हास्य एवं मिमिक्री कलाकार के रुप में हासिल की लोकप्रियता
व्यक्तिगत परिचय
नाम: संजीत कौशिक
जन्मतिथि: 26 जनवरी 1975
जन्म स्थान: गांव फतेहगढ़, जिला जींद
शिक्षा:स्नातक
संप्रत्ति: हास्य कलाकार एवं मिमिक्री आर्टिस्ट
संपर्क: गांव फतेहगढ़ जिला जींद(हरियाणा) मोबा.-9466605959
BY--ओ.पी. पाल
हरियाणा की लोक कला और सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाते लोक कलाकारों ने विभिन्न विधाओं में समाज को नई दिशा देने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे ही लोक कलाकारों में समाजिक कल्याण की दिशा में हास्य और व्यंग्य की विधा से मनोरंजन के माध्यम से अपनी कला के हुनर दिखा रहे हैं। ऐसे ही हरियाणवी कलाकार संजीत कौशिक सांस्कृतिक क्षेत्र में मंचों से दर्शकों को हंसाकर समाज को सकारात्मक ऊर्जा देने में जुटे हैं। खासबात है कि वे शिक्षा विभाग हरियाणा में सहायक खंड शिक्षा अधिकारी के पद पर कार्यरत संजीत नई पीढ़ी को कबड्डी और कुश्ती के गुर सिखाकर एक कोच की भूमिका भी निभा रहे हैं, वहीं अपनी कला का हुनर से समाज को अपनी संस्कृति से जुड़े रहने का संदेश दे रहे हैं। कला के क्षेत्र में उन्होंने राजनीति, फिल्मी या अन्य किसी भी क्षेत्र की हस्तियों की हूबहू आवाज निकालकर कला के क्षेत्र में एक हास्य और मिमिक्री कलाकार के रुप में लोकप्रियता हासिल की है। हास्य कलाकार संजीत कौशिक ने हरिभूमि संवाददाता से हुई बातचीत में अपनी कला के सफर को लेकर कई ऐसे पहलुओं का जिक्र करते हुए कहा कि कला क्षेत्र में मर्यादित और सकारात्मक रुप में प्रस्तुत की जाने वाली हरेक विधा समाजिक निर्माण में सहायक सिद्ध होती है।
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हरियाणा के हास्य कलाकार संजीत कौशिक का जन्म 26 जनवरी 1975 को जींद जिले के गांव फतेहगढ़ में भैयाराम शास्त्री एवं श्रीमती सत्यवती देवी के घर में हुआ। एक साधारण परिवार में किसी प्रकार का साहित्य या सांस्कृतिक माहौल नहीं था। जब संजीत कक्षा नौ में पढ़ रहे थे, तो साल 1990 में उनके परिवार को ब्रजपात से गुजरना पड़ा यानी हिंदी शिक्षक रहे उनके पिता 38 साल की अल्पआयु में ही एक सड़क हादसे में असामयिक रुप से सांसकारिक यात्रा पूरी कर चुके थे। परिवार पर छाए इस संकट के बावजूद संजीत ने अपने बचपन में कला के क्षेत्र की अभिरूचि को प्रभावित नहीं होने दिया। वह स्कूल में होने वाली प्रतिदिन की प्रार्थना गायन और शनिवार को होने वाली बाल सभाओं में भागीदारी करके अपनी कला का प्रदर्शन करते रहे, जिसकी वजह से उनकी कला के क्षेत्र में रुचि बनी रही। बकौल संजीत कौशिक, साल 2004 में चौटाला सरकार के दौरान 'सरकार आपके द्वार' अभियान के तहत उन्हें एक-दो कार्यक्रम गांव में मिले और सरकारी विद्यालय में नौकरी करते करते विद्यालय सभाओं के साथ उन्हें छोटे छोटे मंचों पर सांस्कृतिक कला के मौके मिले, जहां उनके चुटकले, अभिनय जैसी कला को लोग पसंद करने लगे, जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता गया और उनकी कला में कई विधाएं शामिल होती चली गई। उनका सौभाग्य रहा कि जहां भी उन्हें मौका मिला, वहीं उन्होंने सर्वश्रेष्ठ कला के हुनर दिखाया, जहां उन्हें हमेशा सराहना मिली और इस प्रोत्साहन ने उन्हें सकारात्मक भूमिका निभाते हुए लोगों को