पिछले आठ महीनों में साइबर सेल को मिली 36,996 शिकायतें
महिलाओं व बच्चों के प्रति अपराध और प्रोर्नोग्राफी ने तोड़ी सभी हदें
ओ.पी. पाल.रोहतक।
इंटरनेट ने जिंदगी को बहुत आसान बना दिया है। पलक झपते ही काम हो जाता है। बैंक में पैसे जमा करवाने हो, बिजली-पानी का बिल भरना हो या फिर देश दुनिया के बारे में कुछ भी जानना हो, बस अपना फोन खोलो और हो गया। इस डिजिटल दुनिया का इतना सुख है तो कुछ दु:ख भी कम नहीं है। ऑनलाइन दुनिया ने नए तरह के गुनाहों को भी जन्म दिया है, जिसे साइबर अपराध का नाम दिया गया है। बैंकिंग, सोशल नेटवर्किंग, ऑनलाइन शॉपिंग, डेटा स्टोरिंग, गेमिंग, ऑनलाइन स्टडी, ऑनलाइन जॉब सब में साइबर ठगों ने पैठ बना ली है। हरियाणा में पिछले पांच साल में साइबर अपराधों के बढ़ता ग्राफ चरख-चाख कर कह रहा है कि सब ठीक ठाक नहीं है। प्रदेश के साइबर अपराध के आंकड़ों को देखें तो यौन शोषण समेत महिलाओं व बच्चों के साथ पोर्नोग्राफी जैसे साइबर अपराध के मामलों में कहीं ज्यादा उछाल सामने आया है। ऐसे अपराधों के निपटान की गति इतनी धीमी है कि 96.5 फीसदी मामले अदालतों में लंबित पड़े हुए हैं और दोषसिद्ध दर तो महज 7.5 फीसदी ही है। अगर प्रदेश में मौजूदा साल के आंकड़ों को देखा जाए, तो ऑनलाइन बैंकिंग और विभिन्न स्कीमों का लालच देकर ऑनलाइन धोखाधड़ी और ठगी की शिकायतों में हरियाणा देशभर में सबसे आगे निकल चुका है। मसलन साल 2022 के पहले आठ महीनों में ही 36,996 शिकायतें साइबर हेल्पलाइन पर दर्ज की गई, जो पिछले सालों की तुलना में 136 प्रतिशत ज्यादा हैं। इसी हालात को देखते हुए राज्य सरकार ने पुलिस के पांच हजार जवानों को साइबर अपराध से निपटने का प्रशिक्षण देने की योजना भी बनाई है।
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हरियाणा सरकार द्वारा साइबर अपराधों से निपटने के लिए राज्य में पंचकूला और गुरुग्राम में चल रहे दो साइबर पुलिस थानों के अतिरिक्त रेंज स्तर पर रोहतक, हिसार, करनाल, अंबाला, रेवाड़ी और फरीदाबाद में छह सइबर थानों की स्थापना की है। वहीं बैंक धोखाधड़ी, भुगतान गेटवे का मिसयूज, फेसबुक, ट्विटर आदि सहित साइबर संबंधी सभी शिकायतों के निपटान करने के मकसद से राज्य के हर जिले में साइबर रिस्पांस सेंटर भी कार्य कर रहे हैं। साइबर रिस्पांस सेंटर डिजिटलीकरण और तेजी से आधुनिकीकरण के कारण उभरती चुनौतियों के बढ़ते खतरों के मद्देनजर मौजूदा साइबर सेल को सुदृढ़ बनाने में मदद कर रहे है। पिछले माह एडीजीपी (अपराध शाखा) ओपी सिंह ने सभी जिला नोडल अधिकारियों (डीएसपी और एएसपी) और साइबर थाना प्रभारियों की बैठक में अध्यक्षता करते हुए बताया कि प्रदेश में इस साल अगस्त तक साइबर अपराध से जुड़ी 36,996 शिकायतें प्राप्त हुई। इनमें से 20,484 की जांच जारी है, जबकि 15,057 शिकायतों का निपटारा किया जा चुका है। इस बैठक में यह भी जानकारी सामने आई कि प्रदेश में साइबर जालसाजों को रोकने व अपराधियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई हेतु हरियाणा पुलिस की राज्य अपराध शाखा ने राष्ट्रीय साइबर अपराध प्रशिक्षण केंद्र (साइट्रेन) के पोर्टल पर साइबर अपराध जांच में पांच हजार से अधिक पुलिस कर्मियों और अधिकारियों के ऑनलाइन प्रशिक्षण देने का फैसला लिया है।
