सोमवार, 16 सितंबर 2024

चौपाल: संस्कृति के संवर्धन में समाज को समर्पित कला अहम: अशोक मेहता

थिएटर से बॉलीवुड तक अभिनय के क्षेत्र में बनाई बड़ी पहचान 
व्यक्तिगत परिचय 
नाम: अशोक मेहता ऊर्फ बीर सिंह 
जन्मतिथि: 30 नवंबर 1975 
जन्म स्थान: मूल गांव खानक, जिला भिवानी 
शिक्षा: इंटरमिडिएट संप्रत्ति: अभिनय, रंगकर्मी, लेखक संपर्क: गांधीनगर कृष्णा कॉलोनी भिवानी(हरियाणा), मोबा.9812342041 
BY--ओ.पी. पाल 
रियाणवी संस्कृति के संवर्धन की दिशा में सूबे के लेखकों, कलाकारों, गायकों एवं साहित्यकारों ने अपनी कलाओं के प्रदर्शन से समाज को नई दिशा देने का प्रयास किया। यही नहीं ऐसी शख्सियतों ने हरियाणवी संस्कृती को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान दी है। हरियाणवी फिल्मों के साथ अभिनय के क्षेत्र में कलाकारों ने वॉलीवुड तक अपनी कला का हुनर दिखाते हुए अपनी संस्कृति को सर्वोपरि रखने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। ऐसे ही कलाकारों में अशोक मेहता और बीर सिंह ने हरियाणवी, भोजपुरी और हिंदी फिल्मों में अपने लेखन और अभिनय के हुनर से लोकप्रियता हासिल की है। हरिभूमि संवाददाता से हुई बातचीत में वॉलीवुड अभिनेता अशोक मेहता उर्फ बीर सिंह ने अपने थिएटर से लेकर वॉलीवुड़ तक के सफर को लेकर कहा कि समाज को समर्पित कोई भी कला संस्कृति और संस्कारों के संवर्धन में अहम भूमिका निभाती है। 
रियाणा के लोक कलाकार अशोक मेहता का जन्म 30 नवंबर 1975 को भिवानी जिले के गांव खानक में मध्यमवर्गीय परिवार के छिनकू राम मेहता व शकुंतला देवी के घर में हुआ। परिवार का गांव में ही खेती-बाड़ी और स्टोन क्रेशर माइंस गांव खानक में काम है। इसमें उनके पिता व उसके भाई अभी भी काम करते हैं, लेकिन अशोक ने स्टोन क्रेशर का काम छोड़ कलाकार को अपना करियर बना रखा है। उन्होंने बताया कि 30 वर्ष के खानक माइंस के काम के अनुभव से फिल्मों में बहुत फायदा हुआ, क्योंकि वह साइकिल से लेकर ट्रक तक सभी वाहन चलाने लगे थे। वहीं खनन में काम करने वाले विभिन्न राज्यों के लोगों के कारण राजस्थानी, भोजपुरी, यूपी, बिहार की भाषा का भी ज्ञान हो गया। अशोक मेहता जब कक्षा चार व पांच में थे तो उन्हें मंच पर नृत्य और अभिनय करने के अलावा कॉमिक्स पढ़ने शौंक था। जबकि उनके परिवार में किसी प्रकार का साहित्यिक या सांस्कृतिक माहौल नहीं रहा है। इसके बावजूद उन्हें लोक कला और सांस्कृतिक क्षेत्र में अभिरुचि रही है। फिल्म इंडस्ट्री में बीर सिंह के नाम से पहचाने जा रहे अशोक मेहता ने बताया कि साल 2017 में उनके एक दोस्त ने उसे किस्तामें पर एक होंडा एक्टिवा दिलवाई, तो उसकी सर्विस के लिए फोन आने लगे। इसलिए वह गूगल पर सर्च करता तो एक्टिंग सर्विस मुंबई ज्वाइन साइट खुल जाती और उस फिल्म की वीडियो आने लगती है। इसके बाद वह दिल्ली में थिएटर करने लगे। वह दिल्ली थिएटर करने गये, वहां की बहुत मोटी फीस होने से उनके सामने बड़ी दिक्कत थी। इसके बाद वह मुंबई चले गये और नालासोपरा में उन्होंने स्क्रिप्ट लिखना सीखा और आठ माह बाद महसूस किया कि लेखन का काम आसान नहीं है और इससे इतनी कमाई भी नहीं होगी। फिर से एक दिन वह गांव में बैठे थे तो दिल्ली मून लाइट फिल्म और थिएटर फाउंडर महेश भट्ट के ऑफिस से फोन आया कि उनका चयन हो गया है। इस पर वह दिल्ली की कैलाश कालोनी स्थित अरुण जेटली के घर के सामने थिएटर में मिला और डबल बैच में सुबह और शाम थिएटर करना शुरू कर दिया। यहां उन्होंने अभिनय की बारीकियों को सीखा और इमोशन,फिजिकल कैरक्टराइजेशन, एटीट्यूड, बॉडी लैंग्वेज, सिचुएशन, सराउंडिंग