भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी के खिलाफ कांग्रेस ने सोनिया के प्रतिनिधि किशोरी लाल पर खेला दांव
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में रायबरेली की तरह ही अमेठी लोकसभा सीट भी नेहरु-गांधी परिवार का गढ़ रहा है, लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव में पहली बार इस परिवार का कोई भी सदस्य चुनाव मैदान में नहीं है। इस सीट पर पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी मात देकर कांग्रेस का तिलिस्म तोड़ा था। शायद की बदलते सियासी समीकरण को भांपते हुए गांधी परिवार के राहुल गांधी ने अमेठी की रणभूमि को छोड़ केरल की वायनाड को अपना सियासी रण का मैदान बना लिया है। गांधी परिवार के राहुल गांधी वायनाड के साथ इस बार यूपी में अमेठी के बजाए रायबरेली में अपनी मां सोनिया गांधी की जगह चुनावी जंग में ताल ठोक रहे हैं और अमेठी सीट पर सोनिया गांधी के लोकसभा क्षेत्र के प्रतिनिधि किशोरीलाल शर्मा को भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी को चुनौती देने के लिए मैदान में उतारा है। इस बार भी अमेठी के लोकसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच ही सीधा मुकाबला होने की संभावना है, लेकिन बसपा इस चुनावी जंग को त्रिकोणीय बनाने के प्रयास में जुटी है।
यूपी के लोकसभा क्षेत्रों में अमेठी लोकसभा क्षेत्र भी कांग्रेस का गढ़ रहा है, जिसे नेहरू-गांधी परिवार की राजनैतिक कर्मभूमि के रुप में पहचाना गया है। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु के नाती संजय गांधी व राजीव गांधी के अलावा राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी और पुत्र राहुल गांधी ने चुनाव जीतकर लोकसभा में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है। राजनीतिज्ञों की माने तो अमेठी में कांग्रेस प्रत्याशी किशोरी लाल के चेहरे पर गांधी परिवार की ही प्रतिष्ठा दांव पर होगी, भले ही उनके परिवार का सदस्य चुनाव से बाहर हो। भाजपा ने एक बार फिर यहां से मौजूदा सांसद और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को प्रत्याशी बनाकर जीत के सिलसिले आगे बढ़ाने का लक्ष्य तय किया है। पिछले दस साल में विकास और जनकल्याण की योजनाओं के जरिए बदली अमेठी की तस्वीर लेकर भाजपा इस चुनावी समर में जनता के बीच में है। वहीं इस लोकसभा क्षेत्र का 14 बार प्रतिनिधित्व कर चुकी कांग्रेस भी नई रणनीति के भाजपा को कड़ी चुनौती देने की तैयारी में हैं। भाजपा और कांग्रेस के बीच होने वाली प्रमुख चुनावी जंग के बीच बसपा ने भी यहां जातीय समीकरण साधते हुए नन्हे सिंह चौहान को अपना प्रत्याशी बनाया है। इस सीट पर कुल 13 प्रत्याशी चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, जिनमें पांच निर्दलीय प्रत्याशी भी शामिल हैं।
अमेठी में मतदाताओं का चक्रव्यूह
यूपी की अमेठी लोकसभा सीट पर 20 मई को चौथे चरण में होने वाले चुनाव में 13 प्रत्याशियों को 17,89,822 मतदाताओं के चक्रव्यूह भेदने की दरकार होगी। इसमें 9,38,533 पुरुष, 8,51,189 महिला और 100 थर्डजेंडर मतदाता शामिल हैं। इस सीट पर 2606 सर्विस मतदाता और 18-19 साल के 23789 नए युवा मतदाता शामिल हैं। ये युवा मतदाता पहली बार मतदान में हिस्सा लेंगे। इस लोकसभा सीट के दायरे में पांच विधानसभा सीटे शामिल हैं, जिनमें तिलोई में 3,46,609, जगदीशपुर(सु) में 3,80,543, गौरीगंज में 3,53,020, अमेठी में 3,48,144 और रायबरेली जिले की सलोन(सु) सीट पर 3,61,506 मतदाता वोटिंग के लिए पंजीकृत हैं। अमेठी लोकसभा सीट पर 1125 मतदान केंद्रों के 1923 बूथों पर वोटिंग कराई जाएगी। अमेठी लोकसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 17,96,098 है।
