सोमवार, 11 नवंबर 2024

चौपाल: समाज व संस्कृति में फिल्मों की अहम भूमिका: मुकेश मुसाफिर

हरियाणावी फिल्म उद्योग में प्रमुख अभिनेता के रुप में हुए लोकप्रिय 
       व्यक्तिगत परिचय 
नाम: मुकेश मुसाफिर 
जन्मतिथि: 25 जनवरी 1986 
जन्मस्थान: रोहतक (हरियाणा) 
शिक्षा: स्नातक नेकीराम कालेज तथा सुपवा से फिल्म एक्टिंग 
 संप्रति: अभिनेता, लोक कलाकार एवं निर्देशक 
सम्पर्क: म.न. 97/B, रेलवे कालोनी (रेलवे हॉस्पीटल के पीछे) रोहतक (हरियाणा), मोबा.9728172535, ईमेल-musafirmukesh@gmail.com 
BY--ओ.पी. पाल 
रियाणवी फिल्म उद्योग को गुलजार करने के लिए लोक कलाकारों के लिए अपनी कला के प्रदर्शन से कई कई ऐसी फिल्मों को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दी है और हरियाणवी संस्कृति की अलख जगाने में अहम भूमिका निभाई है। ऐसे ही अभिनेताओं में मुकेश मुसाफिर ने भी दर्जनों फिल्मों में अपने अपने अभिनय से बॉलीवुड तक का सफर तय किया है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कान्स फिल्म महोत्सव में सर्वश्रेष्ठ फिल्म के खिताब से नवाजी जा चुकी लघु फिल्म छाया में उनकी प्रमुख भूमिका रही है। इसी प्रकार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार हासिल कर चुकी हरियाणवी फिल्म दादा लखमी में भी उनका किरदार महत्वपूर्ण साबित हुआ। अपने अभिनय के सफर को लेकर अभिनेता, लोक कलाकार एवं निर्देशक के रुप में लोकप्रिय मुकेश मुसाफिर ने हरिभूमि संवाददाता से हुई बातचीत में कहा कि फिल्मों कलाकारों का काई भी किरदार सामाजिक और संस्कृति को नई दिशा देने में सक्षम है। 
रियाणा के फिल्मी कलाकार मुकेश मुसाफिर का जन्म 25 जनवरी 1986 को रोहतक शहर में एक सामान्य मध्यम परिवार में जिले सिंह व ज्ञानो दवी के घर हुआ। उनके पिता रेलवे में नौकरी करते हैं, जो रोहतक की रेलवे कालोनी में रहते हैं, यहीं मुकेश मुसाफिर का बचपन गुजरा, लेकिन परिवार में किसी भी प्रकार का कोई साहित्यिक, सांस्कृतिक या कला का माहौल नहीं था। रेलवे स्टेशन के पास रहने के कारण उन्हें बहुत कुछ देखने को मिला। वहीं आसपास रामलीला, जागरण और झांकियां देखे, लेकिन उनके दिमाग में कतई भी कोई किरदार निभाने की इच्छा नहीं थी। इसका कारण भी था कि परिवार में माता पिता के अलावा चार भाईयों का पालन पोषण अकेले पिता की नौकरी में करना भी मुश्किल हो रहा था। आर्थिक तंगी के बावजूद पढ़ाई करना भी मुश्किल था, इसलिए पढ़ाई करने के साथ उन्होंने 6-7 साल फैक्ट्री, कपड़े की दुकान और टेलरिंग जैसे अनेक काम किया। बकौल मुकेश मुसाफिर, उन्हें अपनी माता से बहुत लगाव था, जो बाजार जाती और आस पड़ोस की बातों को इस अंदाज में कहती थी, जैसे उनका किरदार वहीं निभा रही हों। तब तक भी खुद के दिमाग में कला जैसे करियर की बात नहीं थी। दरअसल परिवार में बचपन से ही वह शर्मिले स्वभाव के रहे हैं, शादी या अन्य समारोह में दूसरे दोस्त नाच करते थे, लेकिन शर्म के मारे वह नाचने में संकोच करते थे, लेकिन कोई खींचकर मंच पर ले जाता था थोड़ा बहुत वह भी नाच लेता था। उनकी लंबाई भी तेजी से बढ़ी तो हाई स्कूल उत्तीर्ण करने के बाद उनका अचानक थियेटर की रुझान बढ़ना शुरु हुआ। हरियाणा ज्ञान विज्ञान समिति ने रेलवे स्टेशन के आसपास पोस्टर लगाए थे कि सामाजिक विषयों पर नुक्कड नाटक के लिए उन्हें अभिनय करने वालों की आवश्यकता है। चूंकि परिवार में कमाने का भी दवाब बना था, तो वह भी समिति के पास गये और वे नुक्कड नाटक में काम करने लगे, लेकिन पढ़ाई के साथ साथ थियेटर भी नियमित नहीं रह सका। इसके बाद उन्होंने साल 2000 में इंटर में विज्ञान विषय में प्रवेश लिया, लेकिन चौथे प्रयास में किसी तरह से उत्तीर्ण की। उसके बाद उन्होंने एक इंस्टीट्यूट में अंग्रेजी सीखी, ताकि कॉल सेंटर आदि संस्थानों में नौकरी की जा सके, लेकिन स्नातक न होने के कारण उन्हें जॉब नहीं मिल सका। इसके बाद उन्होंने रोहतक के नेकीराम कॉलेज में उच्च शिक्षा के लिए प्रवेश लिया, जहां साथियों ने थियेटर शुरु किया, लेकिन ज्यादा आयु