किसी को नहीं बख्श रहे अपराधी
दरअसल हरियाणा समेत देशभर में बढ़ते डिजिटल युग में साइबर साइबर अपराधी या जालसाजों ने लोगों को मोबाइल कॉल, संदेश या अन्य तौर तरीकों से उनके बैंक अंकाउंट से जमा धन चंद मिनटों में गायब कर देते है। वहीं सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए पर राजनेताओं के अलावा प्रमुख हस्तियों के फर्जी प्रोफाइल को हैक करने के मामले लगातार आ रहे हैं। यही नहीं कई ऑनलाइन स्कैमर्स लोगों से पैसे ऐंठने के लिए मशहूर हस्तियों के फर्जी अकांउट्स का उपयोग कर रहे हैं और सरकार की ऑनलाइन योजनाओं पर भी फर्जी तरीके से पंजीकरण के नाम पर धन ऐंठने में भी साइबर अपराधी पीछे नहीं हैं। यही नहीं महिलाओं, बच्चों, विशेष रूप से बाल पोर्नोग्राफी, बाल यौन शोषण सामग्री, रेप/गैंग रेप से संबंधित ऑनलाइन अश्लील सामग्री, आदि जैसे साइबर अपराध भी सिर चढ़कर बोल रहे हैं।
सिर चढ़कर बोल रहा साइबर अपराध
हरियाणा राज्य सरकार भी भारतीय साइबर अपराध से निपटने के लिए भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र के अलावा साइबर थानों की स्थापना करने में जुटी है। वहीं राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ो प्रदेश में साइबर अपराध की जड़े मजबूत होने की गवाही दे रही है। एनसीआरबी के अनुसार हरियाणा में साल 2014-21 के दौरान नौ साल में प्रदेश में 3540 साइबर अपराध के मामले दर्ज हो चुके हैं। इस दौरान गिफ्तार किये गये 2253 आरोपियों में से पुलिस ने 2064 के खिलाफ अदालत में आरोपपत्र दाखिल किये, लेकिन इन नौ साल में केवल 51 लोगों पर ही आरोप सिद्ध हो पाया है। जबकि 347 को अदालत ने आरोपमुक्त क अदालतों में जहां वर्ष 2014 में 150 मामले लंबित थे, वहीं साल 2021 में लंबित मामलों की संख्या बढ़कर 1091 हो गई है, जो कुल मामलों का 96.5 प्रतिशत है।
साइबर का शिकार महिलाएं व बच्चें
प्रदेश में महिलाओं के प्रति साइबर अपराध को लेकर एनसीआरबी के आंकड़े पर गौर करें तो पिछले पांच साल में साइबर अपराध की शिकार महिलाओं का आंकड़ा 236.7 फीसदी और बच्चों का पांच सौ प्रतिशत बढ़ा है। इस दौरान यौन शोषण के मामलों में 172 फीसदी साइबर अपराध देखा गया। पिछले पांच साल में प्रोर्नोग्राफी के 241 मामले सामने आए, जिनमें पांच साल में 1417 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया। सैक्सुअल व अश्लील प्रकाशन के भी साल 2021 में पिछले पांच साल की अपेक्षा 131 फीसदी साइबर अपराध दर्ज किये गये।
केंद्र सरकार की स्कीम
हरियाणा को केंद्र सरकार ने खासतौर से महिलाओं और बच्चों के प्रति साइबर अपराध को रोकने के लिए ‘सीसीपीडब्ल्यूसी’ स्कीम के तहत वर्ष 2017-2022 के लिए 2.76 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की है। हरियाणा पुलिस विभाग साइबर अपराध से पीड़ित महिलाओं और बच्चों के लिए इस धनराशि का इस्तेमाल कर रही है। प्रदेश सरकार प्रदेश में साइबर अपराध पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार की अन्य योजनाओं को भी प्रभावी रुप से लागू कर रही है।
