केंद्रीय मंत्री के खिलाफ समाजवादी पार्टी ने मौजूदा विधायक पर खेला दांव
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में यूपी की 80 सीटों में सबसे अहम लखनऊ लोकसभा सीट के लिए पांचवे चरण में 20 मई सोमवार को मतदान होगा। भाजपा का गढ़ बन चुकी लखनऊ लोकसभा सीट भाजपा के लिए बेहद सुरक्षित सीट मानी जाती है। हालांकि भाजपा प्रत्याशी के रुप में हैट्रिक बनाने के लिए एक बार फिर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को चुनौती देने के लिए इंडिया गठबंधन के संयुक्त प्रत्याशी के रुप में समाजवादी पार्टी ने लखनऊ मध्य विधानसभा सीट के मौजूदा विधायक रविदास महरोत्रा को चुनावी जंग में उतारा है। वहीं बसपा ने जातीगत समीकरण की चुनावी रणनीति के तहतत मोहम्मद सरवर मलिक को अपना प्रत्याशी बनाया है। राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो यहां भाजपा के सामने सपा और बसपा अपने सियासी अस्तित्व के लिए चुनावी मैदान में हैं। फिर भी यहां प्रमुख रुप से भाजपा और इंडी गठबंधन के बीच चुनावी मुकाबला माना जा रहा है।
उत्तर प्रदेश के हाईप्रोफाइल संसदीय क्षेत्रों में शुमार लखनऊ लोकसभा सीट नेहरु परिवार की विजया लक्ष्मी पंडित, श्योराजवती नेहरू व शीला कौल के अलावा हेमवती नंदन बहुगुणा और देश के प्रधानमंत्री रहे स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जैसे दिग्गज नेताओं की कर्मभूमि रही है। नब्बे के दशक में भाजपा की गढ़ बन चुकी इस सीट पर ज्यादातर राजनीतिक दल जातीय समीकरण साधकर अपने प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारते रहे हैं। हालांकि उत्तर प्रदेश की राजधानी के शहरी संसदीय क्षेत्र के रुप में पहचाने जाने वाली इस सीट पर पिछले दस सालों में सियासी समीकरण बदले हैं, लेकिन राजनीतिक दृष्टि से सभी राजनीतिक दल पहले की तरह ही इस बार भी अपनी नई चुनावी रणनीति के तहत चुनाव मैदान में है। 20 मई को होने वाले लोकसभा चुनाव में इस सीट पर प्रमुख दलों में भाजपा, सपा और बसपा के अलावा कुछ छोटे दलों समेत कुल दस उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, जिनमें दो निर्दलीय प्रत्याशी भी शामिल हैं।
लखनऊ लोकसभा सीट का सियासी सफर
उत्तर प्रदेश की लखनऊ लोकसभा सीट शुरुआती दौर में नेहरु परिवार का गढ़ रही लोकसभा सीट को कांग्रेस और भाजपा जैसे दलों के देखने को मिले मुकाबलों में नब्बे के दशक में भाजपा ने भगवा में बदलकर अपना सियासी किला मजबूत किया है। इस सीट पर 1952 के पहले चुनाव में पंडित जवाहरलाल नेहरु की बहन विजया लक्ष्मी पंडित जीतकर लोकसभा पहुंची थी, लेकिन तीन साल बाद ही यहां 1955 के उपचुनाव में नेहरी की रिश्तेदाय श्योराजवती नेहरु ने जीत दर्ज की। करीब डेढ़ दशक के कांग्रेस के विजय रथ को यहां 1967 में निर्दलीय प्रत्याशी आनंद नारायण मुल्ला ने तोड़ा, लेकिन 1971 के चुनाव में नेहरु परिवार से आने वाली शीला कौल ने यहां जीत दर्ज कर कांग्रेस का परचम लहराया। आपातकाल में चली कांग्रेस विरोधी लहर में 1977 के चुनाव में जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े हेमवती नंदन बहुगुणा ने जीत दर्ज की। इसके बाद फिर लगातार दो बार फिर कांग्रेस की शीला कौल ने लगातार दो जीत दर्ज की। जबकि 1989 के चुनाव में जनता दल की मांधाता सिंह ने चुनाव जीता। साल 1991 से 2004 तक इस सीट पर लगातार पांच बार अटल बिहारी वाजपेयी ने जीत दर्ज कर इसे भाजपा का गढ़ बना दिया। इसके बाद 2009 में यहां भाजपा के लालजी टंडन सांसद चुने गये, तो पिछले दो लगातार चुनाव जीतकर यूपी में मुख्यमंत्री रह चुके राजनाथ सिंह लोकसभा पहुंचे, तो तीसरी बार चुनाव मैदान में हैं।
