साहित्य जगत में भारत के लिए विश्व रिकार्ड बनकार बनाई अंतर्राष्ट्रीय पहचान
व्यक्तिगत परिचय
नाम: इन्दु नांदल
जन्मतिथि: 15 अगस्त 1973
जन्म स्थान: रोहतक (हरियाणा)
शिक्षा: स्नातकोत्तर(सामाजिक विज्ञान), स्पोर्ट्रस डिप्लोमा
संप्रत्ति: शिक्षिका, लेखक, कवियत्रि
संपर्क: जकार्ता(इंडोनेशिया) मोबा.- +6281519431695
By-ओ.पी. पाल
हरियाणा के साहित्यकारों और लेखकों के साथ लोक कलाकारों ने अपनी अपनी विधाओं में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी पहचान बनाई है। ऐसी ही हरियाणा की बेटी इंदु नांदल ने साहित्य के क्षेत्र में अपनी लेखनी से काव्य जगत में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी पहचान ही नहीं बनाई, बल्कि वे अपनी लेखनी से साहित्य के साथ हरियाणवी संस्कृति को नया आयाम देते हुए पिछले तीन दशक से ज्यादा समय से विदेश में रहते हुए भी हिंदुस्तान की माटी से ऐसे जुड़ी हुई है, कि उन्होंने रामायण, देशभक्ति, भारतीय त्यौहारों और चन्द्रयान-3 पर कविता संग्रह लिखकर विश्व रिकार्ड बनाकर इतिहास रच ड़ाला है। विदेश में रहते हुए भी अपनी मातृभूमि और संस्कृति जुड़ी अंतर्राष्ट्रीय कवयित्री इंदु नांदल ने हरिभूमि संवाददाता से हुई बातचीत में यहां तक कहा कि विश्वभर में बसे भारतीयों को अपनी संस्कृति की मूल जड़ो से जुड़ा रहना चाहिए, क्योंकि हिंदी भाषा और संस्कृति ही भारत की पहचान है।
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दुनियाभर में भारतीय संस्कृति की अलख जगाने वाली साहित्यकार एवं कवियत्रि इंदु नांदल का जन्म 15 अगस्त 1973 को रोहतक में उम्मेद सिंह व विद्या देवी के घर में हुआ। उनके परिवार में कोई भी साहित्यिक माहौल नहीं था। उन्हें आस पास की चीजे प्रेरित करती थी, तो उन्हें कविता व दोहे के रुप में लिखने में अभिरुचि होने लगी। यही कारण रहा कि उन्होंने हिंदी व अंग्रेजी भाषा में सामाजिक शास्त्र में शिक्षा ग्रहण की। यहीं से उनका रुझान साहित्य के क्षेत्र में बचपन यानी स्कूली दौर से ही रहा है, जहां शिक्षकों ने भी उसे प्रोत्साहित किया। इंदु नांदल ने महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक से स्नातकोत्तर की शिक्षा ग्रहण की। इसके अलावा उन्होंने मोतीलाल नेहरु स्कूल ऑफ राई(सोनीपत) से स्पोर्ट्स कोर्स किया। उन्होंने इंटरमीडिए तक की शिक्षा चंडीगढ़ में हासिल की। जब वह यहां दसवीं कक्षा में थी तो उनका बास्केटबाल के लिए साईं में चयन हो गया था। इंदु बास्केटबाल की नेशनल प्लेयर रह चुकी है। वहीं वे एक चित्रकार भी हैं। इंदु नांदल हिंदी व अंग्रेजी भाषा के साथ-साथ कई विदेशी भाषाओं का ज्ञान भी ज्ञान है, जो वर्तमान में जकार्ता इंडोनेशिया में रहती है। बैकौल इंदु नांदल उन्होंने साल 1996 में भारत छोड़ दिया था और वह साल 2008 से 2020 तक इंडोनेशिया के रामा इंटरनेशनल स्कूल पूर्बा वार्ता में एक शिक्षिका के रुप में कार्य कर चुकी है, जहां उन्होंने इस दौरान पांच साल तक बच्चों को हिंदी पढ़ाई है। उन्होंने कहा कि इंडोनेशिया में हिंदी दिवस मनाया जाता है, जहां उन्हें कई बार काव्य पाठ करने का मौका मिला है। इसके बाद वह कुछ दिन जर्मनी में रही, जहां उन्होंने कोरोना काल में रामायण पर कविता