धोखाधड़ी के मामलों में भी उछाल
हरियाणा में साल 2021 के दौरान धोखाधड़ी के 133 मामले दर्ज किये गये हैं, जिनमें ऑनलाइन, जालसाजी, जबरन वसूली, महिलाओं को ब्लैकमेलिंग और स्टाकिंग के मामले भी शामिल हैं। पिछले पांच साल के आंकड़े का देखा जाए तो जालसाजी के 50 फीसदी, वसूली के 225 फीसदी, ऑनालइन चिटिंग के 900 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। एटीएम से धोखाधड़ी करके निकाले गये धन के साल 2019 में 38 और 2017 में 52 मामले सामने आए थे। ऑनलाइन बैंकिंग धोखाधड़ी के महेंन्द्रगढ़ में 48 और पलवल में 25 मामले इन पांच सालों में दर्ज किये गये। इन पांच सालों में साइबर अपराध की जद में छह देश विरोधी और एक दर्जन आतंकवाद से जुड़े मामले भी दर्ज किये गये हैं।
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वर्जन
शिकायत पर साइबर टीम की त्वरित कार्रवाई: एडीजीपी
प्रदेश में साइबर अपराध को लेकर राज्य अपराध शाखा क एडीजीपी ओपी सिंह ने कहा कि हरियाणा में राज्य अपराध शाखा बतौर साइबर नोडल एजेंसी काम कर रही है। वहीं साइबर अपराधों से प्रभावी ढंग से निपटने के मकसद से ही हरियाणा में साइबर थाने, नेशनल साइबर क्राइम ट्रेनिंग सेंटर काम कर रहे हैं। 1930 नंबर पर शिकायत देते ही साइबर टीम तुरंत बैंक और भुगतान इंटरफेस से संपर्क साधती है और जिस भी खाते में अपराधी ने पैसे जमा करवाए है, उन्हें तुरंत फ्रीज करवा दिया जाता है। इसके बाद मूल खाते में रुपये वापस करवा दिए जाते हैं। इस साल जनवरी से जुलाई तक 459 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इस दौरान 7 लाख रुपये रोजाना के हिसाब से करीब 11 करोड़ रुपये लोगों के बचाए जा चुके हैं।
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टेबल
पांच साल में साइबर अपराध के मामले
वर्ष मामले कंप्यूटर सैक्सुअल अश्लील यौन महिला बच्चा पोर्नो आईटी धोखाधड़ी देशविरोधीध/आतंकी टपेरिंग छपाई छपाई शोषण अपराध अपराध ग्राफी अपराध
2021 622 185 192 47 98 266 05 91 414 133 04
2020 656 263 193 71 73 222 33 69 490 160
2019 564 195 139 47 57 251 05 41 346 217
2018 418 197 158 31 75 112 01 34 382 418 02/ 12
2017 504 281 83 38 36 79 00 06 382 120
वृद्धि% 23.41 -34.2 131.3 23.68 172.2 236.70 500 1417 8.38 10.83
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वर्ष एफआर गिरफ्तार चार्जशीट दोषी बरी लंबित मामले दोषसिद्ध दर लंबित दर
2021 302 647 601 04 37 1099 7.5 96.5
2020 255 347 323 00 21 813 00 98.7
2019 224 314 288 06 63 603 13.0 92.9
2018 697 260 252 05 48 461 12.8 91.8
2017 445 211 197 11 77 318 12.5 78.3
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वर्ष एटीएम ऑनलाइन ब्लैकमेल वसूली जालसाजी चिटिंग फेक न्यूज अन्य फ्रोड महिला स्टाकिंग कॉपीराइट
2021 0 03 3 13 12 30 0 81 13
2020 0 26 1 17 15 16 3 60 19
2019 38 51 3 16 01 06 0 33 65
2018 00 00 7 21 12 01 0 33 05 2
2017 52 01 7 04 08 03 5 43 27
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10Oct-2022
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