प्रदेश की 629 गौशालाओं में करीब पांच लाख गौवंश को आश्रय
नई गौशालाओं के लिए सरकार दे रही है अनुदान राशि
गौवंश के साथ बढ़ रहा है दुग्ध उत्पादन व खपत
ओ.पी. पाल.रोहतक।
प्रदेश में लावारिस पशु जी का जंजाल बन रहे हैं। एक तरफ तो वो किसानों के खेत उजाड़ रहे हैं और दूसरी तरफ सड़कों पर हादसों का कारण बन रहे हैं। इस पर हैरानी की बात तो यह कि किसी अधिकारी के पास ये आंकडा तक नहीं है कि कितने लावारिस गौवंश हैं तो समस्या का समाधान कैसे होगा? सरकारी डाटा के अनुसार राज्य में गौवंश की कुल संख्या 20 लाख के पार है, जिनमें से 5 लाख गाय गौशालाओं में हैं। घरो, डेरियों और सड़कों पर कितनी गाय हैं, सवाल पूछते ही अधिकारी सड़कों पर घूम रहे गौवंश को जल्द ही जल्द ही सभी गौ अभ्यारण भेजने का दावा करते हैं। वे दावा करते हैं कि राज्य में गौशालाओं की संख्या 215 से बढ़कर 629 हो गई हैं। साल पिछले छह में वार्षिक दुग्ध उत्पादन भी 83.81 से बढ़कर 112 लाख टन दर्ज किया गया, जिसमें गाय के दूध का महज 18 फीसदी योगदान है। वहीं रोजाना प्रति व्यक्ति दुग्ध उपलब्धता भी पिछले छह साल में 877 ग्राम से बढ़कर औसतन 1.344 किलोग्राम हो गई। जल्द ही सड़कों पर घूम रहे गौवंश की समस्या का समाधान कर दिया जाएगा। कैसे और कब तक इसका जवाब किसी के पास फिलहाल तो नजर नहीं आता।
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भारत के कुल दूध उत्पादन में 5.5 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी रखने वाला हरियाणा का किसान श्वेत क्रांति की ओर बढ़ता नजर आ रहा है, जहां पिछले दो दशकों के दौरान दुग्ध उत्पादन में ढाई गुना वृद्धि हुई है। प्रदेश में 78.93 लाख दूधारु पशुओं में करीब 20 लाख गौवंश है। राज्य सरकार हरियाणा गौ सेवा आयोग के माध्यम से प्रदेश में गौवंश की नस्ल सुधार योजना चलाकर गौवंश के साथ उसके दुग्ध उत्पादन की करीब 18 प्रतिशत भागीदारी को बढ़ाने का प्रयास कर रही है। इसका असर भी नजर आ रहा है, जिसकी वजह से प्रदेश में 112 लाख टन दूध का उत्पादन दर्ज किया गया, जिसमें गाय का वार्षिक वार्षिक दुग्ध उत्पादन करीब 2207 टन है। जबकि इससे ज्यादा भैंस के दूध का उत्पादन 9474 टन है। प्रदेश में हिसार में सबसे ज्यादा 879.30 टन दुग्ध उत्पादन होता है, जबकि इसके बाद कैथल में 765.04 टन, जींद में 762.40 टन और करनाल में 756.44 टन दूध का उत्पादन हो रहा है। इसी प्रकार प्रतिव्यक्ति दुग्ध उपलब्धता में बढ़ोतरी के साथ 1.344 किलोग्राम हो गई है, जो वर्ष 2016-17 में महज 930 ग्राम थी। वैदिक परंपरा में गायों को मंदिरों का एक अभिन्न अंग मानकर माता के रूप में पूजा जाता है। इसलिए गाय सेवा और उसे आश्रय देने की दिशा में प्रदेश में बेसहारा गौवंश को आयोग में पंजीकृत 629 गौशालाओं में रखा जाता है। राज्य में सर्वाधिक 6,57,532 पशुधन वाला जिला हिसार है, लेकिन सर्वाधिक साहीवाल नस्ल की गाय सिरसा में पाई जाती है, सर्वाधिक 134 गौशालाओं में सबसे ज्यादा 54,581 गौवंश को आश्रय दिया हुआ है। प्रदेश सरकार ऐसी गौशालाओं को चारा, मशीनरी और अन्य रखरखाव के लिए प्रतिवर्ष अनुदान भी देती है।
