कहानीकार और उपन्यासकार के रुप में हासिल की लोकप्रियता
व्यक्तिगत परिचय
नाम: ब्रह्म दत्त शर्मा
जन्म-तिथि: 8 जून, 1973
जन्म-स्थान: झींवरहेड़ी, जिला- यमुनानगर (हरियाणा)
शिक्षा: एम.ए.(अंग्रेजी) बी.एड.(कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय)
सम्प्रति: अध्यापन, कहानीकार व उपन्यासकार लेखक
संपर्क: मकान नं. 82,सेक्टर 18, हुड्डा जगाधरी (यमुनानगर)हरियाणा,मो.नं:-08295400476 09416955476, Email:brahamduttsharma8@gmail.com
BY--ओ.पी. पाल
साहित्य जगत एवं लोक कला के माध्यम से लेखकों, साहित्यकारों, कवियों, गजलकारों, कलाकारों, गीतकारों, रंगकर्मियों ने विभिन्न विधाओं में हरियाणा की संस्कृति और परंपराओं को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान देने में अहम भूमिका निभाई है। साहित्य के क्षेत्र में भी लेखकों का मकसद यही है कि समाज को नई दिशा देकर उनमें सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो। ऐसे ही साहित्यकार ब्रह्म दत्त शर्मा ने कहानीकार और उपन्यासकार के रुप में लोकप्रियता हासिल की है, जिसमें उन्होंने भारतीय संस्कृति और परंपराओं के संवर्धन की दिशा में सामाजिक सरोकार से जुड़े सामयिक मुद्दों को समायोजित किया है। एक शिक्षाविद् एवं साहित्यकार के रुप में हरिभूमि संवाददाता से हुई बातचीत के दौरान ब्रह्म दत्त शर्मा ने अपने साहित्यिक सफर को लेकर कुछ ऐसे अनुछुए पहलुओं को भी उजागर किया है, जिसमें साहित्य के माध्यम से सामाजिक विसंगतियों और कुरीतियों को दूर करना संभव ही नहीं, बल्कि मुमकिन भी है।
साहित्य के क्षेत्र में कहानीकार और उपन्यासकार के रुप में लोकप्रिय हुए साहित्यकार ब्रह्म दत्त शर्मा का जन्म 8 जून, 1973 को हरियाणा में यमुनानगर जिले के गांव झींवरहेड़ी में रणधीर सिंह व श्रीमती धनवंती देवी के घर में हुआ। उनके मध्यवर्गीय परिवार में खेती बाड़ी का काम था। शिक्षित पिता एक छोटे किसान थे और घर परिवार में कोई भी साहित्यिक माहौल नहीं था। ब्रह्म दत्त शर्मा ने बताया कि उनके साहित्य की शुरुआत बड़े अजीबोगरीब ढंग से हुई। या यूं कहे कि उनके लेखन की शुरुआत आमतौर पर दूसरे लेखकों से थोड़ी अलग रही है। दरअसल उन्हें बचपन से ही ही अखबार और किताबें पढ़ने का खूब शौक रहा है। यही कारण था कि कॉलेज के दौर में दोस्तों से उधार लेकर भी किताबें पढ़ते थे और उससे उनके मन में लिखने की लालसा जागृत हुई। वे कभी कविता, कभी कहानी और कभी-कभी सीधा उपन्यास लिखना शुरु करने लगे, लेकिन बात न बनती देखकर फाड़कर फेंक देते थे। यहां उनको अहसास हुआ कि लिखना कितना दुष्कर का है। इसलिए कई सालों तक उन्होंने कुछ नहीं लिखा। फिर नए साल के प्रण के तौर पर लेखन का निर्णय किया और एक वर्ष पूरी तरह लेखन को ही समर्पित कर दिया जाएगा। शिक्षा विभाग हरियाणा के अंतर्गत राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय पाबनी कलां (यमुनानगर) में एस.एस. मास्टर के पद पर कार्यरत ब्रह्म दत्त शर्मा के लेखन की शुरुआत एक जनवरी 2009 से एक कहानी लिखने से हुई। जब उनका कहानी संग्रह लिखकर तैयार हुआ, तो उसे प्रकाशित करवाने की समस्या उनके सामने थी, क्योंकि उनके जिले में उस समय एक भी कहानीकार नहीं था। इसका कारण यह भी था कि उन्हें इस पुस्तक प्रकाशन बारे में कुछ भी मालूम नहीं था। इस समस्या का समाधान उस समय हुआ, जब वह एक परिचित के कहने पर वह कुरुक्षेत्र में कहानीकार ओम सिंह अशफाक से मिले, जिनके सुझाव पर उन्होंने अपनी पहली कहानी हरियाणा साहित्य अकादमी की पत्रिका हरिगंधा को भेजी, जो जुलाई 2009 में प्रकाशित हुई। इस तरह मेरे लेखन को धार मिली और उनका आत्मविश्वास भी बढ़ा। उसके बाद उनका लेखन का कार्य लगतार जारी है। उनके इस सफर में एक ऐसा मोड़ आया, जिसमें साल 2013 के दौरान उत्तराखंड त्रासदी में वह परिवार सहित फंस गये थे और बड़ी मुसीबतों और मुश्किलों से जान बचाकर वहां से वापस घर लौटे। उस त्रासदी में शायद इकलौता भुक्तभोगी लेखक था, इसलिए इस त्रासदी के अपने तमाम अनुभवों के आधार पर उन्होंने अपना पहला उपन्यास ‘ठहरे हुए पलों में’ लिखा, साहित्य के क्षेत्र और पाठकों के बीच सुर्खियां बना। उनके साहित्यिक लेखन में ज्यादातर कहानियों और उपन्यासों में वर्तमान दौर के सामाजिक मुद्दें रहे हैं, वहीं समाज की बुराइयां, विसंगतियां और विरोधाभास पर भी उनके लिखने का हमेशा प्रयास रहा है।
