जातीगत समीकरण साधने के इरादे से त्रिकोणीय चुनाव मुकाबले के आसार
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
उत्तर प्रदेश में ताजनगरी के नाम से सुविख्यात आगरा लोकसभा सीट पर तीसरे चरण में सात मई को होने वाले मतदान के लिए राजनीतिक दल जोड़तोड़ की सियासत के साथ चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं। हालांकि इस सीट पर पिछले एक दशक से भाजपा का कब्जा है, लेकिन विपक्षी गठबंधन से समाजवादी पार्टी और अकेले दम पर चुनाव मैदान में उतरी बहुजन समाज पार्टी जातीय समीकरण साधकर चुनावी मुकाबले में है। इसलिए इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता।
आगरा लोकसभा सीट पर आगामी सात मई को होने वाले चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों के साथ यहां के लोगों में भी बेहद उत्साह का वातावरण है। कभी कांग्रेस का गढ़ बनी इस सीट पर सियासी समीकरणों ने समय समय पर ऐसी करवट ली है, कि कांग्रेस को इस सीट पर जीत के लिए तरसना पड़ रहा है। इस बार कांग्रेसनीत गठबंधन इंडिया की तरफ से इस सीट पर समाजवादी पार्टी का प्रत्याशी चुनाव मैदान में है। जबकि बसपा अपने अकेले दम पर चुनाव मैदान में है। यहां के सियासी समीकरणों में जातीय आधारित रणनीति बनाने में राजनीतिक दल ज्यादा विश्वास रखते हैं, जो वाजिब इसलिए भी है कि कुछ समुदाय ऐसे हैं जिन्हें कोई दल या प्रत्याशी भा गया तो उसकी जीत सुनिश्चत है। भाजपा ने मौजूदा सांसद प्रो. बघेल को इसलिए भी एक बार फिर प्रत्याशी बनाया है कि वह केंद्र में मंत्री होने के बावजूद आगरा लोकसभा क्षेत्र में सक्रीय रहा है। भाजपा को टक्कर देने के इरादे से सपा व बसपा ने मुस्लिम व दलित वोट बैंक को आकर्षित करने की चुनावी रणनीति से अपने अभियान को अंजाम दिया है। इसलिए इस सीट पर प्रमुख रुप से चुनावी जंग भाजपा, सपा व बसपा प्रत्याशियों के बीच मानी जा रही है, जहां भाजपा जीत की हैट्रिक बनाने के इरादे से चुनाव मैदान में है। हालांकि छोटे दलो व निर्दलीय समेत यहां 11 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
पहली बार मतदान करेंगे 21 हजार युवा
लोकसभा चुनाव में आगरा में कुल मतदाताओं की संख्या 20,46,772 है। इनमें 11,64,714 पुरुष, 8,81,961 महिला तथा 97 ट्रांसजेंडर मतदाता हैं। इस सीट पर 18 से 19 वर्ष आयु वर्ग के 21,343 युवा मतदाता पहली बार मतदान करेंगे। वहीं इस सीट पर 7,193 दिव्यांग मतदाताओं के अलावा 357 मतदाता ऐसे बुजुर्ग हैं, जिनकी आयु सौ साल से ज्यादा है। आगरा लोकसभा सीट पर 550 मतदान केंद्र और 1760 मतदेय स्थल हैं, जिनमें जलेसर विधासभा क्षेत्र के 124 मतदान केंद्र व 365 मतदान स्थाल(बूथ) भी शामिल हैं। इस सीट के 424 मतदेय स्थल संवेदनशील श्रेणी में रखा गया है। आगरा में 18 जोनल और 128 सेक्टर मजिस्ट्रेट तैनात किए जा रहे हैं।
जातिगत समीकरण पर नजर
यूपी आगरा लोकसभा सीट पर चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशियों की नजर जातिगत समीकरण पर भी है, जहां सपा और बसपा ने उसी आधार पर अपने प्रत्याशियों को प्रत्याशी बनाकर भाजपा प्रत्याशी का मुकाबला करने के लिए चुनावी रणनीति बनाई है। जहां तक इस सीट पर जातिगत समीकरण का सवाल है उसमें इस सीट पर वैश्य और दलित मतदाताओं का वर्चस्व रहा है, जिनकी किसी भी दल की हार जीत में निर्णायक भूमिका रही है। इस सीट पर वैश्य मतदाओं की संख्या करीब 3.15 लाख है, तो दलित मतदाताओं की संख्या 2.70 लाख के करीब है। हालांकि यहा मुस्लिम मतदाताओं की भी सियासत में अच्छी पैठ है। यदि दलित और करीब ढाई लाख मुस्लिम मतदाताओं यानि 37 फिसदी वोट किसी भी दल की हार जीत को प्रभावित करने में सक्षम माने जाते रहे हैं। यदि धार्मिक आधार पर आकलन करें तो यहां 80.69 फीसदी हिंदू और 15.37 फिसदी मुस्लिम और 1.04 फीसदी जैन समुदाय की आबादी है। जबकि बाकी सिख, ईसाई और बौद्ध धर्म के लोग इस संसदीय क्षेत्र में बसे हैं।
