करने में जुटे हुए हैं। अपनी कला और कलाकृतियों को लेकर हरिभूमि संवाददाता से बातचीत में गिरिजाशंकर शर्मा ने कई ऐसे पहलुओं को उजागर किया है, जिसमें वे लेखक, कवि, खिलाड़ी या देशभक्ति के लिए सेना में जाने का सपना संजोने के बावजूद कला के क्षेत्र में ही समाज को नई दिशा दे रहे हैं। 
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रियाणा के हिसार में न्योली कलां में शंकर शर्मा के परिवार में जन्मे गिरिजा शंकर के पिता भी एक चित्रकार के रूप में पहचाने जाते थे। बचपन में ही गिरिजा शंकर भी उनकी चित्रकला को निहारने के साथ रंगों की बारीकियों को बड़े ही ध्यान से देखकर सीखने का प्रयास करते रहे। पिता से कलाकृतियां उकरने की मिली सीख पर उसने कक्षा पांच में पढ़ते हुए एक छोटी सी शुरुआत कर कलाकृतियों के रंगों से नाता जोड़ा। हिंदी और हरियाणवी भाषा के अलावा युवा चित्रकार की अंग्रेजी, गुजराती, पंजाबी और राजस्थानी भाषा पर भी अच्छी पकड़ रखने वाले युवा चित्रकार ने बताया कि उनकी 12वीं की शिक्षा सिरसा से हुई। कला के क्षेत्र को कैरियर के रूप में देखते हुए उन्होंने छह छह माह का जनशिक्षण संस्थान से आर्ट और क्राप्ट तथा राजकीय कालेज पॉलिटेक्निक सिरसा से पेंटिंग का डिप्लोमा किया। इसके बाद उन्होंने चंडीगढ़ के गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ आर्ट्स से बीएफए और एमएफए (मास्टर डिग्री) की। कलाकृतियों को बनाने के आधार पर उन्हें केंद्रीय विद्यालय में आर्ट शिक्षक की नौकरी मिल गई। चार साल की नौकरी के बाद उनका स्थानांतर आसाम में होने के कारण उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़कर निजी विद्यालयों में शिक्षक की नौकरी करना शुरू किया। इसी के जरिए वह युवाओं को कला के प्रति प्रेरित करके उन्हें कला के रंगों के जादू के गुर दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनका खेलों में ज्यादा ध्यान था, फौज मे जाने का भी मन था, लेकिन चयन होने के बावजूद किन्ही कारणों से नहीं जा सका। वैसे उनकी रुचि प्ले ऑल म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट में रही है। एक्टिंग का बहुत शौक था और एक टीवी शो मे काम मिल गया था, परन्तु परिजनों ने नहीं भेजा। इसके बाद शिर्ष अमे ही नाटक मण्डली से जुड़कर रामलीला मे रावण और उसके बाद कोर्ट मार्शल नाटक किये। इन सबके बावजूद उन्होंने सिर्फ पेंटिंग्स पर ही ध्यान केंद्रित किया और अब तक वे आयल, वाटर, एकरलिक और रंगों के जादू से अब तक करीब आठ हजार कलाकृतियों को मूर्तरुप दिया जा चुका है। उनका कहना है कि उनका काम क्ले, फाइबर, स्टोन, कार्विंग, पेंसिल कारविंग सीमेंट में भी होता है। 
विरासत को बढ़ाने में जुटा परिवार 
कला के क्षेत्र में अपने पिता शंकर देव शर्मा की विरासत को आगे बढ़ाने में अकेला गिरिजा शंकर ही नहीं है, बल्कि विरासत में मिले कलाकृतियों के जादुई रंगों की चमक बरकरार रखते हुए उनकी स्केच आर्टिस्ट पत्नी और बेटा भी अच्छी पेंटिंग और स्केच करने लगा है। जबकि भतीजा सुपवा रोहतक मे बेचलर ऑफ फाइन आर्ट में फाइनल ईयर का स्टूडेंट हैं। वहीं भतीजी मेडिकल की छात्रा होते हुए भी कला के क्षेत्र में कॉलेज का गौरव बढ़ा रही है। 
पोट्रेट बनाने का हुनर रिकार्ड 
