हरियाणवी फिल्म ‘दादा लखमी’ से अभिनेता के रुप में मिली पहचान
व्यक्तिगत परिचय
नाम: हितेश शर्मा
जन्म तिथि: 19/11/1989
जन्म स्थान: फ़रीदाबाद (हरियाणा)
शिक्षा: ग्रेजुएट, एक्टिंग कोर्स डिप्लोमा
संप्रत्ति: अभिनय, लोक कलाकार
संपर्क: मोबा. 9076251115, ईमेल: Hiteshssharma119@gmail.com
BY-ओ.पी. पाल
हरियाणवी संस्कृति, सभ्यता, भाषा, रिति-रिवाज और तमाम सामाजिक तानाबाना समायोजित करने की दिशा में लोक कलाकारों ने अपनी अलग विधाओं में हरियाणा को नई पहचान दी है। इसमें हरियाणा के सूर्य कवि ‘पंडित लखमी चंद’ के जीवन पर आधारित फिल्म ‘दादा लखमी’ जहां हरियाणवी सिनेमा को जीवंत करने का सबब बनी, वहीं इस फिल्म ने कई कलाकारों को उनकी मंजिल दी है। ऐसे ही कलाकारों में दादा लखमी के युवा रुप का किरदार निभाने वाले कलाकार हितेश शर्मा रहे हैं, जिन्होंने अपने दमदार अभिनय से एक अभिनेता के रुप में लोकप्रियता हासिल की है। अपने अभिनय की कला के सफर को लेकर अभिनेता हितेश शर्मा ने हरिभूमि संवाददाता से हुई बातचीत के दौरान कई ऐसे अनछुए पहलुओं को उजागर किया है, जिनमें समाज को सकारात्मक विचाराधारा का संदेश देने में लोक कला या फिल्मों का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। उनका मानना है कि कलाकारों को अपनी संस्कृति को संजोएं रखने की दिशा में अपनी कला में ऐसा किरदार करना चाहिए, जिसमें समाजिक कल्याण निहीत हो।
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हरियाणवी फिल्म दादा लखमी में में पंडित लखमी चंद का अभिनय करने वाले हितेश शर्मा का जन्म 19 नवंबर 1989 को फरीदाबाद के सिकरोना गांव में सुखराम शर्मा व श्रीमती कुसुम शर्मा के घर में हुआ। उनके मध्यवर्गीय परिवार में पिता शिक्षा विभाग में सरकारी नौकरी करते थे और माता घर संभालती रही। हितेश तीन भाई बहनों में सबसे छोटे हैं। उनके परिवार में साहित्य या किसी कला या संस्कृति का कोई माहौल नहीं था, लेकिन उन्हें बचपन से ही अभिनय के क्षेत्र में रुचि रही, इसके लिए उनके परिवार ने उन्हें प्रोत्साहित करते हुए पूरा सहयोग दिया, जिसकी बदौलत आज वह अभिनय के क्षेत्र में लोकप्रिय कलाकार हैं। बकौल हितेश शर्मा जब व पांच साल के थे तो उनका परिवार दिल्ली आ गया और उनकी शिक्षा दीक्षा दिल्ली में हुई है। स्नातक तक की शिक्षा ग्रहण करने वाले हितेश शर्मा ने सात साल की उम्र में ही रामलीला में भगवान राम व सीता माता और हनुमान के किरदार ने उसे बहुत प्रभावित किया और वह घर आकर उनकी तरह नाचने के साथ उछल कूद करके डॉयलाग दोहराते थे। इसी अभिरुचि के चलते बचपन में ही उन्होंने एक अभिनेता बनने का लक्ष्य तय कर लिया था। यही कारण रहा कि उन्होंने आसपास के स्कूलों में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में रंगमंच पर नाटकों में हिस्सा लेना शुरु कर दिया। स्नातक की शिक्षा पूरी होते ही उन्होंने साल 2010 में मारवाह स्टूडियों एशिएन एकेडमी और नोएडा के फिल्म टेलीविजन एएएफटी नामक संस्थान में एक साल का अभिनय(एक्टिंग) का कोर्स किया। इसी दौरान उनकी मुलाक़ात उनके गुरु श्रीरामजी बाली, आदिल राणा और सतीश आनंद हुई और उ नके साथ थिएटर करना शुरू कर दिया। वहीं उन्होंने गुरु मां रीना शुक्ला से गाना सीखना शुरू किया, जिससे अभिनय करने में ज्यादा मदद मिलने लगी। लेकिन सिनेमा तक आने में समय लगा और उन्हें 2017 सबसे पहले क्राइम पैट्रॉल में एक डायलॉग करने को मिला। इसके बाद साल 2018 में उन्हें ज़िंदगी का ऐसा मौका मिला, जिसने उसे रातोरात टीवी का चमकता सितारा बना दिया। मसलन सोनी टीवी का शो ‘ये उन दिनों की बात है’। फिर एक स्टूडियों