लोकसभा सीट का सियासी इतिहास
आगरा लोकसभा सीट पर अब तक हुए 17 लोसभा चुनाव में सात बार कांग्रेस काबिज रही है और खासबात ये है कि सातों पर यहां एक ही परिवार के बाप-बेटा कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा पहुंचे है, लेकिन पिछले चार दशक से कांग्रेस को इस सीट पर जीत का स्वाद नहीं मिल पा रहा है। लोकसभा चुनाव के इतिहास में पहले पांच चुनाव में यहां सेठ अचल सिंह ने अपना परचम लहराया है, जिसके बाद 1977 में जनता पार्टी की लहर में कांग्रेस हार गई। लेकिन इसके बाद 1980 और 1984 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर अचल सिंह के सुपुत्र निहाल सिंह निर्वाचित होकर लोकसभा पहुंचे हैं। साल 1989 के चुनाव में भाजपा समर्थित जनता दल ने जीत दर्ज की, तो उसके बाद लगातार 1991, 1996 व 1998 के तीन चुनाव में हैट्रिक के साथ भगवान शंकर रावत ने भाजपा का परचम लहराया। इसके बाद 1999 के चुनाव में सपा के टिकट पर बॉलीवुड अभिनेता राजबब्बर ने यहां जीत दर्ज की, लेकिन उसके बाद इस सीट पर भाजपा लगातार तीन बार से चुनाव जीतकर इसे अपना गढ़ बना चुकी है। इस बार भाजपा इसलिए भी आश्वस्त है कि आगरा लोकसभा के अंतर्गत पांच विधानसभाएं आती है, जिसमें आगरा जिले की आगरा कैंट, आगरा उत्तर, आगरा दक्षिण और एत्मादपुर तथा एटा जिले की जलेसर विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। सभी विधानसभा सीटों पर भाजपा काबिज है।
कौन हैं भाजपा, सपा व बसपा प्रत्याशी
यूपी की आगरा लोकसभा सीट पर भाजपा ने इस सीट के मौजूदा सांसद और मोदी सरकार में केंद्रीय न्याय एवं विधि राज्यमंत्री प्रोफेसर सत्यपाल सिंह बघेल पर एक बार फिर भरोसा जताया है। बघेल सब इंस्पेक्टर से महाविद्यालय में प्रोफेसर बने, जिन्होंने सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने राजनीति में दाखिला दिलाया। प्रो. बघेल सपा से 1998 से 2004 तक जलेसर से सांसद निर्वाचित हुए। सपा को अलविदा कहकर वे बसपा में आए और राज्यसभा सदस्य बने। फिर वे भाजपा में आकर टूंडला से विधायक चुने गये और योगी सरकार में मंत्री रहे। भाजपा ने उन्हें पिछला लोकसभा चुनाव आगरा से लड़ाकर जिताया और केंद्र में मंत्री बन गये। भाजपा प्रत्याशी को चुनौती देने के लिए इस सीट पर उतरे सपा प्रत्याशी सुरेश चंद्र कर्दम जूता विक्रेता और बसपा के पूर्व कार्यकर्ता हैं। वे इससे पहले साल 2000 में आगरा से बसपा के लिए मेयर पद का नामांकन लड़ चुके हैं। जबकि बसपा प्रत्याशी पूजा अमरोही कांग्रेस दिग्गज नेता सत्या बहन की बेटी हैं और अपनी मां के साथ राजनीति में सक्रीय रही हैं।
आगरा लोस सीट पर विधानसभा वार मतदाता(2024)
विस पुरुष महिला थर्डजेंडर कुल
एत्मादपुर- 2,33,310, 1,9,1589 20 424919
आगरा कैंट- 2,39,104 196987 21 436112
आगरा दक्षिण- 1,93,235 1,60,924 22 354181
आगरा उत्तर- 2,18,624 1,81,714 21 4,00,359
जलेसर (एटा)- 280441 150747 13 2,96,678
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कुल 1,64,714 8,81,961 97 20,46,772
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02May-2024
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