सोमवार, 20 नवंबर 2023

चौपाल: सामाज को संस्कृति से जोड़ने का माध्यम है सिनेमा: बिन्दा

बॉलीवुड व हरियाणवी फिल्मों बहुआयामी कलाओं से मिली खास पहचान 
               व्यक्तिगत परिचय 
नाम: वीरेन्द्रपाल बिंदा जन्मतिथि: 15 जनवरी 1981 जन्म स्थान: गांव मकडौली कलां, रोहतक(हरियाणा) 
शिक्षा: बीकॉम(ग्रेज्युएट) 
संप्रत्ति: अभिनेता,निर्देशक, लेखक, एडीटर 
संपर्क: अन्ना हजारे मार्किट, रोहतक, मोबा. 7082575925 
BY--ओ.पी. पाल 
 हरियाणवी संस्कृति, सभ्यता, रीतिरिवाज और बोली देश विदेशों में मिसाल बनती जा रही है, जिसकी पृष्ठभूमि में सूबे के लोक कलाकारों, संस्कृतिकर्मियों और साहित्यकारों की साधना का अहम योगदान माना गया है। अपनी संस्कृति और लोक कलाओं के संवर्धन में अलग अलग विधाओं में समाज को नई दिशा देने में जुटे ऐसे कलाकारों में रोहतक के वीरेन्द्र पाल बिन्दा भी एक ऐसे बहुआयामी कलाकार हैं, जिन्होंने सामाज में व्याप्त कुरीतियों को अपने गीतो और फिल्मों में अभिनय के जरिए बेबाक उजागर किया है। फिल्मी गीतों के अलावा वेब सीरिज, वृत्तचित्रों का लेखन, निर्देशन, अभिनय और संपादन के क्षेत्र में पिछले दो दशकों से सक्रीय कलाकार वीरेन्द्र पाल बिन्दा ने फिल्म क्षेत्र के सफर को लेकर हरिभूमि संवाददाता से बातचीत में कई ऐसे पहलुओं का जिक्र किया है, जिसमें वह समाज, खासतौर से युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति से जोड़ने के लिए सिनेमा को सबसे बेहतर माध्यम मानते हैं।
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रियाणवी फिल्मों मे अभिनय, निर्देशक, गीतकार और पटकथा लेखक के रुप में पहचान बनाने वाले कलाकार वीरेन्द्र पाल बिन्दा का जन्म रोहतक शहर से सटे गांव मकडौली कलां में एक किसान एवं ब्राह्मण परिवार में समेराम व प्रकाशी देवी के घर में 15 जनवरी 1981 को हुआ। परिवार में आध्यात्मिक माहौल के अलावा किसी प्रकार की लोक कला या साहित्यिक माहौल नहीं था। वीरेन्द्र की प्राथमिक शिक्षा गांव में ही हुई, जबकि उन्होंने स्नातक जाट कॉलेज रोहतक से की। बचपन से ही उन्हें कब्बड़ी खेलने का शौंक था और वे स्कूल व कॉलेज के अलावा राष्ट्रीय स्तर तक कब्बड़ी खेलते रहे हैं। लेकिन उन्हें खेल से ज्यादा गीत लेखन, गायन और अभिनय जैसी कला के प्रति अभिरुचि हुई। वीरेन्द्र का कहना है कि जब वे मैट्रिक करने के बाद उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे थे तो फिल्में देखने और गाने सुनने के बाद उन्हें महसूस हुआ कि वह भी एक्टिंग और गायन कर सकते हैं। गीत व गाने लिखने और गायन की अभिरुचि के चलते साल 2001 में उन्होंने पहला धार्मिक गीत लिखा, जिसके बाद साल 2003 में उनकी एलबम छोरी छैल छबीली आई, जिसमें उन्होंने निर्देशन के साथ गायन भी किया। इसके बाद हरियाणवी फिल्म तड़पन का निर्देशन किया, जिसके अलावा उन्होंने दर्जनों हरियाणवी फिल्म, सीरियल और वेबसीरिज में पटकथा और गीत भी लिखते आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि अब तक वे 500 से भी ज्यादा गीतों का लेखन और फिल्मों, वृत्तचित्र की पटकथाओं व कहानियों का संपादन भी करते आ रहे हैं। साल 2012 में वीएम इंटरनेशनल चैनल के बैनर तले उन्होंने सीरियल मैं लडूंगी, वारिश कौन तथा चक्कर चौधर का निर्माण किया। जबकि साल 2014 में उन्होंने सिनेमा के लिए गैंगरेप पर आधारित हिंदी बॉलीवुड फिल्म ‘एनसीआर’ का निर्देशन किया, इस दौरान सामने आए