लिखकर पहला विश्व रिकार्ड भी बनाया। उसके बाद फिर वे इंडोनेशिया आ गई, जहां उनके पति संजीव नांदल टेक्टाइल इंजीनियर हैं। जबकि उनका बेटा साहिल कनाडा बुक डिजाइनर है, जिनका हर कदम पर उनके काव्य लेखन में प्रोत्साहन और सहयोग रहता है। इंदु नांदल विदेश में रहते हुए भी उन्हें भारत और भारतीय संस्कृति पर लिखना वह अपनी जिम्मेदारी मानती हैं। उन्होंने बताया कि भारत के लिए वह ऐसे ही और विश्व रिकॉर्ड बनाकर साहित्य व संस्कृति का संवर्धन करती रहेंगी। देश भक्ति की कविताओं पर विश्व रिकॉर्ड बनाकर उन्हें ऐसा प्रतीत हुआ कि जैसे तिरंगा सिर्फ़ लाल क़िले पर नहीं, बल्कि पूरे विश्व में फहरा दिया हो। इंदु नांदल पांच साल तक आल इंडिया रेडियो पर युवा संसार प्रोग्राम में स्वरचित कविताओं का पाठ भी कर चुकी हैं। इंडोनेशिया भारतीय दूतावास में आठ वर्ष स्कूल के बच्चों के साथ स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस पर देशभक्ति गीतों को भी प्रस्तुत करती रही हैं। उन्होंने जर्मनी, इंडोनेशिया, कनाडा और भारत में रहकर समाज, संस्कृति और प्रकृति के विभिन्न विषयों पर आधारित कविताओं की रचना की है। उनकी रचनाएं देश-विदेश की राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी है। पचास से अधिक लेख तो उनके इंडोनेशिया के अखबारों में प्रकाशित हो चुके हैं। वह महिला काव्य मंच जर्मनी इकाई की अध्यक्ष, जर्मनी अशाफनवरंग इकाई केमहिला काव्य मंच की अध्यक्ष भी हैं।
प्रकाशित पुस्तकें
अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवियत्रि इंदु नांदल ने अपनी कविताओं का काव्य संग्रह ‘काव्य सागर’ लिखा है। इसके अलावा उन्होंने ‘वंदे मातरम्’ शीर्षक से ‘रामायण’ पर 665 पंक्तियों, देशभक्ति पर 72 रचनाकारों की 154 कविताओं, भारतीय त्यौहारों पर 132 कविताओं तथा चंद्रयान-3 पर 116 कविताओं का काव्य संग्रह लिखे हैं, जो विश्व रिकार्ड में दर्ज हुए हैं।
सम्मान व पुरस्कार
इंदु के विश्व रिकार्ड बने चार काव्य संग्रह के लिए गोल्डन उन्हें विश्व रिकार्ड में दर्ज चार काव्य संग्रहों के लिए उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड लंदन से सर्टिफिकेट ऑफ कमिटमेंट से सम्मानित किया गया। हिंदी दिवस पर उन्हें जर्मनी दूतावास ने कांस्युलेंट ऑफ जनरल मुनिक जर्मनी दूतावास ने पुरस्कार देकर सम्मानित किया। इसके अलावा उन्हें जर्मनी में भारतीय दूतावास् ने निबंध के लिए सम्मानित किया है। इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में इंटरनेशन इंडियन नेशनल डांस कंपीटिशन में उन्हें द्वितीय पुरस्कार देकर सम्मानित किया जा चुका है।
युवाओं को प्रेरित करना आवश्यक
कवियत्रि इंदु नांदल का कहना है कि समाज, संस्कृति और शिक्षा का समावेश से परिपूर्ण साहित्य में सकारात्मक विचारधारा भरी होती है। लेकिन यह चिंता का विषय है कि आज के आधुनिक युग में युवा पीढ़ी साहित्य और संस्कृति से दूर भाग रही है। ऐसे में लेखकों और साहित्यकारों की नैतिक जिम्मेदारी है कि वे देशभक्ति, संस्कृति, आध्यात्मिक, प्रकृति और भारतीय सभ्यता जैसे विषयों पर ऐसी सकारात्मक रचनाओं का लेखन करें, ताकि युवा पीढ़ी को देशभक्ति और अपनी संस्कृति के प्रति प्रेरित किया जा सके।
23Sep-2024