मंगलवार, 14 मई 2024

हॉट सीट हैदराबाद: दिलचस्प चुनावी जंग में ओवैसी का सियासी किला दरकाने में जुटी भाजपा

कांग्रेस और बीआरएस ने भी एआईएमआईएम की राह में बिछाए कांटे 
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में तेलंगाना की हैदराबाद लोकसभा सीट इतनी महत्वपूर्ण है कि इस पर सबकी नजरे लगी है। जबकि दक्षिण भारत में अपनी पार्टी का विस्तार करने के लक्ष्य में भाजपा का हैदराबाद लोकसभा सीट पर विशेष फोकस है, जहां दो दशक से ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन यानी एआईएमआईएम यानी ओवैसी खानदान काबिज है। इस सीट पर लगातार चार जीत हासिल करने वाले एआईएमआईएम प्रमुख असदुदीन ओवैसी पांचवीं बार लोकसभा पहुंचने की तैयारी में है, लेकिन इस बार यहां भाजपा, कांग्रेस और बीआरस ने घेराबंदी करके उनके सामने कड़ी चुनौती पेश कर दी है। भाजपा इस सीट पर अब तक एक भी बार जीत का स्वाद नहीं चख सकी है, लेकिन इस बार भाजपा ने महिला प्रत्याशी के रुप में फायर ब्रांड एवं प्रसिद्ध नृत्यांगना माधवी लता को पर बड़ा दांव खेला है। वहीं विपक्षी गठबंधन में कांग्रेस ने अपना मुस्लिम प्रत्याशी उतारकर ओवैसी के सामने कांटे बिखेर दिये हैं। जबकि तेलंगाना की तेलंगाना के प्रमुख दल बीआरएस ने भी यहां मजबूत प्रत्याशी उतारकर लोकसभा के चुनावी मुकाबले को चतुष्कोणीय समीकरण में धकेल दिया है। मसलन इस बार ओवैसी खानदान का सियासी गढ़ दरकता नजर आ रहा है, हालांकि यह तो चुनावी नतीजों से ही तय होगा कि यहां का सियासी ऊंट किस करवट बैठेगा? 
तेलंगाना के 17 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक हैदराबाद सीट पर 13 मई सोमवार को चुनाव होगा, इस महत्वपूर्ण सीट के दायरे में सात विधानसभा क्षेत्र मलकपेट, कारवां, गोशामहल, चारमीनार, चंद्रयानगुट्टा, याकूतपुरा और बहादुरपुरा सहित सात विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। इनमें गोशामहल विधानसभा सीट पर ही भाजपा का विधायक है, जबकि बाकी छह सीटो पर एआईएमआईएम के निर्वाचित विधायक हैं। इसके बावजूद लोकसभा चुनाव में एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी को चुनौती देने के लिए जहां भारतीय जनता पार्टी ने हैदराबाद में विरिंची अस्पताल की प्रमुख एवं भारतनाट्यम की प्रसिद्ध नृत्यांगना माधवी लता को चुनावी जंग में उतारा है, तो वहीं कांग्रेस पार्टी के मोहम्मद वलीउल्लाह समीर और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के गद्दाम श्रीनिवास यादव भी ओवैसी को चौतरफा घेरते नजर आ रहे हैं। माना जा रहा है कि हैदराबाद सीट पर 60 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता होने के बावजूद ओवैसी के सामने इस बार कड़ी चुनौती पेश आ रही है, इसका कारण भी साफ है कि तेलंगाना में एआईएमआईएम से दोस्ती का बखान करने वाली कांग्रेस ने मुस्लिम प्रत्याशी उतारकर मुस्लिम मतों में विभाजन के हालात पैदा कर दिये, जिसका लाभ सीधे भाजपा को मिलने की उम्मीद है। 
सांसद चुनेंगे 2,217,094 वोटर 
