मंगलवार, 20 दिसंबर 2022

मंडे स्पेशल: प्रदेश की ज्यादातर चीनी मिलों की आर्थिक सेहत खराब, निजी मिलें कर्ज में डूबीं

प्रदेश में 15 चीनी मिलें, इस बार गन्ने की पेराई व चीनी उत्पादन कम होने के आसार 
ओ.पी. पाल.रोहतक। प्रदेश की मौजूदा दस सहकारी चीनी मिलों समेत एक दर्जन से ज्यादा चीनी मिलों के मौजूदा पेराई सत्र में राज्य सरकार ने भले ही 40 लाख कुंतल से ज्यादा चीनी उत्पादन के इरादे से 500 लाख कुंतल गन्ने की पेराई करने का लक्ष्य तय किया हो। लेकिन प्रदेश की ज्यादातर चीनी मिलों की बिगड़ती आर्थिक सेहत खासकर करोड़ो के कर्ज में डूबी निजी क्षेत्र की चीनी मिलों के हालातों को देखते हुए ऐसा संभव नहीं लगता। पानीपत के डाहर में प्रदेश की सबसे बड़ी 50 हजार कुंतल प्रतिदिन पेराई क्षमता वाली नई चीनी मिल से प्रदेश को ज्यादा उम्मीदें हैं, लेकिन प्रदेशभर के चीनी मिलकर्मियों के आंदोलनात्मक रवैये और गन्ना किसानों के गन्ने की कीमत बढ़ाने की मांग को लेकर आंदोलन की दी जा रही चेतावनी के मद्देनजर इस साल चीनी मिलों में अपेक्षाकृत उम्मीदों के विपरीत नतीजे आने के आसार बने हुए हैं। हालांकि प्रदेश सरकार ने चीनी मिलों के घाटे को पाटने की दिश में कुछ चीनी मिलों में एथेनॉल, गुड और शक्कर, बिजली जैसे वैकल्पिक उत्पादन की व्यवस्था करने का दावा किया है। वहीं चीनी मिलों पर सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी के बावजूद किसानों के गन्ना बकाया भुगतान का भी दबाव बना हुआ है। 
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रियाणा सरकार भले ही प्रदेश की चीनी मिलों की मुश्किलों को दूर करने का दावा कर रही हो, लेकिन चीनी मिलों के शुरु हुए पेराई सत्रों के बाद जो हालात सामने आ रहे हैं, उससे सरकार के इस साल 500 लाख कुंतल गन्ना पेराई का लक्ष्य हासिल हो जाए, संभव नहीं लगता। हालांकि घाटे से उबारने को हरियाणा सरकार चीनी मिलों में तैयार होने वाली रिफाइंड शुगर यानी चीनी को भी बाजार में उतारने की तैयारी कर रही है। प्रदेश की 3-4 चीनी मिलों में गुड और शक्कर बनाने के अलावा पानीपत, शाहबाद, रोहतक और पानीपत की नई चीनी मिल में एथेनॉल, बिजली उत्पादन के साथ पानी ट्रीट प्लांट शुरू किये गये, तो वहीं शाहबाद चीनी मिल में सीएनजी प्लांट शुरू हुआ। सहकारी चीनी मिलों में शाहबाद, करनाल और पानीपत को छोड़कर बाकी चीनी मिले घाटे का सौदा बनी हुई है। मौजूदा पेराई सत्र में अभी तक पानीपत की नई चीनी मिल, करनाल, कैथल, शाहबाद और रोहतक की सहकारी चीनी मिल ही अपनी पूरी क्षमता के साथ चल रही हैं। सहकारी चीनी मिलों में सबसे ज्यादा हालात पलवल चीनी मिल की हैं, जो पिछले माह 17 नवंबर को पेराई सत्र शुरू करने की औपचारिकता पूरी होते ही बंद पड़ी हुई है। सोनीपत शुगर मिल लगातार घाटे की तरफ बढ़ रही है, तो निजी चीनी मिलों में अंबाला की नारायणगढ़ चीनी मिल की आर्थिक हालत बद से बदतर होती जा रही है। 
सरस्वती चीनी मिल का बेहतर प्रदर्शन 
प्रदेश में हालांकि निजी चीनी मिलों में यमुनानगर की चीनी मिल सबसे अधिक पेराई क्षमता वाली चीनी मिल है, जहां इस साल 175 कुंतल से अधिक गन्ने की पेराई करने का लक्ष्य रखा गया है। इस चीनी मिल ने एक लाख कुंतल गन्ने की पेराई करके देशभर में सबसे ज्यादा पेराई का रिकार्ड भी कायम किया है। इस चीनी मिल ने पिछले साल 162 लाख कुंतल गन्ने की पेराई करके 15 लाख कुंतल से ज्यादा चीनी का उत्पादन किया था। 
कर्ज के बोझ तले दबी चीनी मिलें 