मनोरंजन करने का मोका मिला। निजी रुप से उन्होंने स्टैंडअप कॉमेडी की मर्यादा में रहते हुए संस्कारिक मनोरंजन, अभिनय जैसी विधाओं से समाज को सकारात्मक संदेश देने का ही प्रयास किया है। उनका मानना है कि व्यक्ति को अपने आप मे जो भी हुनर है, उसको समाजहित में पेश करें, ताकि आने वाली पीढ़ी अपनी संस्कृति से जुड़ी रहे। संजीत कौशिक शिक्षा विभाग के खण्ड कार्यालय जुलाना में असिस्टेंट बीईओ के पद कार्यरत है, इसके बावजूद वे हरियाणी लोककला और संस्कृति के संवर्धन के मकसद से अपनी कला को धार देने में जुटे हुए हैं। वह समाज सेवी के रुप में भी समाज को दिशा देते आ रहे है, जिसके उनकी पहचान बनी हुई है।
ऐसे मिली हास्य कला को मंजिल
हरियाणवी हास्य व मिमिक्री कलाकार एवं स्टेज एंकर संजीत कौशिक ने हरियाणवी फिल्मों एवं वेब सीरिज में अभिनय के रुप में भी अपनी कला का प्रदर्शन किया है। उन्होंने बताया कि स्टेज एप के लिए 12 एपिसोड सिंगल में स्टैंडअप कॉमेडी, चौधर वेब सीरीज में सहायक अभिनेता का किरदार, शक फ़िल्म में बॉस, नूर फ़िल्म में पापा तथा सपाट रस्ता फ़िल्म में भाई का अभिनय करके अपनी कला से समाज को संस्कृति से जुड़े रहने का संदेश दिया है। उन्होंने हरियाण में विभिन्न मंचों पर हास्य एवं मिमक्री प्रस्तुति से दर्शकों का मन मोहा है। वहीं वे उपमंडल स्तर पर आयोजित राष्ट्रीय पर्वो गणतंत्र दिवस व स्वतंत्रता दिवस पर मंच संचालन की भूमिका भी निभाते आ रहे हैं। संजीत शिक्षा विभाग में बच्चों को कुश्ती और कबड्डी के गुर सिखाकर उनके भविष्य को उज्जवल बनाने में जुटे हैं, जिन्हें कोच के रुप में भी पहचाना जाता है।
सम्मान व पुरस्कार
हास्य कलाकार संजीत कौशिक की हास्य-व्यंग्य एवं मिमिक्री कला तथा अभिनय के क्षेत्र में समाज और संस्कृति के लिए किये जा रहे उत्कृष्ट योगदान के लिए जिला स्तर व उपमंडल स्तर पर विभिन्न मंचो से उन्हें अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। कला परिषद हरियाणा कुरुक्षेत्र ने उन्हें साल 2019 में हरियाणवी हास्य अवार्ड से नवाजा था। इसके अलावा उन्होंने फिल्मों में अभिनय करके अपनी कला का प्रदर्शन किया है। खेल के क्षेत्र में एक कोच के रुप में उन्हें अनेक पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।
संस्कृति व संस्कार जरुरी
आधुनिक युग में अभिनय, लोक कला, संगीत आदि की स्थिति को लेकर कलाकार संजीत कौशिक का कहना है कि यह बहुत ही खराब समय है और हर कोई अपने स्वार्थी ताम झाम में व्यस्त हैं। संस्कृति और संस्कारों बारे किसी का कोई ध्यान नहीं है। मसलन एक दूसरे की कॉपी करके लोकप्रिय होना चाहते हैं, जिसका सीधा प्रभाव युवा पीढ़ी पर पड़ रहा है। ऐसे समय में किसी को किसी लोककला या संस्कृति से कोई सरोकार नहीं है, बस अपने मनोरंजन से मतलब रख रहे हैं, जो आने समाज और संस्कृति के लिए घातक है। हालांकि समाज और संस्कृति के हितों के लिए भी कलाकार अपनी विधाओं में कार्य कर रहे हैं, लेकिन ज्यादातर आज यूट्यूब, इंस्टाग्राम जैसी सोशल मीडिया का सहारा ले रहे है यानी आज के युग में बढ़ते बाजारीकरण की दौड़ में शामिल है। यही कारण है कि खासतौर से युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं, जिसका समाज पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
20Jan-2025