क्या है चुनावी इतिहास
यूपी में रायबरेली की तरह ही अमेठी लोकसभा भी कांग्रेस, खासतौर से गांधी परिवार का सियासी गढ़ बन चुका था। साल 1967 में अस्तित्व में आई अमेठी लोकसभा सीट पर पहले दो चुनाव कांग्रेस के विद्याधर वाजपेयी पहले दो चुनाव जीते, लेकिन 1977 में यहां जनता पार्टी के रविन्द्र प्रताप सिंह ने जीत हासिल की। लेकिन इसके बाद 1980 के चुनाव में फिर कांग्रेस ने वापसी की और इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी यहां से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे, लेकिन उनका हवाई हादसे में निधन के बाद यहां 1981 में उप चुनाव में पहली बार उनके बड़े भाई राजीव गांधी ने सियासी पारी की शुरुआत की और पहली बार सांसद बने। राजीव गांधी इस सीट से लगातार चार बार निर्वाचित हुए और मां इंदिरागांधी की हत्या के बाद 1984 में प्रधानमंत्री बने। लेकिन 1991 को भी उनकी लिट्टे उग्रवादियों ने विस्फोट करके हत्या कर डाली, जिसके कारण इसी सीट पर फिर उप चुनाव हुए, जिसकें कांग्रेस के सतीश शर्मा जीते और उन्होंने 1996 का दूसरी बार भी चुनाव जीता। कांग्रेस के इस विजय रथ को 1998 के चुनाव में भाजपा के संजय सिंह ने जीत दर्ज करके रोका, लेकिन 1999 में राजनीति में कूदी सोनिया गांधी ने यहां चुनाव जीतकर फिर कांग्रेस की वापसी कराई। इसके बाद सोनिया गांधी ने अपना चुनावी क्षेत्र रायबरेली बनाया और यहां बेटे राहुल गांधी को चुनाव जीताकर सियासत में प्रवेश कराया। इसके बाद राहुल गांधी इस सीट से लगातार लगातार चार बार सांसद बने। लेकिन साल 2019 के चुनाव में इस सीट से भाजपा की स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को हराकर कांग्रेस का तिलिस्म तोड़कर 2014 में हार का बदला चुकता किया। इसके बाद राहुल गांधी ने अपना रणक्षेत्र बदल दिया। कांग्रेस ने इस बार सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र में प्रतिनिधि और चुनाव प्रबंधन के प्रभारी रह चुके किशोरी लाल शर्मा को टिकट दिया गया है।
क्या है जातीय समीकरण
अमेठी लोकसभा सीट के जातिगत समीकरणों पर गौर की जाए, तो यहां ओबीसी, दलित और मुस्लिम मतदाता अहम हैं। इस सीट पर सबसे अधिक 34 फीसदी ओबीसी वर्ग के मतदाता हैं। इसके बाद दलित मतदाताओं की संख्या करीब 26 फीसदी है। जबकि करीब 8 फीसदी ब्राह्मण, करीब 12 फीसदी राजपूत के अलावा यहां मुस्लिम 20 फीसदी करीब 3.5 लाख मतदाता हैं। जनसंख्या के लिहाज से अमेठी जिले की अनुमानित 23,42, 493 है। जबकि लोकसभा क्षेत्र अमेठी में शामिल रायबरेली जिले की सलोन विधानसभा क्षेत्र की जनसंख्या 6,03,970 है। इस प्रकार अमेठी लोकसभा की अनुमानित जनसंख्या 29,46,463 है। 2011 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक अमेठी की 72.16 फीसदी जनसंख्या साक्षर है। इनमें पुरुष 83.85 फीसदी और महिलाओं की साक्षरता दर 60.64 फीसदी है।
17May-2024
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