हरियाणा के युवा चित्रकार गिरिजा शंकर किसी का भी पोट्रेट बनाने में इतने माहिर हैं कि वाटर कलर के जादू से वह फुल बॉडी प्रोट्रेट 8 मिनट और हाफ बॉडी पोट्रेट महज 2.5 मिनट में तैयार करने का रिकार्ड बना चुके है। साल 2006 में पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम को भी उन्होंने महज ढाई मिनट में चावल के दाने पर पोट्रेट बना कर दिया, तो उनके बड़े भाई ने चौक कारव कर उनका स्टेचू दिया। वह कला क्षेत्र की सुर्खियों में इसलिए भी हैं कि उनकी हर कलाकृति बोलती नजर आती है। ब्रिटेन के संग्राहलय में विल स्मिथ थर्ड का पोट्रेट भी उन्हीं के रंगो के जादू का कमाल है। वहीं फिल्म अभिनेता अमिताभ की किताब में कवरपेज पर फोटो भी गिरिजाशंकर के जादुई रंगों से बना हुआ है। ऐसे ही अनेक कलकृतियों की वजह से वे हरियाणवी फिल्म दादा लखमी का भी हिस्सा बन गये। उन्होंने जब फिल्म अभिनेता यशपाल शर्मा सिरसा में लगाई गई चित्र प्रदर्शनी में आए और उनका पोट्रेट बनाया, तो उन्होंने कलाकृतियों का अवलोकन करके उन्हें फिल्म दादा लख्मी का स्टोरी बोर्ड बनाने का ऑफर दिया। इसके बाद वह इस फिल्म में हर जगह का हिस्सा बनते चले गये। इस फिल्म के लिए एक्टिंग की आर्ट डायरेक्शन दादा लखमी का उन्होंने किया और प्रोडक्शन, लाइन प्रडूसर जैसी जिम्मेदारियां संभालने का मौका मिला। इस फ़िल्म मे इस्तेमाल होने वाली सारी प्रॉप्स और प्रॉपर्टी उनकी व्यक्तिगत संग्रह थी। उनका मानना है कि कला के जरिए इंसान की मानसिकता को सकारात्मक सोच के लिए बदलने की क्षमता है और इस क्षेत्र में कैनवास पर प्रकृति, पर्यावरण या राष्ट्रभक्ति से प्रेरित रंगरुपी संदेश भी समाज में नई दिशा देने में अहम भूमिका निभाते हैं। 
चित्र प्रदर्शनी में कला प्रेमियों का मोहा मन 
सिरसा के चित्रकार गिरिजाशंकर अब तक एक दर्जन से ज्यादा चित्र समूह प्रदर्शनी आयोजित कर चुके हैं, जहां उनकी कलाकृतियों को निहारने के बाद हर कोई उनका मुरीद होता नजर आया। यही नहीं एक दर्जन से ज्यादा बार हरियाणा कला परिषद की कार्यशाला में भी उन्हें हिस्सेदारी करने का मौका मिला। इसके अलावा पंजाब, हिमाचल, देहली और माउन्टआबू मे रत्नावली महोत्सव मे भी कार्यशालाओं में सक्रीय हिस्सेदारी की। यह चित्रकार प्रोट्रेट, स्केच, ऑयल और वाटर पेंटिंग जैसी आर्ट की विभिन्न विधाओं में रंगों तकनकी से कला को नया आयाम देने में जुटा हुआ है और एक शिक्षक के रुप में युवाओं के लिए हुनर के रंग भर रहे हैं। 
विदेशी भी हैं कला के मुरीद 
फाइन आर्ट के फनकार की कलाकृतियों के अपने देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी मुरीदों की कमी नहीं है। ऑस्ट्रलिया, न्यूजीलैंड,जर्मनी और इंग्लैंड़ के कलाकृति प्रेमी भी उसके रंगो के जादू का लोहा मानते हैं। विदेशी कला प्रेमियों की गिरिजाशंकर की कलाकृतियों में सजीव चित्रण को देखकर लगातार पेंटिंग बनवाने की मांग करते आ रहे हैं। उनकी विदेशियों द्वारा अभी तक तीन दर्जन से भी ज्यादा पेंटिंग खरीदी जा चुकी है, जिनमें उनकी एक कलाकृति के लिए उन्हें 47 हजार रुपये की आय हुई। हालांकि हरियाणा में उकनी सबसे बड़ी पेटिंग 90 हजार में खरीदी गई थी। 
पुरस्कार व सम्मान 
प्रदेश के प्रतिभाशाली चित्रकार गिरिजा शंकर को न जाने कितने पुरस्कार और सम्मानों से नवाजा जा चुका है। सिरसा की प्रमुख संस्थाओ से भिवानी की महारी संस्कृति महारी पहचान अग्निपथ संस्था, हरियाणा फ़िल्म फेस्टिवल, राजस्थान फ़िल्म फेस्टिवल, पंजाब मे वडाली ब्रदर्स के द्वारा संम्मानित, देहली मे पांच संस्थाओं से सम्मानित किया जा चुका है। उन्होंने हाल ही मे एक स्टेज एप का प्रोग्राम ‘जिद्दी हरियाणवी’ में उनका एक एक एपिसोड बना है, जो उन्होंने खुद बनाकर बड़ी उपलब्धि हासिल की है। गिरिजा शंकर के पिता शंकर देव शर्मा 1986 तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह द्वारा राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया था।
26Dec-2022

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