युवा मतदाता होंगे निर्णायक
लोकसभा सीट पर कुल 21.72 लाख मतदाताओं में 18 से 19 आयुवर्ग के 47,239 नए युवा मतदाता पहली बार मतदान करेंगे। जबकि 20 से 29 आयुवर्ग के 6,55,005 समेत 18-29 आयु वर्ग के मतदाता चुनाव में निर्णायक साबित हो सकते हैं। इस सीट पर 80 साल से अधिक आयु के 60238 मतदाता है, जिनमें से 228 मतदाताओं की संख्या शतायु यानि 100 साल से अधिक है।
विस उपचुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला
लखनऊ लोकसभा सीट के साथ इसी इसके दायरे में आने वाले लखनऊ पूर्व विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए भी 20 मई को ही मतदान होगा। यह सीट भाजपा के विधायक आशुतोष टंडन के निधन के कारण खाली हुई थी। यहां चुनाव मैदान में चार प्रत्याशी हैं, जिनमें भाजपा के ओमप्रकाश और इंडी गठबंधन के संयुक्त प्रत्याशी के रुप में कांग्रेस के टिकट पर मुकेश कुमार के अलावा बसपा के आलोक कुशवाह के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। जबकि विनोद वाल्मिकि निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इस सीट पर कुल 4,64,510 मतदाता हैं।
ऐसा है जातीय समीकरण
लखनऊ लोकसभा सीट पर जहां भाजपा ने की वैश्य, कायस्थ और सिख समाज को साधने की रणनीति से चुनाव मैदान में है, तो वहीं समाजवादी पार्टी की कायस्थ और मुस्लिम वोट बैंक पर नजरें हैं। जबकि बसपा मुस्लिम, महिला और दलित समीकरण के आधार पर मुकाबले में आने का प्रयास कर रही है। एक अनुमान के अनुसार इस सीट पर 71 फीसदी हिंदू मतदाताओं में सर्वाधिक 28 फीसदी ओबीसी निर्णायक साबित हो सकते हैं। इसके बाद करीब 18 प्रतिशत राजपूत और ब्राह्मण, 18 फीसदी अनुसूचित जाति और 0.2 फीसदी अनुसूचित जनजाति के मतदाता हैं। बाकी पंजाबी, जैन, वैश्य, कायस्थ अैर अन्य जातियों के मतदाता भी मौजूद हैं। इस लोकसभा क्षेत्र में 26.36 प्रतिशत मुस्लिम आबादी में करीब 18 फीसदी मुस्लिम मतदाता पंजीकृत हैं।
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लखनऊ सीट पर मतदाताओं का चक्रव्यूह
कुल मतदाता-21,72,171
पुरुष मतदाता-11,48,119
महिला मतदाता-10,23,960
थर्डजेंडर-92
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पांच विधानसभा सीटों मतदाताओं की स्थिति वार मतदाता
विधान सभा पुरुष महिला थर्डजेंडर कुल मतदाता
लखनऊ पश्चिम- 2,50,268 2,20,527 33 4,70,828
लखनऊ उत्तर- 2,61,150 2,29,524 23 4,90,697
लखनऊ पूर्व- 2,42,937 2,21,558 15 4,64,510
लखनऊ मध्य- 1,97,039 1,77,966 9 3,75,014
लखनऊ कैंट- 1,96,725 1,74,385 12 3,71,122
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कुल 11,48,119 10,23,960 92 21,72,171
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