दूध-दही की बढ़ी खपत
प्रदेश के सहकारिता मंत्रालय के अनुसार हरियाणा में फिलहाल घी की खपत 29.95 प्रतिशत, लस्सी की 48.70 प्रतिशत और दही की खपत 54.5 प्रतिशत बढ़ गई। इसे देखते हुए गांवों में दुग्ध सोसायटियों से समझौता कर सहकारी फेडरेशन को आउटलेट नेटवर्क को भी बढ़ाना पड़ रहा है। वहीं दूध की खपत भी सात फीसदी से ज्यादा बढ़ी है। वैसे भी देशभर में हरियाणा एक मात्र ऐसा राज्य है जो प्रति व्यक्ति व्यक्ति दुग्ध उत्पादन और खपत में हरियाणा पहले स्थान पर है।
कोरोबार भी बढ़ा
प्रदेश में सहकारी फेडरेशन से पिछले दो साल में सहयोगी संस्थाओं के साथ दुग्ध व्यवसाय और लाभ में भारी वृद्धि की है। वर्ष 2019-20 के 1159 करोड़ रुपये के कारोबार की तुलना में वर्ष 2021-22 में 1505 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ। अंबाला में नए उन्नत संयंत्र की स्थापना के अलावा दक्षिणी हरियाणा में आधुनिक स्तर का डेयरी संयंत्र स्थापित करने की सरकार तैयारी कर रही है।
दुग्ध उत्पादन में हिसार अव्वल
हरियाणा में गाय का वार्षिक वार्षिक दुग्ध उत्पादन 2207 टन यानी करीब है। जबकि इससे ज्यादा भैंस के दूध का उत्पादन 9474 टन है। प्रदेश में हिसार में सबसे ज्यादा 879.30 टन दुग्ध उत्पादन होता है, जबकि इसके बाद कैथल में 765.04 टन, जींद में 762.40 टन और करनाल में 756.44 टन दूध का उत्पादन हो रहा है।
नस्ल सुधार की स्कीम से हुआ फायदा
सरकार ने गायों की नस्ल सुधार और दुग्ध उत्पादन बढ़ाने की दिशा में कृत्रिम गर्भाधान के लिए शुरू की स्कीम के तहत उत्तम नस्ल के सांडो का वीर्य लेकर गाय कृत्रिम विधि बढ़ावा दिया है। इस कारण गायों में करीब 100 प्रतिशत कृत्रिम गर्भाधान तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। ऐसे सीमन के गर्भाधान से गौवंश में 85 से 90 फीसदी बछियां पैदा होंगी। मसलन इस स्कीम से रोज 56 किग्रा. दूध देने वाली एचएफ नस्ल, 21.3 किग्रा. दूध वाली गीर नस्ल और 22 किग्रा. दूध देने वाली साहीवाल नस्ल की गाय तैयार होंगी। प्रदेश में इसके लिए पशुपालन विभाग ने करीब 10 लाख पशुओं का बीमा किया गया है।
बेसहारा गौवंश को मिलेगा गौवन
हरियाणा गौ सेवा आयोग ने प्रदेश के शहरों की सड़कों पर घूमने वाली बेसहारा गायों के लिए गोवन बनाने का निर्णय लिया गया है। गौ सेवाआयोग का दावा है कि जल्द ही शहर की सड़कों पर कोई भी गोवंश घूमता हुआ दिखाई नहीं देगा। इस बारे में उन्होंने गोशालाओं के संचालकों और जिला प्रशासन के अधिकारियों से भी फीडबैक के बाद गौवंश के लिए जल्द ही पायलट प्रोजेक्ट में रुप में पंचकूला में गौवंश अभ्यरण बनाया जा रहा है, जिसे बाद में हर जिले में लागू किया जाएगा, ताकि सड़को पर घूमने वाले बेसहारा गौवंश को आश्रय और प्राकृतक माहौल मिल सके।
गाय के गोबर से उत्पाद