जैसी चीजों को समझा। उन्होंने पहली बार साल 2019 में 60 के पार जीवन के आधार पर बॉलीवुड अभिनेता यशपाल शर्मा कहने से लेखन का काम किया, जिसमें उन्हें मोरनी में फिल्म निर्देशक उषा श र्मा ने तृतीय अवार्ड दिया। मोरनी में उषा शर्मा द्वारा और इस वर्ष बॉलीवुड की फिल्म हरियाणा जो सिनेमा की फिल्म थी और जोगी कास्टिंग कंपनी के कास्टिंग डायरेक्टर हरिओम कौशिक ने पहली बार मौका दिया और 32 दिन तक शूटिंग की। मुंबई में संघर्ष करते हुए उन्होंने बड़ी परेशानी झेली और परिवार वालों के खर्च पर ही जीवन काटा, क्योंकि अभी आमदनी कुछ नहीं थी। इस पर परिजनों की बहुत सुनने को मिला, लेकिन मुंबई में धक्के खाकर अभिनय के फॉस् पर कुछ जरुरी चीजें सीखने में सफल रहे। उन्होंने बताया कि कला या अभिनय के क्षेत्र में पेशवर तरीके से अनुशासन को सर्वोपरि रखा है। वहीं उन्होंने स्वास्थ्य, अनुशासन, फॉक्स जैसे संस्कारों का पालन किया है। एक कलाकार के लिए अपने व्यवहार और आचार विचार का ध्यान भी रखना आवश्यक है, तभी उसे आगे की मंजिल मिल सकती है। 
यहां से मिली मंजिल 
लोक कलाकार व अभिनेता अशोक मेहता ने पहली सिनेमा के लिए बसवाना फिल्मस मुंबई द्वारा बनाई गई ‘हरियाणा’ फिल्म भूमिका निभाई। महेन्द्रगढ़ के गांव पाली जाट के कास्टिंग डायरेक्टर हरि ओम कौशिक ने उन्हें फिल्मों में पहली बार मौका दिया। उन्होंने नेशनल अवार्ड से सम्मानित फिल्म फौजा में खलनायक का किरदार निभाया। हरियाणवी फिल्म मैं भी सरपंच और कुर्बानी एक प्रेम कथा में अभिनय किया। उनकी लघु फिल्म राइट स्टेप और व्हेयर इज गोड में भी काम किया। इसके अलावा अशोक मेहता ने हरियाणवी वेबसीरीज की फिल्म ‘ग्रुप डी’, पुनर्जनम, जानलेवा इश्क जैसी फिल्मों में अभिनय करके अपनी पहचान बनाई। संगीत के क्षेत्र में उन्होंने सपना चौधरी के संगीत यूट्यूब पर सपना चौधरी के ससुर का किरदार निभाया है। वहीं वे टीवी में भोजपुरी सीरियल डॉक्टर का किरदार निभा रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने विज्ञापनों में भी विभिन्न उत्पादों के लिए अभिनय किया है। लोक कला, संगीत और अभिनय के क्षेत्र में अपनी कला का प्रदर्शन करने वाले अशोक मेहता को को अभिनय,हरियाणा नाटय कला मंच, फिल्म राइटिंग लेखन अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है। वहीं हरियाणवी फिल्म चंद्रावल की नायिका एवं निर्देशक उषा शर्मा उन्हें कहानी 60 के पार जीवन का आधार पर लेखन सम्मान में आईफा अवार्ड से नवाज चुकी हैं। 
अध्ययन के बिना सब अधूरा 
इस आधुनिक युग में साहित्य और लेखन पर युवा पीढ़ी बहुत ज्यादा ध्यान दे रही है, लेकिन जल्द से जल्द लोकप्रियता हासिल करके पैसा कमाना चाहते हैं। साहित्य या एक्टिंग जैसी कलाओं में बिना सीखे कोई आगे नहीं बढ़ सकता। इसके लिए किताबों को पढ़ने और लिखने के लिए अध्ययन करना आवश्यक है यानी बिना किसी साधना के सब कुछ अधूरा है। वहीं आज अभिनय के क्षेत्र में कलाकार नशे की गिरफ्त में फंसते जा रहे हैं, जिसका समाज पर बुरा असर पड़ता है। यह बात भी सही है कि आज संगीत और कला में गिरावट आ रही है और द्विअर्थी गीत, डायलॉग और लेखन को जरिया बनाकर शोहरत हासिल नहीं की जाती, बल्कि समाजिक पतन ज्यादा होता है। इसके लिए कलाकारो, लेखकों और साहित्यकारों को अच्छे लेखन और अच्छी कला को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है, ताकि युवा अपनी सभ्यता और संस्कृति के प्रति जागरुक होकर समाज में फैली कुरितियों को दूर करने में अपना योगदान दे सके। 
16Sep-2024

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