तेलंगाना की हैदराबाद लोकसभा सीट के लिए 13 मई को होने वाले चुनाव में एआईएमआई,भाजपा, कांग्रेस, बीआरएस, बसपा और अन्य दलों समेत कुल 30 प्रत्याशी चुनावी जंग में कूदे हुए हैं। इन प्रत्याशियों के सामने 2,217,094 मतदाताओं का चक्रव्यूह बना हुआ है, जिसमें 1,125,310 पुरुष, 1,091,587 महिला और 107 ट्रांसजेंडर मतदाता शामिल हैं। इस सीट पर चुनाव आयोग ने 129 से अधिक दिव्यांगो ओर 85 वर्ष से अधिक आयु के मतदाताओं के वोटिंग उनके घर जाकर कराने की प्रक्रिया पूरी कर ली है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान हैदराबाद लोकसभा सीट पर 10,12,522 पुरुष और 9,45,277 महिला तथा 132 मतदाता समेत 19,57,931 मतदाता थे। 
इन दिग्गजों के बीच चुनावी जंग 
तेलंगाना की हैदराबाद सीट पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी ने भारतनाट्यम की सुप्रसिद्ध नृत्यांगना कोम्पेला माधवी लता, कांग्रेस ने पार्टी के जिलाध्यक्ष मोहम्मद वलीउल्लाह समीर और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने शिक्षाविद् गद्दाम श्रीनिवास यादव को अपना उम्मीदवार बनाया हैं। इस सीट पर एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी पिछले चार बार से लगातार सांसद हैं और उससे पहले छह बार उनके पिता सुलतान सलाउद्दीन ओवैसी का हैदराबाद सीट पर लगातार कब्जा रहा है, जिनके बाद यहां उनकी विरासत को बेटे ओवैसी संजोते आ रहे हैं। हालांकि इस सीट पर एआईएमईपी की नौहेरा शेख, बसपा के केएस कृष्णा समेत 30 प्रत्याशी चुनावी जंग में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। 
हैदराबाद सीट का सियासी सफर 
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भाजपा के डॉ. भगवंत राव को 2,82,186 मतों के अंतर से हराकर लगातार चौथी बार लोकसभा में दस्तक दी थी। जबकि यहां सत्तारूढ रही बीआरएस के प्रत्याशी पुस्ते श्रीकांत तीसरे पायदान पर रहे। मौजूदा सांसद असदुद्दीन ओवैसी इस सीट से इससे पहले 2014, 2009 और 2004 का चुनाव भी जीत चुके हैं। इससे पहले उनके पिता सुल्तान सलाहुद्दीन ओवैसी इस सीट पर 1984 से लगातार छह बार सांसद रहे हैं। यानी हैदराबाद सीट पिछले चार दशक औवेसी परिवार की पारंपरिक सीट के रुप में पहचानी जाने लगी। हैदराबाद लोकसभा सीट पहले 1952 से 1967 तक लगातार चार बार कांग्रेस के कब्जे में रही, जहां 1971 में तेलंगाना प्रजा समिति के केएस नारायण ने चुनाव जीतकर कांग्रेस को रोका था, लेकिन उसके बाद वे अगले दो चुनाव कांग्रेस प्रत्याशी के रुप में जीतकर लोकसभा पहुंचे। इसके बाद 1984 में स्वतंत्र प्रत्याशी के रुप में सुल्तान सलाहुद्दीन ओवैसी ने जीत हासिल करके सबको चौंका दिया और फिर उन्होंने राजनीतिक दल ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) बनाकर यहां अपना सियासी किला बनाना शुरु कर दिया, जिनके बाद इस विरासत को उनके पुत्र असुदद्दीन ओवैसी अभी तक संभालते आ रहे हैं। 
ये जातीय समीकरण 
तेलंगाना में वैसे तो 85 फीसदी से ज्यादा हिंदू धर्म है, जिसमें सबसे ज्यादा ओबीसी वर्ग की जातियां निवास करनी हैं। जहां तक हैदराबाद लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण का सवाल है उसमें हैदराबाद लोकसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा 65 प्रतिशत अल्पसंख्यकों में अकेले हैदराबाद शहर में 64.93 मुस्लिम, 2.75 प्रतिशत ईसाई, 0.29 प्रतिशत जैन, 0.25 प्रतिशत सिक्खत तथा 0.04 प्रतिशत बौद्ध धर्म की आबादी है। बाकी हिंदू धर्म की आबादी है, जिसमें सबसे ज्यादा ओबीसी के अलावा करीब 17 प्रतिशत एससी व एसटी भी शामिल है। 
13May-2024

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