के मालिक रविन्द्र राजावत ने उनकी मुलाकात साल 2019 में फिल्म निर्देशक यशपाल शर्मा से कराई, जो फिल्म दादा लखमी बनाने जा रहे थे। उन्होंने इस फिल्म में काम करने की उत्सुकता दिखाई और क़रीब 8 महीने तक उन्होंने निर्देशक को अपनी प्रोफाइल के साथ्ज्ञ अपना डांस और अभिनय के वीडियो बनाकर भेजता रहा, लेकिन कोई ख़ास रिस्पांस नहीं था। फिर भी वह लगे रहे और बामुश्किल महीनों बाद उन्होंने मुझे फिल्म दादा लखमी का हिस्सा बनाया। असल में यही से उनका फिल्म में अभिनय करने पहला मौका मिला और वह अपने किरदार से एक अभिनेता के रुप में जगह बनाने में कामयाब रहा। इसी फिल्म में अभिनय के बाद उनकी एक्टिंग में बेहतर सुधार भी आया। हालांकि परिजनो, पडोसियों व रिश्तेदारों ने मजाक भी बनाया, लेकिन वह अपनी मंजिल की तरफ बढ़ता रहा। यह वास्तविकता भी है कि फिल्म स्टार बनने के लिए संघर्ष कम नहीं है, जो मुंबई में रहते हुए पैसों की तंगी के साथ कई संघर्ष को झेला भी है। मसलन जहां भी कोई बता देता वहीं ऑडिशन पर ऑडिशन दिये। लेकिन उनके ऊपर तो अभिनेता बनने का भूत सवार था, इसलिए कोई परवाह किये बिना अपने आत्मविश्वास के साथ वह अपनी मंजिल की ओर बढ़ते चले गये। इसी संघर्ष का नतीजा है कि वह आज एक अभिनेता के रुप में पहचाने जाते हैं।
यहां से मिली मंजिल
हरियाणा के सूर्यकवि पंडित लखमी चंद के जीवन पर यशपाल शर्मा द्वारा निर्देशिक फिल्म ‘दादा लखमी’ में हितेश शर्मा ने दादा लखमी के युवा रुप का अभिनय किया है। जिसमें बाल रुप में योगेश वत्स और बड़े रुप में खुद यशपाल शर्मा ने किरदार निभाया। हिरयाणा की यह ऐसी फिल्म रही, जिसे सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार के साथ 103 पुरस्कार मिल चुके हैं। उन्होंने हरियाणवी वेब सीरीज अग्निवीर और बीवी मायके कब जाएगी में भी अभिनेता के रुप में शानदार किरदार निभाया है। वहीं दर्शकों के सामने जल्द आने वाली 1857 ए हिडन स्टोरी में हितेश ने तात्या टोपे की भूमिका निभाई है। इसके अलावा एमएमबीडी, लघु फिल्म इप्सा, 48 कोस-2 में भी अपनी कला का प्रदर्शन किया है। फिल्म अभिनेता हितेश शर्मा को दादा लखमी के अभिनय के लिए दो पुरस्कार, इप्सा के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिलने वाला था, लेकिन एक मत से रह गया और दक्षिण के सुपर स्टार सूर्य को यह पुरस्कार मिला।
आधुनिक युग में बदलाव की जरुरत
अभिनेता हितेश शर्मा का कहना है कि उनका सिर्फ ऐसी फिल्मों में काम करने पर फोकस रहा है, जिसमें समाज कल्याण या संस्कृति को बढ़ावा मिलता हो। इसलिए उन्होंने पिछले तीन साल में अच्छी रकम की ऑफर के बावजूद पांच फिल्में छोड़ी है, जिनमें काम करने से समाज में गलत संदेश जाना तय था। आज के इस आधुनिक और सोशल मीडिया के युग में ज्यादातर फिल्में फूहड़पना परोस रहे हैं, जिसके कारण समाज व संस्कृति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है और खासकर युवा पीढ़ी का भविष्य अंधकारमय हो रहा है। इसलिए उन्हें लगता है कि सिनेमा में बदलाव होना चाहिए और फिल्म निर्देशकों व कलाकारों को जल्द लोकप्रियता पाने और धन कमाने के बजाए अच्छे कंटेट पर ध्यान देकर खासतौर से युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति के प्रति प्रेरित करने के लिए ऐसी फिल्मों का निर्माण करने की आवश्यकता है, ताकि दूषित होते समाज में सकारात्मक संदेश से सामाजिक विसंगतियों को समाप्त किया जा सके। ऐसा भी नहीं है कि बॉलीवुड ने ऐसी हज़ारो अच्छी फ़िल्में दी है, जिसमें कंटेट सामाजिक जिम्मेदारी रही है।
09Dec-2024
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