आर्थिक और अन्य समस्याओं के कारण उन्हें बेहद संघर्ष के दौर से गुजरना पड़ा, लेकिन वह पीछे नहीं हटे और यह फिल्म साल 2019 के दौरान मुंबई में रिलीज हुई, जिसका डिस्ट्रीब्यूसन आल इंडिया हुआ। जिसका नतीजा भी सकारात्मक मिला। इस फिल्म में जोगेन्द्र कुंडू, सपना चौधरी, अंजली राघव, शिखा राघव, शिवानी राघव आदि कलाकारों के किरदार ने कई राज्यों में धूम मचाई। इस फिल्म में भी उन्होंने अभिनय और गीत लेखन के साथ गायक की भी भूमिका निभाई। यह फिल्म दिल्ली, यूपी, हरियाणा, राजस्थान जैसे कई राज्यों के सिनेमाघरों में चली और उन्हें यहां से फिल्म निर्माण व निर्देशन के साथ अभिनय के रुप में भी एक बड़ी पहचान मिली। इस फिल्म का निर्माण समाज में नारी के प्रति अपराधों के खिलाफ अलख जगाने के मकसद से किया गया। पिछले करीब दो दशक से फिल्म क्षेत्र में सक्रीय वीरेन्द्र पाल बिंदा अब तक 500 से ज्यादा फिल्मी गीतों, वेब सीरिज व वृत्तचित्रों की पटकथा का लेखन, निर्देशन, अभिनय और संपादन कर चुके हैं। 
सामाजिक सरोकार पर फोकस 
हरियाणा के फिल्म निर्देशक एवं अभिनेता वीरेन्द्र पाल का कहना है कि उनकी हिंदी व हरियाणवी फिल्मों की पटकथा में समाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दे रहे। इसकी पृष्ठभूमि में उनका मकसद समाज को अपनी संस्कृति, सभ्यता, रीति रिवाज, वेशभूषा के प्रति सजग करना और खासतौर से भ्रूण हत्या, लिंग अनुपात, ऑनर किलिंग, महिलाओं के प्रति अपराधों, नशाखोरी जैसी सामाजिक कुरीतियों को उजागर करना रहा है। उनका कहना है कि सामाज को सकारात्मक विचारधारा के प्रति जागरुक करने का सिनेमा से बेहतर कोई माध्यम नहीं हो सकता, क्योंकि उनकी फिल्मों की कहानियों का अंतिम दृश्य, समाज को सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ अपनी संस्कृति से जुड़े संदेश देते हुए एक सबक देता नजर आता है। 
हरियाणा से बॉलीवुड तक पहचान 
सिनेमा हिंदी फिचर फिल्म ‘एनसीआर’ फिचर हिंदी व हरियाणवी में वेबसीरिज अन्यायी, हरियाणवी फिल्म तड़प के अलावा हरियाणवी कॉमेडी फिल्मों रांड्या का कुनबा, ब्याह का रौला, चाय पै लड़ाई, गजबण कुत्ते नै खा ली, उल्हाणा औट लिया, कह दे ना मानू, गजबण फसगी रांड्यां कै, एंडी मर्द, रांड्यां की बहु, बहू साझे की, खींच दे मीटर नै, पोल पाटगी रांड्यां की, एंडी खानदानी, रांड्यां की होली, सिर में भड़क, चरचरी भाभी, कूण में लावैगी, शनिचर चढ़ग्या, सुथरी बहू, दो लूटेरे, बावला पाना, कब्बड़ी, चक्कर चौधर का, मैं लडूंगी और वारिश कौन जैसी फिल्मों में अभिनेता, निर्देशक और लेखक की भूमिका निभाई। सीडी फिल्मों पंचायती फैसला, मेरा इंतजार करना, तड़पन और बनिया बना खलनायक में निभाई गई उनकी भूमिका भी चर्चाओं में रही। हास्य वेबसीरिज के जरिए भी उन्होंने समाज को सकारात्मक संदेश देने का प्रयास किया है। 
सम्मान व पुरस्कार 
हरियाणवी संस्कृति के संवर्धन को लेकर समाज को नई दिशा देने के लिए सामाजिक सरोकार पर आधारित फिल्मों, वेबसीरिज, धारावाहिक के क्षेत्र में समाज में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए वीरेन्द्र पाल बिंदा को देश के विभिन्न राज्यों में कई पुरस्कार और सम्मान मिले हैं। इनमें प्रमुख रुप से नॉर्दन फिल्कार एसोसिएशन से फिल्म निर्देशक व निर्माता पुरस्कार के अलावा फाइन डिजिटल पुरस्कार जैसे अनेक सम्मान शामिल हैं। 
20Nov-2023

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