गुरुवार, 20 जून 2013

रालोद का गढ़ ध्वस्त करने में जुटी सपा!

रालोद का गढ़ ध्वस्त करने में जुटी सपा!
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मजबूत राजनितिक बिसात बिछाई

ओ.पी. पाल

देश में जारी राजनीतिक उबाल में पहले से लोकसभा चुनावों की तैयारियों में जुटे राजनीतिक दलों में उत्तर प्रदेश की सत्ताधारी समाजवादी पार्टी की नजरें रालोद के गढ़ पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर पर टिकी हुई हैं। मुलायम सिंह यादव के इस सियासी दांव से सपा ने यूपी सरकार की नीतियों और रालोद में सेंध लगाकर गढ़ कब्जाने की मुहिम को और भी तेज कर दिया है।
लोकसभा चुनाव के लिये ताल ठोक रहे राजनीतिक दलों में यूपी में सत्ता का पूरा लाभ उठाते हुए समाजवादी पार्टी ने पूरी ताकत झोंकना शुरू कर दिया है। राजग गठबंधन से अलग हुए जदयू के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी  ऐसा बयान दिया है कि राजनीति में दोस्ती या दुश्मनी स्थिर नहीं होती। शायद सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव और उनके राजनीतिक गुरू रहे चौधरी चरण सिंह के बेटे रालोद प्रमुख चौधरी अजित सिंह के बीच रिश्ता कुछ ऐसा ही नजर आ रहा है। इसका कारण साफ नजर आ रहा है कि जहां सपा की सरकार लैपटॉप के लॉलीपोप और राज्य की घोषित नीतियों के जरिए लोकसभा चुनाव की ठोस तैयारियों में जुटी हैं, जिसमें सपा ने राष्ट्रीय लोकदल के गढ़ माने जाने वाले पश्चिम उत्तर प्रदेश में सेंध लगाने की मुहिम को और भी तेज कर दिया है। हाल ही में अमरोहा के रालोद सांसद देवेन्द्र नागपाल को साइकिल की सवारी करने के लिए जगह देकर सपा ने अपने इरादों को जाहिर कर दिया है, जिसमें सपा की नजर पश्चिम उत्तर प्रदेश में मजबूत राजनीतिक बिसात बिछाने पर है। इससे पहले हाथरस की रालोद सांसद सारिका बघेल को पहले ही अपने पाले में शामिल करके सपा ने रालोद को कमजोर करने की शुरूआत कर दी थी, जिसको लोकसभा चुनाव के लिए आगरा का उम्मीदवार भी घोषित कर दिया गया है। राजनीतिक सूत्रों के अनुसार तो यह भी कहा जा रहा है कि बिजनौर के रालोद सांसद संजय सिंह चौहान भी  फिर से साइकिल पर सवारी करने की तैयारी में हैं, लेकिन संजय चौहान ने इस खबर को निराधार बताते हुए  से बताया कि इस तरह की अफवाहें फैलाकर दूसरे राजनीतिक दल अपने पक्ष में माहौल बनाने का प्रयास कर रहे हैं। सपा संजय चौहान को भी अपने पाले में शामिल करती है तो उसके बाद रालोद पिता-पुत्र की पार्टी ही बनकर रह जाएगी। हालांकि रालोद को कमजोर करने की शुरूआत तो सपा ने पिछले साल हुए यूपी विधानसभा चुनाव से ऐन पहले रालोद की महासचिव अनुराधा चौधरी को अपने पाले में शामिल करके कर दी थी।
इसलिए है किसान हितैषी होने का दावा
समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव का सियासी दावं में अपने आपको किसानों का हितैषी होने का दावा ऐसा ही  नहीं किया जा रहा है। सपा की यूपी सरकार ने नई कृषि नीति लागू करके किसानों के लिए पिटारा भी खोल दिया है। वहीं आज भी सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव जहां स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह की तारीफ करते नहीं थकते, लेकिन उनके बेटे चौधरी अजित सिंह की खिलाफत करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहे है। आजकल तो सपा यहां तक टिप्पणी करने से भी नहीं हिचक रही है कि किसानों के लिए संघर्ष करते रहे चौधरी चरण सिंह ने स्वयं ही अजित सिंह को राजनीति के लायक नहीं समझा था और यही कारण था कि तो चौधरी चरण सिंह अजित के बजाए मुलायम सिंह को अपनी राजनीतिक विरासत का उत्तराधिकारी करार दे चुके थे।
रालोद का किला ढ़हाने की तैयारी
लोकसभा चुनाव की तैयारियों में समाजवादी पार्टी ने बागपत समेत रालोद का गढ़ माने जाने वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपनी राजनीतिक जमीन तैयार करने की रणनीति को तेज कर दिया है। इसी महीने की तीन तारीख को गाजियाबाद आए सपा प्रमुख के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बागपत और पानीपत को जोड़ने के लिए यमुना पुल का निर्माण के साथ हरियाणा-यूपी को जोड़ने वाले नदी पुलों के आधुनिकीकरण का पैकेज घोषित करके रालोद के खिलाफ सियासी दांव खेला है। बागपत में राजनीतिक चोट देने की रणनीति में ही इससे पहले सपा ने जो खेल खेला, उसमें बागपत लोकसभा क्षेत्र के छपरौली ब्लॉक प्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर कुर्सी सपा के कब्जे में कर ली थी। यहीं नहीं बागपत जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी से रालोद को बेदखल करने की तैयारियों में भी सपा हाथपांव मार रही है। सपा का यह दांव भी रालोद के गढ़ को कब्जाने की पृष्ठभूमि से ही जोड़कर देखा जा रहा है जिसमें राजेन्द्र चौधरी को अखिलेश सरकार में कारागार मंत्री बनाया हुआ है।
एक ओर सियासी दांव
यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कैबिनेट गौत्तमबुद्धनगर के जेवर में ताज हवाई अड्डे के निर्माण के प्रस्ताव को मंजूरी देकर रालोद प्रमुख अजित सिंह, जो स्वयं नागर विमान मंत्री भी  हैं द्वारा की गई पहल पर सपा को श्रेय देने का प्रयास किया गया है। गौरतलब है कि अजित सिंह केंद्र सरकार के विरोध के बावजूद इस ताज अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का निर्माण कराने की पहल की थी। यह भी गौरतलब है कि इससे पहले इस हवाई अड्डे के लिए प्रस्ताव और जमीन आबंटन हेतु अजित सिंह बतौर नागर विमानन मंत्री यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश को एक नहीं तीन पत्र लिख चुके थे, लेकिन सपा सरकार ने कोई तरजीह नहीं दी। अब चुनाव नजदीक आए तो सपा सरकार ने इस प्रस्ताव को पास करके इसके लिए अपना श्रेय हासिल करके सियासी दांव खेलने का प्रयास किया है।

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