आयोग के अनुसार राज्य सरकार ने गाय के गोबर से बनने वाली जैविक खाद, गमले, पेंट, धूप और अगरबत्ती के उत्पाद संयंत्र लगाए भी है। उन्होंने कहा कि गौशालाओं के खाते में सीधे पैसे डाले जा रहे हैं। पिछले एक साल में तीन किस्तों में गौशालाओं को 45 करोड़ रूपये जारी किए जा चुके हैं। वहीं प्रदेश के कृषि एवं पशुधन मंत्री जेपी दलाल ने पिछले दिनों कहा था कि पंचकूला में स्थापित गौशाला में गोबर से खाद और नैचुरल पेंट बनाने का काम भी किया गया। भारतीय गैस प्राधिकरण द्वारा गैस खरीदने के लिए विभिन्न समझौते किए गए हैं।
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वर्जन
बेसहारा गौवंश पर जल्द लगेगी लगाम
प्रदेश में मनोहर सरकार गौवंश के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए गंभीर है। वहीं हरियाणा गौ सेवा आयोग ने प्रदेश में सड़कों पर घूमने वाली बेसहारा गायों के लिए गोवन यानी गौ अभ्यारण बनाने का निर्णय लिया गया है। इस योजयना से सड़को पर घूमने वाले गौवंश पर भी लगाम लगाया जा सकेगा। हालांकि गौ सेवा आयोग प्रदेश में नई गौशालाओं के लिए अनुदान कभी दे रहा है। पिछले एक साल में तीन किस्तों में गौशालाओं को 45 करोड़ रूपये जारी किए जा चुके हैं। सरकार के गौवंश के संरक्षण के लिए चलाई जा रही नीतियों का ही नतीजा है कि जहां साल 2014 में प्रदेश में 215 गौशालाएं और उनमें 1.75 लाख गौवंश था। वहीं आज प्रदेश में आयोग में पंजीकृत गौशालाओं की संख्या बढ़कर 629 हो गई है, जिसमें इस समय पांच लाख से ज्यादा गौवंश को आश्रय दिया गया है। दूसरी ओर प्रदेश में गौवंश बढ़ाने औ उसके दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने के लिए गायों के नस्ल संवर्धन के लिए एंब्रियो ट्रांसफर टैक्नोलॉजी पर काम हो रहा है। हिसार की लाला लाजपत राय यूनिवॢसटी में ऐसी ईटीटीफ आईवीएफ लैब की कुछ महीने पहले स्थापना की जा चुकी है। इसका मकसद हरियाणा में देशी गाय साहीवाल नस्ल संवर्धन के बाद ज्यादा मात्रा में दूध उत्पादन करने गौवंश की संख्या बढ़ाना है। हरियाणा गौ सेवा आयोग ने देसी नस्ल की गायों की आबादी बढ़ाने के लिए हुए अनुसंधान कार्य गायों की कोख से ज्यादा दूध उत्पन्न करने वाली बछडिय़ों को पैदा करने के लिए नस्ल सुधार योजना के तहत गाय के गर्भाधान के लिए नई तकनीक सेक्स सोर्टे सीमन के तहत भारतीय नस्ल के सांडो के सीमन का इस्तेमाल कराने पर बल दे रही है।
-श्रवण कुमार गर्ग, अध्यक्ष, हरियाणा गौ सेवा आयोग।
----टेबल
किस जिले में कितीन गौशालाओं में कितना गौ वंश
जिला गौशालाएं गौवशं
अंबाला : 11 5,765
भिवानी : 39 25,960
चरखी दादरी: 14 5,090
फरीबादाबाद : 10 4,816
फतेहाबाद : 67 38,771
गुरुग्राम : 14 19,575
हिसार : 56 51,249
झज्जर : 13 16,615
जींद : 43 31,015
कैथल : 20 25,944
करनाल : 24 17,987
कुरुक्षेत्र : 28 9,810
महेंद्रगढ़ : 20 20,880
नूंह : 10 7,294
पलवल : 15 6,358
पंचकूला : 13 5,294
पानीपत : 28 21,313
रेवाड़ी : 11 5,234
रोहतक : 11 21,597
सिरसा : 134 54,581
सोनीपत : 31 41,008
यमुनानगर : 07 2,398
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05Dec-2022
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