प्रासांगिक है साहित्य
इस आधुनिक युग में साहित्य के सामने चुनौतियों के बारे में साहित्यकार ब्रह्म दत्त शर्मा का कहना है कि साहित्य का महत्व हर युग में रहा है और रहेगा। मसलन साहित्य की प्रासांगिता को खत्म नहीं किया जा सकता। हालांकि समय के साथ साहित्य में भी कुछ परिवर्तन होना स्वाभाविक हैं। आज इंटरनेट और सोशल मीडिया ने जीवन के हर क्षेत्र में बदलाव किए हैं, इसलिए साहित्य भी इन बदलावों से अछूता नहीं रह सकता। इस युग में साहित्य के पाठक कम होने के पीछे कई कारण हैं। पहले सिर्फ किताबें ही हमारे ज्ञान और मनोरंजन का प्रमुख साधन थीं, लेकिन आज के युग में आधुनिक साधन माध्यम बने हुए हैं। ऐसे में स्वाभाविक है कि साहित्य पढ़ने वालों की संख्या कम हुई है, लेकिन आज भी किताबें पढ़ी जाती हैं और किताबों का कोई विकल्प भी नहीं है। इसी कारण आज के युवाओं के पास मनोरंजन और ज्ञान प्राप्ति के बहुत से विकल्प हैं, इसलिए उनका रुझान साहित्य से हटा है। इसलिए युवाओं को अच्छे साहित्य से परिचित कराने और पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों के स्तर पर अध्यापकों में ही साहित्य के प्रति रुचि जगाने की आवश्यकता है। लेखकों का भी दायित्व है कि साहित्य ऐसा लिखा जाए, जिससे आज के युवा स्वयं को जोड़ अपनी संस्कृति के प्रति समझ पैदा कर सकें। दरअसल साहित्य में कुछ हद तक इसलिए भी गिरावट देखी गई है कि आज के लेखकों में और विशेष तौर पर युवा लेखकों में धैर्य की कमी है, जो फटाफट लिखकर प्रसिद्धि पाना चाहते हैं, लेकिन इसके लिए सिद्धि करना भी आवश्यक है। हालांकि आज भी बहुत से लेखक बहुत बढ़िया लिख रहे हैं। उन्हें सराहा और पढ़ा जाना चाहिए।
प्रकाशित पुस्तकें
साहित्यकार ब्रह्म दत्त शर्मा की अब तक प्रकाशित पुस्तकों में कहानी-संग्रह ‘चालीस पार, ‘मिस्टर देवदास’, 'पीठासीन अधिकारी' और 'चयनित कहानियाँ' सुर्खियों में हैं। वहीं उन्होंने उपन्यास ‘ठहरे हुए पलों में’ और 'आधी दुनिया पूरा आसमान' लिखकर एक लेखक के रुप में साहित्यिक जगत में अहम स्थान बनाया है। उनकी कहानियां, उपन्यास और अन्य आलेख देश के प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में भी प्रकाशित होती रही हैं।
पुरस्कार व सम्मान
साहित्य के क्षेत्र में ब्रह्म दत्त के लिखित कहानी संग्रह 'पीठासीन अधिकारी' को हरियाणा साहित्य अकादमी ने श्रेष्ठ कृति पुरस्कार से नवाजा है। वहीं उन्हें हरियाणा साहित्य अकादमी के हिंदी कहानी प्रतियोगिता पुरस्कार से भी अलंकृत किया जा चुका है। इसके अलावा साहित्य सभा कैथल से बृजभूषण भारद्वाज एडवोकेट समृति साहित्य सम्मान, मेघालय के शिलांग के डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान, हिन्दी रत्न सम्मान और यूपी के सुल्तानपुर में माँ धनपति देवी समृति कथा साहित्य सम्मान के अलावा उन्हें जयपुर में दो बार डॉ. कुमुद टिक्कू कहानी प्रतियोगिता पुरस्कार मिल चुका है। वहीं देश से बाहर उन्हें विश्व हिंदी सचिवालय मॉरिशस के विश्व हिंदी कहानी प्रतियोगिता प्रथम स्थान, जबकि नेपाल के जनकपुर धाम में उर्मि कृष्ण हिंदी सेवा सम्मान और भूटान के थिंपू में मिला अन्तर्राष्ट्रीय हिंदी सेवा सम्मान भी उनकी बड़ी उपलब्धियों में शामिल है।
18Nov-2024