के कारण उन्हें थियेटर में नहीं लिया गया। इसके बाद रोहतक में कुछ दिन मेडिकल रिप्रेजेंटिव का कार्य करने के बाद दिल्ली के होटल में काम किया। उनकी दोस्ती का दायर बढ़ने लगा, तो उन्होंने रोहतक में थियेटर का काम शुरु कर दिया और उसके बाद साल 2012 में उन्होंने सुपवा में प्रवेश लेकर एक्टिंग का कोर्स किया। उनके अभिनय की शुरुआत 2016 से लघु फिल्मों से हुई और उन्होंने करीब एक दर्जन लघु फिल्मों में शानदार किरदार से लोकप्रियता हासिल की। उन्होंने कहा कि फिल्मों, टीवी फिल्मों, वेब सीरिज या अन्य शॉ में उनके किरदार का फोकस सामाजिक, संस्कृति और भावात्मकता पर रहा है। इस आधुनिक युग में कला के क्षेत्र में फिल्मों की पटकथाओं में जिस प्रकार बदलाव आया है, उसमें जल्द से जल्द लोकप्रियता हासिल करने का प्रयास है, लेकिन सामाजिक और अपनी संस्कृति से जुड़े रहने के लिए सिद्धी के बाद ही प्रसिद्धि मिलती है। मसलन फिल्म निर्देशकों और कलाकारों को भी चाहिए कि फिल्मों की पटकथा और अभिनय ऐसा होना चाहिए, जो सामाजिक समरसता के लिए अपनी संस्कृति से जुड़ा होने का संदेश समाहित हो। 
ऐसे मिली लोकप्रियता 
अभिनेता मुकेश मुसाफिर ने फीचर फिल्म लक्ष्मी वॉलीबुड अभिनेता अक्षय कुमार के साथ भी काम किया है। वहीं उन्होंने विजय राज, जतिन सरना, शरमन जोशी, पार्टिक बब्बर, सोनल चौहान, जिमी शेरगिल, डेजी शाह, विनय पाठक, गुलशन ग्रोवर, मघना मलिक, यशपाल शर्मा, राजेंद्र गुप्ता जैसे अभिनेताओं के साथ एक दर्जन फिल्मों में अभिनय किया है। इसके अलावा उन्होंने ऐसी बीस लघु फिल्मों में अपने अभिनय की कला का प्रदर्शन किया, जो कॉन्स वर्ल्ड फिल्म फेस्टिवल, भूषण इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, आईएफएफआई गोवा, चिल्ड्रन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल दुबई जैसे विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में प्रदर्शित हुई हैं। हाल ही में यशपाल शर्मा के निर्देशन में राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हरियाणवी फीचर फिल्म ‘दादा लखमी’ में अहम कलाकार के रुप में अभिनय किया, जिसमें मुकेश मुसाफिर ने बचपन के लखमीचंद के पिता का किरदार निभाया है, इसमें लखमी की मां वॉलीवुड अभिनेत्री मेघना मलिक रही। 
इन वेबसीरीज और फिल्मों में अहम भूमिका
कलाकार मुकेश मुसाफिर ने वेबसीरीज फिल्मों बवाल, अग्निवीर, जालिमपुर, हक्का या हथियार, अखाड़ा, वाहम्म, एचआर 13, मोटर माचिस कटर, सत्या के अलावा डीडी नेशनल के नेशनल के टीवी सीरियल नाम (अकेले नहीं है आप) में भी अभिनय किया है, जो जल्द ही दर्शकों के सामने होंगे। इसके अलावा उन्होंने एचसीएल और हरियाणा सरकार के लिए विज्ञापन में भी अलग अलग किरदार किये हैं। उनकी लघु फिल्म ‘एक आदमी का न्योता’ भी सुर्खियों में रही है। 
पुरस्कार व सम्मान हरियाणा के प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता मुकेश मुसाफिर को हरियाणा अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव कुरुक्षेत्र 2017 में लघु फिल्म ‘दायरा’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला। वहीं उन्हें मार्च 2022 में चित्र भारती फिल्म फेस्टिवल भोपाल में फिल्म ‘छाया’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार दिया जा चुका है। जबकि हरियाणा इंटरनेशनल फिल्म एसोसिएशन 2023 से लघु फिल्म ‘छाया’ के लिए फिर से उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार से नवाजा गया। यही नहीं उनकी लघु फिल्म छाया कान्स वर्ल्ड फिल्म फेस्टिवल में छात्र फिल्म प्रतियोगिता में भी प्रदर्शित की गई। जबकि लघु फिल्म ‘दयारा’ को बुसान अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में विशेष रुप से प्रदर्शित किया गया है। इसके अलावा उनकी लघु फिल्म ‘एक आदमी का न्योता’ का चिल्ड्रन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल दुबई में हुआ प्रदर्शन उनकी बड़ी उपलब्धि रही। 
11Nov-2024

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