हरियाणा के सहकारिता मंत्री बनवारी लाल स्वीकार कर चुके हैं कि प्रदेश की चीनी मिलों का घाटा बढ़कर करीब पांच सौ करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। शाहबाद, करनाल और पानीपत की सहकारी चीनी मिलों को छोड़कर ज्यादातर मिले घाटे के दौर से गुजर रही हैं। इनमें निजी चीनी मिलों की माली हालत खराब है। निजी मिलों में सरस्वती चीनी मिल यमुनानगर की स्थिति कुछ ठीक है, लेकिन बाकी दोनों निजी चीनी अंबाला की नारायणगढ़ शुगर मिल और करनाल की भादसों शुगर मिल भयंकर घाटे में है। नारायणगढ़ शुगर मिल तो पिछले 8 साल में सरकार से ऋण लेने के बावजूद भी मुनाफे में नहीं आ सकी, जिस अभी तक 65 करोड़ से ज्यादा की किसानों की देनदारी अटकी हुई है। तो वहीं शुगर मिल 105 करोड़ का सरकारी ऋण भी बढ़कर ब्याज सहित 133 करोड़ रुपये पर पहुंच चुका है। 
निजी चीनी मिलों को सब्सिडी 
केंद्र सरकार के अलावा राज्य सरकार ने निजी चीनी मिलों को को 57 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी गई, जिसमें सरस्वती चीनी मिल, यमुनानगर को 29.28 करोड़ रुपये, पिकाडली एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड, भादसों(करनाल) को 12.84 करोड़ रुपये तथा नारायणगढ़ चीनी मिल(अंबाल) को 8.60 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी गई है। वहीं हैफेड़ सहकारी चीनी मिल असंध को 6.39 करोड़ रुपये दिया जा रहा है। राज्य सरकार ने यह कदम इन चीनी मिलों का घाटा कम करने के मकसद से उठाया है। 
प्रदेश में 15 चीनी मिले 
प्रदेश में 11 सहकारी चीनी मिलों में पानीपत सहकारी चीनी मिल, हरियाणा सहकारी चीनी मिल, रोहतक, करनाल सहकारी चीनी मिल, सोनीपत सहकारी चीनी मिल, शाहबाद सहकारी चीनी मिल, जींद सहकारी चीनी मिल, पलवल सहकारी चीनी मिल, महम सहकारी चीनी मिल, कैथल सहकारी चीनी मिल,चौ० देवी लाल सहकारी चीनी मिल गोहाना और पानीपत की नई सहकारी चीनी मिल शामिल है। जबकि एक सहकारी चीनी मिल हैफेड की हैफेड़ सहकारी चीनी मिल संचालित हो रही है। इसके अलावा तीन प्राइवेट चीनी मिलों में सरस्वती चीनी मिल यमुनानगर, नारायणगढ़ चीनी मिल अंबाला तथा करनाल जिले के भादसों में पिकाडली एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड चीनी तथा अन्य उत्पाद का निर्माण कर रही हैं। 
---- वर्जन 
चीनी मिलों को घाटे से उबारने का प्रयास चीनी मिलों में उत्पादित चीनी और गन्ने पेराई के लिए आने वाले भाव में औसतन अंतराल के कारण चीनी मिलों को घाटे के दौर से गुजरना पड़ रहा है। चीनी मिलों को घाटे से उबारने के लिए हरियाणा सरकार ने चीनी मिलों में वैकल्पिक उत्पादों के निर्माण के विकल्प शुरू किये हैं। लेकिन गन्ने का भाव इस साल 362 रुपये कुंतल तय किया गया है, जबकि चीनी का उत्पादन की रिकवरी महज 10 से 11 प्रतिशत तक ही है, जिसका भाव लगभग 400 रुपये कुंतल है। जबकि चीनी मिल के संसाधन, अधिकारी और कर्मचारियों पर होने वाला खर्च भी मुश्किल है। केंद्र सरकार की सब्सिडी के सहारे चीनी मिल किसानों का गन्ना खरीद कर खर्चे चलाती है। प्रदेश में चीनी मिलों और किसानों दोनों के हितों को देखत हुए सरकार और सहकारी विभाग के अलावा शुगरफेड वित्त प्रबंधन की दिशा में अनेक उपाय करने का लगातार प्रयास कर रही है। -रामकरण काला(विधायक), चेयरमैन शुगरफेड हरियाणा।----

----वर्जन

गन्ने की खोई से ईंधन बनाने का प्रयोग

किसानों, विशेषज्ञों से परामर्श के साथ हरियाणा की सभी चीनी मिलों को घाटे से उबारने के लिए नए प्रयोग के लिए मुख्यमंत्री ने योजनाओं को मंजूरी प्रदान की है। इसमें खोई से ईंधन बनाने की योजना के तहत कैथल चीनी मिल में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में काम चल रहा है। घाटा कम करने, चीनी मिलों की दशा सुधारने तथा उनके रखरखाव व संचालन के बारे में सीधे किसानों, विशेषज्ञों और चीनी मिलों के निदेशकों से बातचीत की प्रक्रिया शुरू की गई है।

- डा. बनवारी लाल, सहकारिता मंत्री, हरियाणा।

19Dec-2022


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